वैश्विक व्यापार की वर्तमान प्रवृत्ति
वर्तमान में विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization) एवं वैश्विक व्यापार की वर्तमान प्रवृत्ति को देखा जाए तो पता चलता है कि कुछ देशों की संरक्षणवादी नीतियों, एकपक्षीय टैरिफ अधिरोपण तथा कोरोना महामारी के पूर्व लगाए गए व्यापार प्रतिबंधों, व्यापार युद्ध, विश्व व्यापार संगठन की निष्क्रियता आदि कारणों ने वैश्विक बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था को कमजोर करने का कार्य किया जिससे विश्व व्यापार बहुपक्षीय के बजाए द्विपक्षीय व्यापार और निवेश संधियों की ओर केंद्रित होने लगा है।
बहुपक्षीय तथा द्विपक्षीय व्यापार के बीच प्रमुख अंतर देशों की संख्या है फिर भी दोनों व्यापार समूहों की कई ऐसी विशेषताएं है जिसके माध्यम से इनके बीच के अंतर को बेहतर ढंग से समझा जा सकता है ।
बहुपक्षीय व्यापार |
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द्विपक्षीय व्यापार |
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विश्व व्यापार की वर्तमान प्रवृत्ति को बेहतर ढंग से समझने के लिए हमें पिछले कुछ वर्षों की महत्वूपर्ण घटनाओं को समझना होगा जिसे हम महामारी पूर्व एवं महामारी के बाद की व्यापार व्यवस्था के रूप में वर्गीकृत कर सकते हैं ।
कोरोना महामारी पूर्व वैश्विक व्यापार व्यवस्था
महामारी के पूर्व के कुछ वर्षों को देखा जाए तो अंतर्राष्ट़ीय व्यापार व्यवस्था में कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को आए ।
टैरिफ वार एवं व्यापार युद्ध
- महामारी पूर्व संयुक्त राज्य अमेरिका ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर एक महत्वपूर्ण कदम के तहत सस्ते चीनी आयातों के प्रभाव को बेअसर करने हेतु चीन के कई उत्पादों पर एकतरफा शुल्क लगाया ।
- हांलाकि अमेरिका के इस कदम का मुख्य उद्देश्य विदेशों द्वारा सब्सिडी वाली सस्ती वस्तुओं से होनेवाली प्रतिस्पर्धा को प्रतिबंधित करना था लेकिन चीन ने भी अमेरिका को इसका जवाब दिया और 2017 में 128 अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ लगाकर इस कदम का जवाब दिया। इस प्रकार विश्व की 2 बड़ी शक्तियों अमेरिका और चीन के मध्य व्यापार युद्ध का आरम्भ हो गया ।
व्यापार युद्ध में अन्य देशों का शामिल होना
- उल्लेखनीय है कि टैरिफ का अधिरोपण देश विशिष्ट आधारित न होकर उत्पाद आधारित थे इस कारण विश्व के अन्य कई देश भी न चाहते हुए भी इसमें सम्मिलित हो गए । भारत को भी इस व्यापार युद्ध में न चाहते हुए भी शामिल होना पड़ा और अमेरिका के 29 प्रमुख आयातों पर उच्च शुल्क लगाया गया। इस प्रकार के व्यापार युद्ध कुछ अन्य देशों के बीच जैसे जापान और दक्षिण कोरिया के बीच भी हुए।
कुछ देशों द्वारा मुक्त व्यापार समझौते में पीछे हटाना
- 2017 में ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप TPP से अमेरिका और 2019 में क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी RCEP से भारत वापस हो गया जिसके फलस्वरूप मुक्त व्यापार समझौतों के संयुक्त बाजार आकार में काफी कमी आयी और महामारी के बाद मुख्य रूप से ध्यान द्विपक्षीय व्यापार और निवेश संधियों की ओर स्थानांतरित हो गया ।
- इस प्रकार इन घटनाओं से बहुपक्षीय व्यापार संबंधी विश्व व्यापार संगठन के नेतृत्व में बनी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था की शृंखला को गंभीर क्षति हुई । इसी क्रम में 2019 के अंत तक कोरोना महामारी तथा लॉकडाउन से वैश्विक आपूर्ति शृंखला समय समय पर बाधित हुई और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को और अधिक जटिल समस्याओं का सामना करना पड़ा।
- इस प्रकार जहां विभिन्न देशों द्वारा एकतरफा टैरिफ अधिरोपण और अन्य महामारी पूर्व व्यापार प्रतिबंधों से बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था कमजोर हुई वहीं दूसरी ओर विश्व व्यापार द्विपक्षीय व्यापार और निवेश संधियों पर केंद्रित होने लगा।
कोरोनो महामारी के बाद वैश्विक व्यापार
