ruual development in india

भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का विकास

भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का विकास

भारत के ग्रामीण इलाकों में भारत की 65% आबादी निवास करती है तथा 47% आबादी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। ऐसे में भारत की ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था का संतुलित, न्यायसंगत और समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार आवश्‍यक है ।

उल्‍लेखनीय है कि ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था में भारत सरकार के जुड़ाव का उद्देश्‍य “ग्रामीण भारत के सक्रिय सामाजिक-आर्थिक समावेश, एकीकरण और सशक्तिकरण के माध्‍यम से जीवन और आजीविका को बदलना है ।

  • ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए ग्रामीण आवास, पेयजल, स्वच्छता, स्वच्छ ईंधन, सामाजिक सुरक्षा, ग्रामीण आजीविका बढ़ाने के साथ-साथ ग्रामीण कनेक्टिविटी सहित कई उपाय किए गए हैं।
  • माइक्रोफाइनेंस संस्थानों, स्वयं सहायता समूहों और अन्य वित्तीय मध्यस्थों के माध्यम से ग्रामीण परिवारों और छोटे व्यवसायों को वित्तीय जरूरतों को पूरा किया जा रहा है।
  • डिजिटलीकरण और प्रौद्योगिकी को ग्रामीण अर्थव्यवस्था में ले जाना भी ग्रामीण विकास के एजेंडे का एक प्रमुख पहलू रहा है  चाहे वह कृषि गतिविधियों में हो या शासन में महामारी के कारण आवश्यक जोर देने के साथ साथ ग्रामीण आबादी के स्वास्थ्य मापदंडों पर भी प्राथमिक ध्यान दिया गया है।
जीवन की गुणवत्ता के पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार के लिए बहुआयामी पहल
1
सभी के लिए आवास
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत 2.1 करोड़ आवास बनाए गए ।
2
वहनीय गुणवत्‍तापूर्ण स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल
22 करोड़ आयुष्‍मान भारत के तहत 22 करोड़ लाभार्थी
3
बारहमासी सड़क
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत वर्ष 2000 से दिसम्‍बर 2022 तक 7.2 लाख किमी सड़क का निर्माण
4
सुसज्जित स्‍कूल एवं शिक्षक
केन्‍द्र सरकार द्वारा PM SHRI (PM ScHools for Rising India) के तहत 14500 स्‍कूलों की स्‍थापना की गयी । 
5
सामाजिक सुरक्षा
प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत 30 करोड़ तथा तथा प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन  योजना के तहत 49 लाख नामांकित  हुए ।
6
आजीविका सुरक्षा
वित्‍त वर्ष 2023 में 6.5 करोड परिवारों को मनरेगा के तहत कार्य दिया गया । 
7
स्‍वच्‍छ घरेलू ईंधन
प्रधानमंत्री उज्‍जवला योजना के तहत 11 करोड़ एलपीजी कनेक्‍शन दिए गए ।
8
कौशल विकास
दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के तहत 13 लाख लोगों को प्रशिक्षण दिया गया ।
9
पेयजल एवं स्‍वच्‍छता
जल जीवन मिशन के तहत 11 करोड़ नल के कनेक्‍शन दिए गए।
10
बिजली
सौभाग्‍य योजना के तहत 2.9 करोड ग्रामीण परिवारों को बिजली उपलब्‍ध कराया गया ।

NFHS की 2015-16 आंकड़ों एवं 2019 21 आंकड़ों को देखा जाए तो ग्रामीण जीवन की गुणवत्ता से संबंधित अनेक संकेतकों में एक महत्वपूर्ण सुधार दिखाता है। इसमें अन्य बातों के साथ-साथ, बिजली तक पहुंच, बेहतर पेयजल स्रोतों की उपस्थिति, स्वास्थ्य बीमा योजनाएँ के अलावा वित्‍तीय समावेशन, मोबाइल उपयोग, घरेलू निर्णय लेने में  महिला भागीदारी में स्पष्ट प्रगति देखने को मिलती है । आंकड़ों के अनुसार ग्रामीण महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य से संबंधित अधिकांश संकेतकों में सुधार हुआ है।

ग्रामीण विकास में विभिन्न क्षेत्रों में सरकार द्वारा अनेक योजनाओं/कार्यक्रमों का कुशलतापूर्वक संचालन किया गया जिससे ग्रामीण क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं और ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार हुए ।

