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भारत के औद्योगिक प्रदेश

भारत के औद्योगिक प्रदेश-भौगौलिक रूप से विशाल क्षेत्र में फैले हुए भारत में अनेक बड़े तथा छोटे औद्योगिक प्रदेश पाए जाते हैं । ऐसे क्षेत्र जहाँ औद्योगिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक अधिक अनुकूल होते हैं वहां बहुत से उद्योग पनप जाते हैं और वहां उद्योगों का समूह बन जाता है। ऐसे क्षेत्र जहां पर उद्योगों का अधिक संकेन्द्रण पाया जाता है औद्योगिक प्रदेश कहलाता है। देश में उद्योगों का वितरण समान रूप से नहीं है, कुछ स्थानों पर अनुकूल परिस्थितियों के कारण उद्योग कुछ निश्चित स्थानों पर केंद्रित हो जाता है। स्थानीयकरण के अनुकूल कारकों के प्रभाव से उद्योगों के समूहन की पहचान हेतु निम्न मापदंड है:

उद्योगों के समूहन की पहचान हेतु मापदंड

  1. औद्योगिक इकाईयों की संख्या
  2. औद्योगिक कर्मियों की संख्या ।
  3. औद्योगिक उद्देश्य हेतु प्रयुक्त ऊर्जा की मात्रा
  4. कुल औद्योगिक उत्पादन
  5. उत्पादन प्रक्रिया मूल्य

भारत के औद्योगिक प्रदेश

भारत के मुख्‍य/प्रमुख औद्योगिक प्रदेश

  1. मुम्बई- पुणे औद्योगिक प्रदेश
  2. हुगली औद्योगिक प्रदेश
  3. बंगलूरू- तमिलनाडू औद्योगिक प्रदेश
  4. अहमदाबाद-सूरत औद्योगिक प्रदेश
  5. छोटानागपुर औद्योगिक प्रदेश
  6. विशाखपतनम औद्योगिक प्रदेश
  7. गुडगांव दिल्ली-मथुरा औद्योगिक प्रदेश
  8. कोल्लम-तिरुवन्नतपुरम औद्योगिक प्रदेश

लघु औद्योगिक प्रदेश

भारत में बड़े तथा प्रमुख औद्योगिक प्रदेशों के अलावा कुछ लघु औद्योगिक प्रदेश भी है जिनमें से कुछ निम्‍न प्रकार से है:-

  1. अंबाला- अमृतसर लघु औद्योगिक प्रदेश
  2. इंदौर-देवास-उज्जैन लघु औद्योगिक प्रदेश
  3. जयपुर-अजमेर लघु औद्योगिक प्रदेश
  4. इलाहाबाद वाराणसी लघु औद्योगिक प्रदेश
  5. जयपुर-अजमेर लघु औद्योगिक प्रदेश
  6. भोजपुर-मुंगेर लघु औद्योगिक प्रदेश
  7. बिलासपुर-कोरबा लघु औद्योगिक प्रदेश

मुम्बई पूणे औद्योगिक प्रदेश

  • इस प्रदेश का मुख्य उद्योग सूती वस्त्र उद्योग है। सूती वस्त्र के विकास के साथ रसायन उद्योग भी विकसित हुआ । इसी क्रम में मुम्बई हाई में पेट्रोलियम की खोज तथा परमाणु बिजली घर से अतिरिक्त बिजली ने इस क्षेत्र में औद्योगिक विकास को गति प्रदान की।
  • इस क्रम में यहां पेट्रो रसायन, चमड़ा, दवा, उर्वरक, इलेक्ट्रोनिक्स, जलयान निर्माण, परिवहन उपकरण, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग आदि भी विकसित हुए । यहाँ फिल्म उद्योग भी विकसित है जो वालीबुड कहा जाता है। यहां के प्रमुख औद्योगिक केन्द्र मुम्बई, कोलाबा, सतारा, सांगली, रायगढ, पूणे, पिम्परी, नासिक, शोलापुर, कल्याण आदि है।

