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केन्द्र-राज्य वित्तीय संबंध (centre state financial relations)

संविधान के अनुच्छेद 264 से 293 के मध्य केन्द्र-राज्य वित्तीय संबंध (centre state financial relations) की चर्चा की गई है। इसके तहत दिए गए प्रावधानों में भी संबंधों का संतुलन केन्द्र/संघ की ओर झुका हुआ है। संविधान में केंद्र और राज्यों के मध्य वित्तीय संसाधनों के वितरण में  कार्य क्षमता, पर्याप्तता और उपयुक्तता को मुख्य सिद्धांत माना गया है। उल्लेखनीय है कि जहां अधिकांश वित्तीय संसाधनों पर केन्द्र का नियंत्रण है वहीं दूसरी ओर नीतियों का क्रियान्वयन तथा जिम्मेवारी राज्यों पर सौंपी गयी है।

केन्द्र-राज्य वित्तीय संबंध (centre state financial relations) में वित्‍तीय संसाधनों के आवंटन में इस असंतुलन के कारण केन्द्र पर राज्यों की निर्भरता बढ़ी है।  अगस्‍त 2022 में  केंद्र सरकार द्वारा केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के तहत विभिन्‍न राज्यों को कुल 1.16 लाख करोड़ रुपये की दो किस्तें जारी की गयी जिसमें बिहार को 11,734.22 करोड़ रु की किश्‍त प्राप्‍त हुए।

उल्‍लेखनीय है कि वित्त आयोग की सिफारिश के आधार पर केंद्रीय करों में हिस्सेदारी राज्यों को दी जाती है। तथा वित्त मंत्रालय के अनुसार यह राज्यों के पास पूंजी बढ़ाकर और विकास संबंधी खर्च में तेजी लाकर उनके हाथ मजबूत करने में मदद करेगा।

केंद्र राज्य वित्तीय संबंध से संबंधित संवैधानिक प्रावधान

अनुच्छेद 265 विधि के प्राधिकार के बिना कोई कर शपथ या संग्रहीत नहीं किया जा सकता।
अनुच्छेद 286, 287, 288 तथा 289 केंद्र तथा राज्य सरकारों को एक-दूसरे द्वारा कुछ वस्तुओं पर कर लगाने से मना किया गया है और कुछ करों से भी मुक्ति प्रदान की गई है।

GST से प्रभावित संवैधानिक अनुच्छेद

अनुच्छेद 246A केंद्र सरकार को अधिकार है कि वह GST के संबंध में कानून बना सकती है। इसमें CGSTI तथा GST के संबंध में केंद्र को एवं SGST  के संबंध में राज्यों को शक्ति दी गई है।
अनुच्छेद 269A इसके तहत IGSTI की व्यवस्था के बारे में उल्लेख किया गया है जिसके तहत अंतरराज्यीय व्यापार के मामले में कर की वसूली केन्द्र सरकार द्वारा की जाएगी जिसे बाद में राज्यों के मध्य वितरित किया जाएगा।
अनुच्छेद 279A

 

इस अनुच्छेद के तहत GST परिषद की संरचना एवं गठन के बारे में प्रावधान किया गया है।

केन्द्र-राज्य वित्तीय संबंध (centre state financial relations) को प्रभावित करने में विभिन्न संस्थाएं भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है जिनमें वित्त आयोग तथा अंतर्राज्यीय परिषद जैसी संस्थाएं शामिल हैं।

केंद्र से राज्यों को सहायता अनुदान

अनुच्छेद 275 केन्द्र-राज्य वित्तीय संबंध (centre state financial relations) की शृंखला में ये अनुच्‍छेद सांविधिक अनुदान से संबंधित है जो संसद द्वारा जरुरतमंद राज्यों को उपलबध कराया जाता है।
अनुच्छेद 282 विवेकाधीन अनुदान से संबंधित यह अनुच्‍छेद संघ को यह अधिकार देता है कि वह किसी भी सार्वजनिक उद्देश्य हेतु राज्यों को उनकी संबंधित विधायी दक्षताओं से परे अनुदान दे सके।

अन्य करों से प्राप्त आय का वितरण

अनुच्छेद 280 वित्‍त आयोग संबंधी यह अनुच्‍छेद केंद्र और राज्य के बीच धन के वितरण के संबंध में सिफारिशें देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

केन्द्र राज्य वित्‍तीय संबंध एवं संवैधानिक संस्थाएं

केन्द्र-राज्य वित्तीय संबंध (centre state financial relations) को प्रभावित करने में अनेक संवैधानिक संस्थाएं भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है जिनमें वित्त आयोग तथा कुछ वित्‍तीय मामलों में अंतर्राज्यीय परिषद महत्वपूर्ण हैं।