ग्रामीण जीवन की गुणवत्ता राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के निष्कर्ष

NFHS 4

2015-16

NFHS 5

2019-21

 

जनसंख्‍या

पिछले पांच वर्षों में पैदा हुए बच्चों के लिए जन्म के समय जनसंख्या लिंगानुपात (प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाएं ) 927 931
कुल प्रजनन दर (प्रति महिला बच्चे) 2.4 2.1
 

घरेलू सुविधाएं

बिजली वाले घरों में रहने वाली जनसंख्या 83.2% 95.7%
बेहतर पेयजल स्रोत वाले घरों में रहने वाली जनसंख्या 89.3% 94.6%
खाना पकाने के लिए स्वच्छ ईंधन का उपयोग करने वाले परिवार 24.0% 43.2%
बेहतर स्वच्छता सुविधाओं का उपयोग करने वाले घरों में रहने वाली 36.7% 64.9%
 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

स्वास्थ्य

स्वास्थ्य बीमा/वित्त पोषण योजना के तहत शामिल किए गए किसी भी सामान्य सदस्य वाले स्वास्थ्य परिवार 28.9% 42.4%
शिशु मृत्यु दर 46.0 38.4
जिन माताओं की पहली तिमाही में प्रसवपूर्व जांच हुई 54.2% 67.9%
जिन माताओं ने गर्भवती होने पर 100 दिनों या उससे अधिक समय तक आयरन फोलिक एसिड का सेवन किया 25.9% 40.2%
संस्थागत जन्म 75.1% 86.7%
केवल टीकाकरण कार्ड की जानकारी के आधार पर 12-23 महीने की आयु के बच्चों का पूर्ण टीकाकरण 61.3% 84.0%
12- 23 महीने की आयु के बच्चे जिन्होंने अपने अधिकांश टीकाकरण सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा में प्राप्त किए 94.2% 97.0%
5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे जो नाटे हैं (उम्र के अनुसार ऊंचाई) 41.2% 37.3%
5 वर्ष से कम आयु के बच्चे जो कमजोर हैं (ऊंचाई के अनुसार वजन) 21.5%  19.5%
5 वर्ष से कम आयु के बच्चे जिनका वजन कम है (उम्र के अनुसार वजन 38.3% 33.8%
ऐसी महिलाएं जिनका बॉडी मास इंडेक्स सामान्य से कम है 26.7% 21.2%
6-59 महीने की आयु के बच्चे जो एनीमिक हैं 59.5% 68.3%
15-49 वर्ष की सभी महिलाएं जो एनीमिक हैं 54.3% 58.5%
15-49 वर्ष की आयु के पुरुष ओ एनीमिक हैं 25.3% 27.4%
 

 

 

 

 

महिला सशक्तिकरण

वर्तमान में विवाहित महिलाएँ जो आमतौर पर तीन घरेलू निर्णयों में भाग लेती हैं 83.0% 87.7%
जिन महिलाओं ने पिछले 12 महीनों में काम किया और उन्हें नकद भुगतान किया गया 25.4% 25.6%
अकेले या संयुक्‍त रूप से घर और/या जमीन की मालिक महिलाएं 40.1% 45.7%
बैंक खाता रखने वाली महिलाएं जिनका वे स्वयं उपयोग करती है 48.5% 77.4%
ऐसी महिलाएं जिनके पास मोबाइल है और स्‍वयं उपयोग करती है । 36.9% 46.6% 
महिलाएं जिन्‍होंने कभी इंटरनेट का उपयोग किया लागू नहीं 46.6%
20-24 वर्ष की महिलाओं की शादी 18 वर्ष की उम्र से पहले 31.5% 27.0%

स्रोत: राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण  2015-16 और 2019-21

ग्रामीण लोगों की आय में वृद्धि हेतु पहल/योजनाएं/मिशन

दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन

यह गरीबों की आजीविका में सुधार के लिए दुनिया की सबसे बड़ी पहलों में से एक है जिसका उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को लाभकारी स्वरोजगार और कुशल मजदूरी रोजगार के अवसरों तक पहुंच बनाने में सक्षम बनाना है जिसके परिणामस्वरूप उनके लिए स्थायी और विविध आजीविका विकल्प उपलब्ध हो।