मुम्‍बई पुणे औद्योगिक क्षेत्र के विकास के कारण

  • इस क्षेत्र का प्रमुख उद्योग सूती वस्त है। महाराष्ट्र काली मिट्टी का क्षेत्र है जहां कपास बहुतायात से होता है। इसके अलावा अन्य उद्योगों के लिए भी कच्चा माल यह देती है।
  • यह रेल, सड़क, समुद्री तथा वायुमार्ग से देश के विभिन्न स्थानों से जुडा हुआ है। यहां स्थित अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह विदेश व्यापार को भी प्रोत्साहन देता है।
  • भारत के प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्रों से दूर होने के बावजूद इस क्षेत्र को पश्चिमी घाट से प्रचुर मात्रा में जल विद्युत प्राप्त हो जाती है।
  • इस क्षेत्र में रसायनिक, पेट्रोलियम, नाभिकीय ऊर्जा संयंत्र से औद्योगिक विकास को अतिरिक्त लाभ मिला ।
  • मुम्बई वित्तीय रूप से समृद्ध प्रदेश है जहां देशी-विदेशी बैंक स्थित है तथा देश के अनेक पूंजीपति निवास करते हैं इस कारण यहां वित्तीय समस्या नहीं पायी जाती है।
  • 1869 में स्वेज नहर के खुलने से मुम्बई का सीधा संपर्क उत्तरी अफ्रीकी तथा यूरोपीय देशों से हुआ जिससे विदेश व्यापार को प्रोत्साहन मिला।
  • यहां सस्ता एवं कुशल श्रम पर्याप्त मात्रा में मौजूद है जो औद्योगिक विकास हेतु आवश्‍यक है।

हुगली औद्योगिक प्रदेश

  • यह औद्योगिक प्रदेश हुगली नदी के दोनों किनारों पर उत्तर से दक्षिण में फैला हुआ है जिसके केन्द्र में कोलकात्‍ता स्थित है और इस कारण इसे कोलकाता औद्योगिक प्रदेश भी कहते हैं ।
  • कोलकात्ता ऐतिहासिक रूप से औद्योगिक व्यापारिक केन्द्र है जहां का सबसे बड़ा उद्योग जूट उद्योग है। हांलाकि विभाजन के बाद यह उद्योग प्रभावित हुआ किन्तु धीरे-2 इस समस्या को दूर किया गया।
  • जूट के साथ सूती वस्त्र उद्योग का विकास इस क्षेत्र में हुआ । इस क्षेत्र के अन्य प्रमुख उद्योग में कागज, मशीनरी, रसायन, औषधि, उर्वरक आदि है। यहां के प्रमुख औद्योगिक केन्द्र कोलकाता, रिसरा, हल्दिया, हावड़ा, हुगली, टीटागढ़ आदि है।

हुगली औद्योगिक क्षेत्र के विकास के कारण

  • इस औद्योगिक क्षेत्र में जूट उद्योग प्रमुख उद्योग है तथा जूट के साथ कागज, रसायन, चमड़ा, उर्वरक, इंजीनियरिंग उद्योग हेतु पर्याप्त कच्चा माल मिल जाता है।
  • छोटानागपुर पठार से कोयला, लौह अयस्क की प्राप्ति हो जाती है।
  • दामोदर घाटी से जल विद्युत की प्राप्ति हो जाती है।
  • पिछड़े तथा सघन आबादी वाले पड़ोसी राज्य बिहार, उड़ीसा से सस्ते श्रमिक मिल जाते हैं।
  • रेल, सड़क, जलमार्ग की सुविधा है। हुगली नदी विशाल जलमार्ग देने के साथ-साथ कागज, रसायन, जूट उद्योग हेतु अनिवार्य जल उपलब्ध कराती है।
  • कोलकात्ता में बैंकिंग तथा पूंजी सुविधा उपलब्ध है घनी जनसंख्या वाला क्षेत्र है जो अच्छा बाजार उपलब्ध कराता है।
  • कोलकात्ता एक प्रमुख बंदरगाह है जिससे इस क्षेत्र की आयात-निर्यात की सुविधा प्राप्त होती है।

बंगलूरू- तमिलनाडू औद्योगिक प्रदेश

इस औद्योगिक प्रदेश का विस्तार कर्नाटक-तमिलनाडू राज्यों में है। कोयला क्षेत्र से दूर होने के कारण इस क्षेत्र विकास 1932 में पाइकारा जलविद्युत संयंत्र की स्थापना के बाद हुआ  तथा स्वतंत्रता के बाद इस क्षेत्र ने तेजी से उन्नति की है। 