- कोरोना काल के बाद वैश्विक व्यापार को देखा जाए तो इसमें हांलाकि कुछ सुधारों को देखा जा सकता है लेकिन ये सुधार विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में असमानता को प्रदर्शित करता है ।
- महाद्वीपीय व्यापार को देखा जाए तो जहां एशिया के निर्यात और आयात दोनों में सुधार हुआ वहीँ पश्चिम एशिया, दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका का निर्यात कमजोर हुआ।
- 2020 में आयी महामारी प्रेरित मंदी के दौरान अधिक तेल-निर्भर निर्यात वाले क्षेत्रों में व्यापारिक निर्यात और आयात दोनों में भारी गिरावट आई।
- 2021 की पहली छमाही में जहां वस्तु एवं सेवाओं के व्यापार में भारी उछाल दिखा वहीं दूसरी छमाही में विकास दर धीमी होने लगी। इसी क्रम में कई कम विकसित देशों और विकासशील देशों ने वर्ष 2021 में व्यापार घाटे का अनुभव किया।
वैश्विक व्यापार व्यवस्था –बहुपक्षवाद से द्विपक्षीयता की ओर जाने के कारण
विश्व व्यापार संगठन की कमजोर होती भूमिका
- अमेरिका तथा चीन जैसे देशों के निर्णयों पर विश्व व्यापार संगठन की निष्क्रियता तथा भूमिका पर उठते सवाल ।
- कृषि सब्सिडी, सूचना प्रौद्योगिकी उत्पादों संबंधी मुद्दों पर आम सहमति की कमी के कारण दोहा दौर की वार्ता में भी गतिरोध आया था।
- विश्व व्यापार संगठन के व्यापार विवाद निपटान तंत्र में न्यायाधीशों की नियुक्ति अवरुद्ध होने से सदस्य देशों के बीच उत्पन्न विवादों का निपटारा नहीं होने के कारण उसकी प्रासंगिक पर ही प्रश्न उठाया गया।
- उल्लेखनीय है कि अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा विश्व व्यापार संगठन की अपीलीय संस्था के नए सदस्यों के नाम पर अपनी सहमति नहीं दिए जाने और कोरम पूरा नहीं होने के कारण 2019 के बाद इसका कामकाज बाधित रहा ।
विश्व व्यापार संगठन -मूल सिद्धांत |
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World Trade Organization -उद्देश्य |
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World Trade Organization- कार्य |
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अन्य कारण
- अमेरिका, चीन जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों के बीच व्यापार युद्ध और टैरिफ संबंधी प्रतिबंधात्मक उपाए ।
- रूस-यूक्रेन युद्ध के संभावित भावी राजनीतिक और आर्थिक निहितार्थ के फलस्वरूप बहुपक्षीय के बजाए द्विपक्षीय संबंधों को प्राथमिकता।
- COVID-19 महामारी के बाद उत्पन्न परिस्थितियां तथा व्यापत मुद्रास्फीति के कारण संभावित मंदी की आशंका ।
- चीन की शून्य सहिष्णुता नीति एवं वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर प्रभाव
वर्तमान वैश्विक व्यवस्था एवं भारत की भूमिका
- वर्तमान वैश्विक व्यवस्था की स्थिति भारत के लिए एक अवसर है यदि वह समान विचारधारावाले देशों के साथ सहयोग को बढ़ाये तथा बहुपक्षवाद का समर्थन करें ।
- वैश्विक परिदृश्य में अपनी पहुंच और पकड़ को और मजबूत करने हेतु भारत को विकसित और विकासशील देशों के समूह के साथ मिलकर काम करना होगा।
- वर्तमान में अमेरिका, यूरोपीय संघ, जापान जैसे देश चीन से दूरी बना रहे हैं तो भारत के पास यह अवसर है कि वह बहुपक्षवाद को प्रोत्साहन दे।
- चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव एवं वैश्विक स्तर पर उभरते चीनी महत्वाकांक्षाओं पर नियंत्रण हेतु भारत द्वारा बहुपक्षवाद को प्रोत्साहन दिया जाए बेहतर होगा।
- वर्तमान में चीन विश्व की आर्थिक महाशक्ति है । अत: भारत को सही आर्थिक रणनीति का चुनाव करना होगा ताकि लोगों के रोजगार और बेहतर जीवन स्तर प्रदान करने में सक्षम हो सके ।
निष्कर्ष
कोविड महामारी के बाद उत्पन्न स्थितियों, रूस एवं यूक्रेन युद्ध, अमेरिका और चीन के बीच तनाव, विश्व व्यापार संगठन (World Trade organization) अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की भूमिका आदि के कारण भविष्य के नतीजे बेहद अनिश्चितताओं से भरा है । अतः भारत के साथ साथ अन्य विकासशील और उभरती अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों को को अपने व्यापारिक हितों की रक्षा हेतु सतर्क एवं सजग रहना होगा ।