मिशन के चार मुख्य घटक

  1. ग्रामीण गरीब महिलाओं की सामाजिक गतिशीलता और स्व-प्रबंधित और वित्तीय रूप से स्थायी सामुदायिक संस्थानों को बढ़ावा देना और मजबूत करना
  2. वित्तीय समावेशन
  3. स्थायी आजीविका
  4. सामाजिक समावेशन, सामाजिक विकास और अभिसरण के माध्यम से पात्रता तक पहुंच में निवेश

इस कार्यक्रम के मूल में ग्रामीण महिलाएं हैं, जो उनकी क्षमताओं के निर्माण, वित्तीय सहायता प्रदान करने और प्रशिक्षण के माध्यम से उनके सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण पर व्यापक रूप से केंद्रित है ताकि वे आजीविका गतिविधियों को शुरू करने और आत्मनिर्भर बनने में सक्षम हो सकें। भारत के 723 जिलों के 6861 ब्लॉकों में यह कार्य चल रहा है। इसने 81 लाख एसएचजी में गरीब और कमजोर समुदायों की कुल 8.7 करोड़ महिलाओं को संगठित किया है।

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 (मनरेगा) का उद्देश्य प्रत्येक परिवार को एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों की गारंटीकृत मजदूरी रोजगार प्रदान करके देश के ग्रामीण लोगों की आजीविका सुरक्षा को बढ़ाना है।

आंकड़ों के अनुसार 5.6 करोड़ परिवारों ने रोजगार प्राप्त किया और 6 जनवरी 2023 तक कुल 225.8 करोड़ व्यक्ति दिवस रोजगार सृजित किया गया। उल्‍लेखनीय है कि मनरेगा के तहत महिलाओं की भागीदारी 56.3 प्रतिशत रही है ।

केंद्रीय बजट 2023-24 में मनरेगा योजना के लिए 60,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो कि 2022-23 के 73,000 करोड़ रुपये के बजट अनुमानों से 18% कम है।

मनरेगा का ग्रामीण क्षेत्रों में सकारात्मक प्रभाव

सामान्‍य स्थितियों के अलावा महामारी के दौरान भी मनरेगा ने ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था को कई प्रकार से सहायता पहुंचायी जिसे निम्‍न प्रकार समझा जा सकता है-

  • सड़क, सिंचाई, पर्यावरण आदि में ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास में सहायक ।
  • योजना का लाभ उठाने वाले ग्रामीण गरीबों की गरीबी कम करने में सहायक ।
  • ग्रामीणों की आय बढ़ने से घरेलू खपत बढ़ती है तथा ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था में गति रहती है ।
  • निर्धारित कार्यबल का लगभग एक तिहाई महिला होने के कारण लैंगिक समानता बढ़ाने में सहायक ।
  • ऑफ-सीजन, आपातकाल, महामारी आदि में  रोजगार प्रदान कर आजीविका सुरक्षा ।
  • लॉकडाउन के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में लौटे हजारों प्रवासी श्रमिकों को रोजगार उपलब्‍ध कराने में सहायक।
  • ग्रामीण आय में वृद्धि में योगदान कर लोगों के जीवन स्तर में सुधार किया।
  • महामारी के दौरान परिवारों को अतिरिक्त आय प्रदान करके ग्रामीण मांग को प्रोत्‍साहन ।
  • ग्रामीणों को घरों के पास रोजगार देकर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन  ।

