जलवायु परिवर्तन तथा पर्यावरण संरक्षण हेतु भारत के अंतर्राष्ट़ीय प्रयास को देखा जाए तो विगत कुछ वषों में अनेक प्रयास किए गए हैं। पर्यावरण संबंधी चुनौतियां जैसे वैश्विक तापन, जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, भूमि निम्नीकरण आदि का सामना करने तथा पेरिस जलवायु समझौते के प्रति प्रतिबद्धता एवं उसके लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु नीतियों के कार्यान्वयन की दिशा में भारत ने विगत वर्षों में न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी व्यापक प्रयास किए है ।
भारत ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग बढ़ाने हेतु विश्व के अन्य राष्ट्रों के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय गठजोड़ स्थापित करने के साथ-साथ अनेक अवसरों पर जलवायु परिवर्तन प्रबंधन हेतु कार्ययोजना, समझौते आदि को भी अपनाया है ।
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन
- नवीकरणीय ऊर्जा के विकास की दिशा में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत तथा फ्रांस के प्रयासों से वर्ष 2015 में आरंभ अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन उल्लेखनीय है जिसमें वर्तमान में कई विकसित और विकासशील जुड़ चुके है। वर्तमान में इसके सदस्य देशों की संख्या 90 है जबकि अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर करने वाले देशों की संख्या 109 है।
ट्रीज आउटसाइड फॉरेस्ट्स इन इंडिया
- सितंबर 2022 में भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और अमेरिका के यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट द्वारा संयुक्त रूप से भारत में Trees Outsides Forests in India नाम से पांच वर्षों के लिए एक कार्यक्रम को आरंभ किया गया ।
- यह पारंपरिक वनों के बाहर पेड़-पौधों के कवरेज बढ़ाने तथा जलवायु परिवर्तन के अनुकूल कृषि प्रणाली को मजबूत करने के उद्देश्य से कृषकों, कंपनियों और भारत के निजी संस्थाओं को एक मंच पर लाने का कार्य करेगी
जलवायु और स्वच्छ वायु संघ (CCAC)
- मीथेन, ब्लैक कार्बन और हाइड्रो फ्लोरोकार्बन जैसे पर्यावरणीय प्रदूषकों को कम करने हेतु वर्ष 2019 में “जलवायु और स्वच्छ वायु संघ” (CCAC) की शुरुआत की गयी । इस संघ में भारत और अन्य देशों के अलावा अंतर-सरकारी संगठनों, व्यावसायिक संगठनों, वैज्ञानिक संस्थाओं की स्वैच्छिक साझेदारी है।
जैव विविधता संरक्षण हेतु समझौता
- पिछले दिनों भारत सरकार तथा नेपाल सरकार ने जैव विविधता संरक्षण पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच स्थित गलियारों और आपस में जुड़े क्षेत्रों को फिर से शुरू करने के साथ साथ सर्वोत्तम अनुभवों एवं ज्ञान को साझा करने, वन एवं जैव विविधता संरक्षण तथा जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में सहयोग व समन्वय को बढ़ाना है।
भारत और फ्रांस के मध्य सहयोग
- भारत और फ्रांस ने हाल ही में जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु अपनी साझेदारी बढ़ाते हुए पर्यावरण मित्र प्रौद्योगिकी के प्रयोग के प्रति साझी प्रतिबद्धता जाहिर की है ।
- भारत सरकार भारत को एक ग्रीन हाइड्रोजन हब बनाने की दिशा में प्रयासरत है जिसमें फ्रांस जैसे देशों की भूमिका महत्वपूर्ण है तथा इसे समझते हुए भारत ने फ्रांस को ग्रीन हाइड्रोजन मिशन हेतु आमंत्रित किया गया ।
भारत एवं जर्मनी के मध्य सहयोग
- भारत को 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा विकास क्षमता हेतु सक्षम बनाने तथा 2030 हेतु निर्धारित जलवायु लक्ष्यों की प्राप्ति में जर्मनी द्वारा 10 बिलियन यूरो की सहायता राशि देने की घोषणा भारत और जर्मनी के बीच पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बढ़ते सहयोग को बताता है ।
ब्रिटेन-भारत के मध्य सहयोग
- भारत और ब्रिटेन ने ग्रीन इकॉनमी और ब्लू इकॉनमी के विकास पर बल देते हुए स्वच्छ उर्जा, अल्प कार्बन अर्थव्यवस्था, ग्रीन हाइड्रोजन विकास, अपशिष्ट प्रबंधन, ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को रोकने हेतु अनेक महत्त्वपूर्ण समझौते किये हैं।
‘ई-अमृत’ वेब पोर्टल
- ब्रिटेन-भारत संयुक्त रोडमैप 2030 के हिस्से के रूप में दोनों देशों ने ग्लासगो में कॉप 26 शिखर सम्मेलन में इलेक्ट्रिक वाहनों पर एक वेब पोर्टल ‘ई-अमृत’ लॉन्च किया।
- जल एवं पर्यावरण क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देने हेतु सी-गंगा (सेंटर फॉर गंगा रिवर बेसिन मैनेजमेंट एंड स्टडीज) और ब्रिटिश वाटर के बीच एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किया गया है।
ग्लोबल ग्रीन ग्रिड
- सौर ऊर्जा को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने तथा जलवायु परिवर्तन से निपटने हेतु भारत और ब्रिटेन द्वारा ग्लोबल ग्रीन ग्रिड को लांच किया गया ।