बंगलूरू- तमिलनाडू औद्योगिक प्रदेश के विकास के कारण

  • कपास उत्पादक क्षेत्र होने के कारण यहां सबसे पहले सूती वस्त्र उद्योग के विकास हेतु अनुकूल दशाएं बनी । कालांतर में सरकार के प्रयासों से अनेक उद्योग-धंधे जैसे- हिन्दुस्तान वायुयान निर्माण, HMT, भारतीय दूरभाष उद्योग, भारत इलेक्ट्रोनिक्स आदि इस क्षेत्र में विकसित हुए।
  • बंगलौर कर्नाटक का महत्त्वपूर्ण औद्योगिक केन्द्र है जो पूर्वी तथा पश्चिमी तटों से समान दूरी पर स्थित है और  इसे दोनों का लाभ प्राप्त है।
  • कोयम्बटूर तमिलनाडु का औद्योगिक केन्द्र है जो कपास एवं गन्ना उत्‍पादक क्षेत्र हैं। अतः यह सूती एवं चीनी उद्योग का केन्द्र है। इसे तमिलनाडू का मानचेस्टर कहते हैं।
  • इसके अलावा इस औद्योगिक प्रदेश में इंजीनियरिंग, सीमेंट, चमड़ा, सिगरेट आदि के साथ फिल्म उद्योग भी विकसित है।

अहमदाबाद-सूरत औद्योगिक प्रदेश

इसका औद्योगिक क्षेत्र का विस्‍तार अहमदाबाद-बड़ोदरा-सूरत-बलसाड-जामनगर तक है। इस प्रदेश में सूती वस्त्र उद्योग की स्थापना से आधुनिक उद्योग का विकास हुआ।  इसके अलावा इस क्षेत्र मे मोटर, डीजल इंजन, दवाएं, दुध उत्पाद, खाद्य परिष्करणशालाएं भी स्थापित की गयी है। इस प्रदेश में मुख्य औद्योगिक केन्द्र अहमदाबाद, बड़ोदरा, भरूच, आनंद, खेडा, राजकोट, सूरत, जामनगर आदि है।

अहमदाबाद-सूरत औद्योगिक क्षेत्र के विकास के कारण

  • कच्चे माल के रूप में कपास की उपलब्धता ।
  • मुम्बई की अपेक्षा सस्ती भूमि ।
  • बाजार की सुविधा ।
  • सस्ते एवं कुशल श्रमिक की उपलब्धता ।
  • काडला एवं मुम्बई बंदरगाह से आयात निर्यात सुविधा ।
  • सड़क, रेल द्वारा देश के अन्य भागों से संपर्क ।
  • खंभात क्षेत्र में खनिज तेल के उत्पादन से अंकलेश्वर, जामनगर, बड़ोदरा में पेट्रो रसायन उद्योग का विकास।

छोटानागपुर औद्योगिक प्रदेश

भारत के औद्योगिक प्रदेश में छोटानागपुर औद्योगिक प्रदेश एक महत्‍वपूर्ण क्षेत्र है जो झारखंड, उड़ीसा तथा पश्चिम बंगाल के क्षेत्र में विस्तृत है। इस क्षेत्र के विकास का मुख्य आधार यहां पायी जानेवाली खनिज है। दामोदर घाटी का कोयला तथा झारखंड एवं उड़ीसा में मिलनेवाला लौह-अयस्क प्रमुख खनिज है। इस क्षेत्र को “भारत का रूर” कहते हैं। यहां पर भारी इंजीनियरिंग, मशीन, उपकरण, उर्वरक, सीमेंट, कागज, रेल इंजन, बिजली का भारी सामान के उद्योग हैं। रांची, हजारीबाद, जमशेदपुर, दुर्गापुर, बोकारो, राउरकेला, बर्नपुर आदि जैसे बड़े कारखाने इस प्रदेश में स्थित है।

छोटानागपुर औद्योगिक प्रदेश में औद्योगिक विकास के कारण

  • झरिया, रानीगंज, गिरीडीह, बोकारो क्षेत्र से कोयल की प्राप्ति।
  • ऊर्जा हेतु क्षेत्र में ताप बिजली घर एवं जल विद्युत संयंत्र लगाए गए है।
  • उत्तम कोटि का लोहा झारखंड तथा उड़ीसा से प्राप्त हो जाता है।
  • कागज हेतु छोटानागपुर पठार मे घास तथा बांस के वन लगाए गए है।
  • आस-पास सघन बसे क्षेत्रों से सस्ता श्रम उपलब्ध हो जाता है। कोलकात्ता बंदरगाह निकट होने से आयात निर्यात की सुविधा प्राप्त होती है।
  • यह प्रमुख रेलमार्ग पर स्थिति है तथा सड़क मार्ग से भी जुड़ा हुआ है।
  • हूगली नदी के औद्योगिक क्षेत्र में औद्योगिक विकास संतृप्त अवस्था में पहुंच चुका है इस कारण औद्योगिक वृद्धि के प्रादेशिक संतुलन को बनाए रखने हेतु सरकार छोटानागपुर पठार के औद्योगिक प्रदेश के विकास की ओर ध्यान दे रही है।