मनरेगा के तहत उपलब्धियां

आस्तियों की जियो टैगिंग
  • योजना के तहत काम शुरू करने से पहले, काम के दौरान और काम पूरा होने के बाद 5.2 करोड़ से अधिक संपत्तियों को जियो टैग किया गया है ।
कृषि और संबद्ध गतिविधियों पर अनिवार्य व्यय
  • अधिनियम के प्रावधान के अनुसार लागत के संदर्भ में एक जिले में किए जाने वाले कार्यों का कम से कम 60 प्रतिशत कृषि और संबद्ध से जुड़ी उत्पादक संपत्तियों के निर्माण के लिए व्‍यय किए जाए। 
ई-भुगतान
  • मनरेगा के तहत ई-भुगतान राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक निधि प्रबंधन प्रणाली/ इलेक्ट्रॉनिक फंड प्रबंधन प्रणाली का उपयोग करके श्रमिकों के वेतन का भुगतान सीधे उनके बैंक डाकघर खातों में किया जाता है। अब तक इसके माध्यम से किया गया कुल व्यय 99.7 प्रतिशत है। 
  • डीबीटी योजना के तहत 99 प्रतिशत भुगतान चाहने वालों को उनकी मजदूरी सीधे उनके बैंक खातों में प्राप्त हो रही है जो पारदर्शिता की दिशा में यह एक बड़ा कदम है।
आधार-आधारित भुगतान
  • कुल 7.9 करोड़ श्रमिकों को आधार आधारित भुगतान प्रणाली से जोड़ा गया है। योजना के तहत सुशासन की कुछ पहले निम्नानुसार हैं
  • फर्जी जैसी, डुप्लीकेट, और प्रवासन और मृत्यु जैसे कारणों को समाप्त करने हेतु जॉब कार्ड को समय समय पर सत्यापित और अद्यतन करने की आवश्यकता हेतु अभ्‍यास शुरू कर दिया है।
भ्रष्‍टाचार मुक्‍त व्‍यवस्‍था
  • सुशासन एक पहल के रूप में प्रत्येक ग्राम पंचायत में बनाए जा रहे रजिस्टरों की संख्या को घटाकर 7 कर दिया गया है।
  • दिशानिर्देशों और अनुसूचियों के उल्लंघन के मामलों का नियमित रूप से पालन किए जाने की व्‍यवस्‍था ।
  • अधिकारियों को अपने निष्‍कर्षों को ऑनलाईन दर्ज करने की सुविधा हेतु मई 2021 में क्षेत्रीय अधिकारी निगरानी एप लांच किया गया ।
  • राष्‍ट्रीय मोबाइल निगरानी साफटवेयर द्वारा जियो टैग की गयी तस्‍वीर के साथ मनरेगा कार्यस्‍थल पर श्रमिकों की वास्‍तविक समय उपस्थिति लेने की अनुमति ।
कौशल विकास
  • उन्‍नति परियोजना के तहत मनरेगा श्रमिकों के कौशल आधार को उन्‍नत करने की व्‍यवस्‍था एवं उनकी आजीविका में सुधार किए जाने का प्रयास ताकि वे अपने वर्तमान आंशिक रोजगार से पूर्ण रोजगार की ओर बढ़ सके ।
भूमिहीन परिवारों हेतु रोजगार
  • वैसे परिवार जिनके पास अपनी भूमि नहीं है उनके लिए मनरेगा के तहत रोजगार दिलाने का हर संभव प्रयास ।

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Civil Service Mains Answer writing 

 

उपरोक्‍त से स्‍पष्‍ट है कि मनरेगा ग्रामीण गरीबों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए उन्हें रोजगार के अवसर प्रदान करने में एक गेम-चेंजर भूमिका में रही है।  COVID-19 महामारी जैसे संकट के समय इसने ग्रामीण लोगों को कई प्रकार से सहायता पहुंचायी ।

मनरेगा यद्यपि लाखों लोगों के जीवन पर एक महत्वपूर्ण सकारात्मक प्रभाव लाने की क्षमता है तथापि इस योजना में बजटीय आवंटन में कमी, कम मांग, भुगतान में देरी, जागरुकता की कमी, करों में राज्‍यों की घटती हिस्‍सेदारी, अपर्याप्‍त  निगरानी, संसाधनों की कमी भ्रष्टाचार जैसी कई चुनौतियों है जिनको दूर किए जाने की आवश्‍यकता है । अत: यह आवश्‍यक है कि सरकार सरकार ग्रामीण विकास एवं गरीबों उन्‍मूलन की दिशा में मनरेगा के महत्व को देखते हुए मनरेगा को और प्रभावी बनाने की दिशा में कार्य करें ।

दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना

  • यह योजना राष्‍ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अधीन ग्रामीण गरीब युवाओं के लिए रोजगार से जुड़ा कौशल विकास कार्यक्रम है। नवंबर 2022 के अनुसार योजना के अधीन 13 लाख से ज्‍यादा अभ्यर्थियों को जहां प्रशिक्षित किया जा चुका है वहीं लगभग 8 लाख लोगों को नौकरी मिल चुकी है।