वित्त आयोग

  • वित्त आयोग एक संवैधानिक संस्था है जिसका गठन अनुच्छेद 280 के तहत हर पांचवें वर्ष की समाप्ति पर राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है।
  • वित्‍त आयोग द्वारा राष्ट्रपति को सिफारिश दी जाएगी कि संघ तथा राज्यों के बीच करों का वितरण किस प्रकार किया जाए ?
  • 2020 से 2025 तक की 5 वर्षीय अवधि हेतु सुझाव देने के लिए 15वें वित्त आयोग का गठन 2017 में किया गया था।

15वें वित्त आयोग की अंतरिम रिपोर्ट की महत्वपूर्ण सिफारिश

  • 15वें वित्त आयोग ने अंतरिम रिपोर्ट में पूर्ववर्ती आयोग की सिफारिशों को सुरक्षित रखा है।
  • नवगठित केंद्रशासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) की सुरक्षा, अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति को ध्यान में रखते हुए आयोग द्वारा वित्तीय वर्ष 2020-21 हेतु राज्यों के लिये 41% हिस्सेदारी की सिफारिश की गयी है जो अब तक 42% थी।
  • वित्त वर्ष 2020-21 के लिये स्थानीय निकायों को अनुदान के रूप में 90000 करोड रुपए देने की सिफारिश की गयी है जो कि अनुमानित विभाजन योग्य राजस्व का 4.31% है।
  • वित्त आयोग ने कर आधार को बढ़ाए जाने तथा कर दरों को सुव्यवस्थित करने हेतु सरकार के सभी स्तरों पर प्रशासन की क्षमता और विशेषज्ञता को बढ़ाया जाने का सुझाव दिया है।

अंतर्राज्यीय परिषद

  • केन्द्र-राज्य संबंध (centre state relations) में यह भी एक संवैधानिक संस्था है जिसकी स्थापना अनुच्छेद 263 के तहत 1990 में किया गया। यह एक सलाहकारी संस्था है जिसमें आम सहमति से निर्णय लिया जाता है।
  • प्रधानमंत्री अंतर्राज्यीय परिषद के अध्यक्ष होते हैं। इसके अलावा गृहमंत्री समेत प्रधानमंत्री द्वारा नामित केन्द्रीय मंत्रिमंडल के 6 सदस्य तथा सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और केन्द्रशासित प्रदेशों के प्रशासक इसके सदस्य होते हैं।

अंतर्राज्यीय परिषद के कार्य

  • भारत के विभिन्‍न राज्यों के बीच होने वाले विवादों की जाँच करना और आवश्‍यकतानुसार सलाह देना।
  • केन्‍द्र एवं राज्‍यों तथा  विभिन्‍न राज्यों के समान हित वाले मुद्दों पर अन्वेषण तथा विचार-विमर्श करना।
  • विभिन्न विषयों, नीतियों के क्रियान्वयन के क्रम में बेहतर सामंजस्‍य, सहयोग तथा समन्वय  हेतु  सिफारिश करना।
  • यह केन्द्र राज्य संबंधों के संवैधानिक पहलुओं पर विचार करने के साथ दलगत भावना से ऊपर उठकर राष्ट्रीय हितों तथा प्राथमिकताओं के संदर्भ में आम सहमति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

संघ एवं राज्य के मध्‍य वित्तीय बंटवारे के साधन

वित्तीय हस्तांतरण यानी करों में राज्यों की हिस्‍सेदारी
15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार, विभाज्य पूल का 41% राज्यों को (ऊर्ध्वाधर हस्तांतरण) हस्तांतरित किया जाना।
वित्त आयोग संबंधी अनुदान
वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर संघ द्वारा राज्यों को राजस्व घाटा अनुदान,क्षेत्रीय अनुदान, प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन द्वारा सहायता दी जाती है।
योजना संबंधी स्थानांतरण
केंद्रीय बजट के भाग के रूप में केंद्र सरकार की ओर से राज्यों को एक बड़ा हस्तांतरण केंद्र प्रायोजित योजनाओं के माध्‍यम से  होता है ।
केंद्रीय बजट में वर्णित अन्‍य वितरण
विभिन्‍न राज्‍यों की वित्त क्षमता को बढ़ावा देने हेतु केंद्र सरकार द्वारा बजट में घोषणा की जाती है।
राज्यों हेतु ब्याज मुक्त पूंजीगत व्यय ऋण योजना
केंद्र द्वारा बड़े पैमाने पर राज्यों को ब्याज मुक्त ऋण दिया जाता है । कोविड-19 महामारी से राज्‍यों की नकारात्मक रूप से प्रभावित हुई आर्थिक गतिविधियों का समर्थन करने हेतु केन्‍द्र द्वारा वर्ष 2020 में राज्यों को पूंजी निवेश हेतु विशेष सहायता योजना आरंभ की गयी।

 

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