छोटानागपुर औद्योगिक प्रदेश

  • विस्तार- झारखंड,  उत्तरी उड़ीसा तथा पश्चिमी पश्चिम बंगाल में विस्तृत है जो भारी धातु उद्योगों से संबंधित है ।
  • ऊर्जा- दामोदर घाटी से कोयला तथा जल विद्युत की प्राप्ति ।
  • खनिज- झारखंड तथा उड़ीसा के धात्विक एवं अधात्विक खनिज ।
  • मुख्य संयंत्र-  6 बड़े एकीकृत लौह इस्पात संयंत्र- जमशेदपुर, बर्नपुर, कुल्टी, दुर्गापुर, राउरकेला, बोकारो ।
  • श्रम उपलब्धता- सघन आबादी क्षेत्र होने से सस्ता श्रम ।
  • परिवहन मार्ग- मुम्बई-कोलक्तता परिवहन मार्ग एवं कोलकत्ता बंदरगाह की सुविधा ।
  • प्रमुख उद्योग- भारी इंजीनियरिंग, मशीनरी, औजार, उर्वरक, सीमेंट, कागज, रेल इंजन ।
  • प्रमुख केंद्र- रांची, धनबाद, चाईबासा, सिंदरी, हज़ारीबाग़, जमशेदपुर, बोकारो, दुर्गापुर, राउरकेला, आसनसोल, कोलकाता ।

विशाखपतनम गुंटूर औद्योगिक प्रदेश

  • इस औद्योगिक प्रदेश के विकास का श्रेय विशाखापत्तनम तथा मछलीपतनम के पत्तनों को जाता है ।
  • इसके अलावा इस क्षेत्र के कृषि और अपार खनिज संसाधन इस औद्योगिक क्षेत्र को ठोस औद्योगिक आधार देते हैं।
  • हिन्दुस्तान शिपयार्ड, पेट्रोरसायन, लोहा-इस्पात, सीमेंट, उर्वरक, कागज आदि यहां लौह अयस्क छत्तीसगढ़ के बैलाडिला से प्राप्त होता है तथा विशाखापत्तनम स्थित लौह इस्पात संयंत्र एकमात्र सयत है जिसे तटीय स्थिति का लाभ प्राप्त है।
  • इस क्षेत्र में प्रमुख औद्योगिक नगर विजयवाड़ा, गंटूर, राजमुन्दरी, प्रमुख उद्योग है।

गुडगांव- दिल्‍ली-मथुरा औद्योगिक प्रदेश

  • भारत के औद्योगिक प्रदेश में प्रमुख इस औद्योगिक क्षेत्र का विकास स्वतंत्रता के बाद हुआ जो गुडगांव से दिल्ली होते हुए मेरठ तक विस्‍तृत है।
  • इस क्षेत्र के विकास का आधार भाखड़ा नांगल तथा पानीपत, फरीदाबाद से प्राप्त क्रमशः जलविद्युत तथा ताप विद्युत शक्ति है।
  • खनिज क्षेत्र से दूर होने के कारण हल्के, बाजारोन्मुख उद्योग जैसे इलेक्ट्रोनिक, बिजली उपकरण, मशीनरी, सूती वस्त्र होजरी, सायकिल, कृषि उपकरण आदि स्‍थापित हुए है।
  • इस औद्योगिक क्षेत्र के प्रमुख औद्योगिक नगर गुडगांव, दिल्ली, फरीदाबाद, मेरठ, गाजियाबाद, आगर, अंबाला आदि है।

कोल्लम-तिरुवन्नतपुरम औद्योगिक प्रदेश

  • कोल्‍लम- तिरुवन्‍नतपुरम औद्योगिक प्रदेश केरल में स्थित अपेक्षाकृत छोटा किन्‍तु महत्‍वपूर्ण औद्योगिक प्रदेश है ।
  • खनिज संसाधनों की कमी के कारण रोपण कृषि तथा जल विद्युत ने इस क्षेत्र को औद्योगिक आधार प्रदान किया है।
  • सूती वस्त्र, रबड, चीनी, उर्वरक, मतस्‍यन उद्योग  के अलावा खाद्य प्रसंस्करण, नारियल उत्पाद, सीमेंट उद्योग भी स्थापित किए गए है।

इस प्रकार बड़े-छोटे अनेक भारत में औद्योगिक प्रदेश है जो भारत के औद्योगिक आधार को मजबूत बनाते हैं। 

 

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