ग्रामीण आवास

  • भारत के प्रत्येक व्यक्ति को आश्रय प्रदान करने के लिए “2022 तक सभी के लिए आवास” शुरू किया गया था। इसी  लक्ष्य के साथ नवंबर 2016 में प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण शुरू किया गया था जिसका उद्देश्य 2024 तक ग्रामीण क्षेत्रों में कच्चे और जीर्ण-शीर्ण घरों में रहने वाले सभी पात्र बेघर परिवारों को बुनियादी सुविधाओं के साथ लगभग 3 करोड़ पक्के पर उपलब्ध कराना था।
  • इसके तहत अन्य सरकारी योजनाओं के साथ अभिसरण के माध्यम से शौचालय निर्माण, पीने के पानी, बिजली कनेक्शन, एलपीजी गैस कनेक्शन और मनरेगा जैसी बुनियादी जरूरतों को भी पूरा करने का लक्ष्‍य रखा गया।
  • योजना के अधीन कुल 2.7 करोड़ घरों को मंजूरी दी गई है और 6 जनवरी 2023 तक 2.1 करोड़ घरों का निर्माण पूरा कर लिया गया है। वित्त वर्ष 2023 में 52.8 लाख घरों को पूरा करने के कुल लक्ष्य के मुकाबले 32.4 लाख घरों को पूरा किया जा चुका है।

पेयजल और स्वच्छता

  • संयुक्‍त राष्‍ट्र सतत विकास लक्ष्‍य 6 का उद्देश्य “सभी के लिए पानी और स्वच्छता की उपलब्धता और स्थायी प्रबंधन सुनिश्चित करना है।” भारत ने शहरी और ग्रामीण परिवारों को पेयजल और सुरक्षित स्वच्छता प्रदान करने में काफी प्रगति की है और इस दिशा में चलाए जा रहे प्रमुख योजनाओं/कार्यक्रमों का विवरण निम्‍नानुसार है

जल जीवन मिशन

  • 15 अगस्त 2019 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर जल जीवन मिशन की घोषणा की गई थी  जिसे राज्यों के साथ साझेदारी में लागू किया जाएगा ताकि स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों, आदिवासी आवासीय विद्यालयों, स्वास्थ्य केंद्रों, गांवों में हर ग्रामीण घर और सार्वजनिक संस्थानों को नल का जल कनेक्शन प्रदान किया जा सके।
  • मिशन की शुरुआत के बाद से 18 जनवरी 2023 तक 19.4 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से 11.0 करोड़ परिवारों को उनके घरों में नल से जलापूर्ति मिल रही है। इसके अलावा, चार राज्य, अर्थात, गोवा, गुजरात, तेलगाना और हरियाणा और तीन केंद्र शासित प्रदेश, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दादरा नगर हवेली और दमन दीव तथा पुडुचेरी ‘हर घर जल’ वाले यानी घरों में 100%  नल से जलापूर्ति वाले राज्य/केंद्र शासित प्रदेश बन गए हैं।

जन स्वास्थ्य के साधन के रूप में जल जीवन मिशन

क्रेमर एट अल के वर्ष 2022 के अध्‍ययन से यह अनुमान लगाया गया है कि जल जीवन मिशन के माध्यम से सूक्ष्म जीवविज्ञानी संदूषण मुक्त पानी की आपूर्ति से हर साल 5 वर्ष से कम उम्र के 1.36 लाख बच्चों की मौत को रोका जा सकता है।

जल उपचार से बड़े पैमाने पर शुद्ध लाभ होने की संभावना है और यह स्वच्छ भारत अभियान जैसे कदमों का पूरक है, जिससे स्वच्छता में सुधार के माध्यम से बाल मृत्यु दर को रोका जा सके।

स्वास्थ सेवाओं के महानिदेशालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, प्रत्येक ग्रामीण घर के दरवाजे पर सुरक्षित और पीने योग्य पेयजल की उपलब्धता के साथ जल जनित रोग 2019 में 1.8 करोड़ से घटकर 2021 में 59.0 लाख हो गए हैं।

जल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए कदम

  • भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार पेयजल उपलब्‍ध कराने पर जोर ।
  • जल गुणवत्ता निगरानी और निगरानी गतिविधियों को सर्वोच्च प्राथमिकता ।
  • परीक्षण किटों के साथ-साथ प्रयोगशालाओं में जल गुणवत्ता परीक्षण ।
  • डेटा अपलोड, विश्लेषण और गुणवत्ता मामले में स्थानीय अधिकारियों द्वारा तत्काल उपचारात्मक कार्रवाई ।
  • प्रत्येक गांव में आशा कार्यकर्ता, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सहित चयनित महिलाओं को फील्ड टेस्ट किट का उपयोग करके किसी भी प्रकार के संदूषण के पानी के नमूनों का परीक्षण करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।
  • पीएच, क्षारीयता, क्लोराइड, नाइट्रेट, कुल कठोरता, फ्लोराइड, लोहा, अवशिष्ट मुक्त क्लोरीन के आधार पर जल गुणवत्ता परीक्षण हेतु महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया ।
  • पानी के नमूनों की जांच हेतु 2,067 जल परीक्षण प्रयोगशालाएं हैं । इसके अलावा अनेक राज्‍यों ने दूरदराज के गांवों में पानी के नमूने एकत्र करने और परीक्षण करने में सक्षम बनाने हेतु मोबाइल वैन भी उपलब्ध कराए हैं।
  • वित्त वर्ष 2023 में दिसंबर 2022 तक प्रयोगशालाओं में 27.0 लाख से अधिक जल के नमूनों का परीक्षण किया गया।
  • स्थानीय जल उपयोगिताओं के प्रदर्शन का आकलन तथा घरों में जल सेवा वितरण की स्थिति का आकलन हेतु प्रतिवर्ष एक  कार्यात्मक मूल्यांकन अभ्यास का आयोजन । घरेलू नल कनेक्शन-2022 की कार्यक्षमता के आकलन के अनुसार 87%  नमूना परिवारों को पीने योग्य पानी प्राप्त हुआ।
  • 10 अक्टूबर 2022 तक देश भर में 8.7 लाख स्कूलों (84.6%) और 8.9 लाख (80.6%) आगनवाड़ी केंद्रों को पीने और मध्याह भोजन पकाने, हाथ धोने और शौचालयों में उपयोग के लिए पीने योग्य नल का पानी उपलब्ध कराया गया है।
  • 2 अक्टूबर 2022 को 100 दिवसीय जल गुणवत्ता अभियान स्वच्छ जल से सुरक्षा की घोषणा की गई जिसमें सूचना, शिक्षा और संचार प्रशिक्षण गतिविधियों और नागरिक विज्ञान दृष्टिकोण का उपयोग करके ग्रामीणों की क्षमता निर्माण के माध्यम से पानी की गुणवत्ता के महत्व पर जागरूकता निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया गया।
  • जल जीवन मिशन द्वारा समर्थित विभिन्न आईआईटी में पेयजल में स्थिरता लाने हेतु नवाचारों और प्रौद्योगिकियों के विकास पर कार्य किया किया जा रहा है।

मिशन अमृत सरोवर

भविष्य के लिए जल संरक्षण के उद्देश्य से 24 अप्रैल 2022 को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर मिशन अमृत सरोवर का शुभारंभ किया गया। मिशन का उद्देश्य स्वतंत्रता के 75वें वर्ष इस अमृत वर्ष के दौरान देश के प्रत्येक जिले में 75 जल निकायों का विकास और कायाकल्प करना है। अब तक 50,000 अमृत सरोवर के प्रारंभिक लक्ष्य को लेकर कुल 93291 से अधिक अमृत सरोवर स्थलों की पहचान की गई है और 54,047 से अधिक स्थलों पर काम शुरू हो गया है। इन शुरू किए गए कार्यों में से अब तक कुल 27071 से अधिक अमृत सरोवर का निर्माण किया जा चुका है। इस मिशन के तहत निम्नलिखित कार्य किए गए।

  • इस मिशन में स्वतंत्रता सेनानियों, शहीदों के परिवारों, पद्म पुरस्कार विजेताओं और स्थानीय क्षेत्रों के अन्य वरिष्ठ नागरिकों की भागीदारी ने बड़े पैमाने पर सामुदायिक भागीदारी में मदद करते हुए इस मिशन को एक जन आंदोलन बना दिया।
  • जल उपभोक्ता समूहों को प्रत्येक अमृत सरोवर के साथ जोड़ा गया है, साथ ही साथ स्थानीय समुदाय की आजीविका के आधार में सुधार किया गया है।
  • इस मिशन के तहत लगभग 32 करोड़ घनमीटर जल धारण क्षमता को बढाया गया है।
  • इस मिशन में “श्रम दान” के रूप में लोगों की भागीदारी के फलस्‍वरूप प्रति वर्ष 1,04,818 टन कार्बन की कुल कार्बन पृथक्करण क्षमता का निर्माण होगा।

जलदूत ऐप

  • एक ग्राम पंचायत के चयनित खुले कुओं के माध्यम से पानी के स्तर को माप कर केंद्रीय सर्वर पर जलस्‍तर के दस्तावेजीकरण हेतु सितंबर 2022 में जलदूत ऐप को लॉन्च किया गया।
  • जलदूत मोबाइल ऐप का उपयोग करके भूजल की निगरानी, जल बजट और जल संचयन और संरक्षण संबंधी कार्यों की योजना बनाने में मदद मिलेगी। 7 दिसंबर 2022 तक कुल 3,66,354 कुओं की माप की जा चुकी है।

स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण)

  • भारत में स्वच्छता सुनिश्चित करने और खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) बनाने हेतु 2 अक्टूबर 2014 को यह आरंभ किया गया था। 2 अक्टूबर 2019 तक देश के सभी गांवों में ओडीएफ का दर्जा हासिल करने के बाद इस मिशन के दूसरे चरण को वित्त वर्ष 2021 से वित्त वर्ष 2025 की अवधि में लागू किया जा रहा है जिसमें गांवों की ओडीएफ स्थिति को बनाए रखने और सभी गांवों को शामिल करने पर ध्यान दिया जा रहा है।
  • ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन अर्थात गांवों को ओडीएफ से ओडीएफ प्लस में बदलने के लिए इस मिशन के तहत 10 नवंबर 2022 तक 1.24 लाख से ज्‍यादा गांवों को ओडीएफ प्लस घोषित किया जा चुका है। उल्‍लेखनीय है कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह ने अपने सभी गांवों को ओडीएफ प्लस मॉडल घोषित कर यह पहला स्वच्छ, सुजल प्रदेश बन गया है।

एलपीजी कनेक्शन

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना 2.0, स्वच्छ भारत बेहतर जीवन

  • वर्ष 2016 में ग्रामीण और वंचित परिवारों को रसोई गैस जैसे स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन उपलब्ध कराने के लिए एक प्रमुख योजना के रूप में “प्रधान मंत्री उज्ज्वला योजना” की शुरूआत की गयी थी । उल्‍लेखनीय है कि खाना पकाने के पारंपरिक ईंधन जैसे लकड़ी, कोयला, गाय के गोबर के उपले आदि से ग्रामीण महिलाओं के स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण पर भी हानिकारक प्रभाव पड़ा है।
  • इस योजना के तहत 9.5 करोड़ एलपीजी कनेक्शन जारी करके एलपीजी कवरेज को मई 2016 के 62% से बढ़ाकर 1 अप्रैल 2021 को 99.8% करने में मदद मिली है।
  • वित्त वर्ष 22 के केंद्रीय बजट के अधीन उज्ज्वला 2.0 के माध्‍यम से अतिरिक्त एक करोड़ एलपीजी कनेक्शन जारी करने का प्रावधान किया गया है। इस चरण में प्रवासी परिवारों को विशेष सुविधा दी गई है। उज्‍जवला 2.0 योजना के तहत नवंबर 2022 तक लगभग 1.6 करोड़ कनेक्शन जारी किए जा चुके हैं।

ग्रामीण कनेक्टिविटी

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना

  • इस योजना का उद्देश्य देश के ग्रामीण क्षेत्रों में मैदानी क्षेत्रों में 500+ तथा उत्तर-पूर्वी और हिमालयी राज्यों में 250 जनसंख्‍या वाले असंबद्ध बस्तियों को एकल बारहमासी सड़क संपर्क की व्यवस्था करना है। उल्‍लेखनीय है कि इस योजना ने बुनियादी सेवाओं तक पहुंच प्रदान करने और ग्रामीण जनता को आय बढ़ाने में अत्यधिक मदद की है।
  • कार्यक्रम को तीन चरणों में प्रारंभ इस कार्यक्रम के नवीनतम तीसरे चरण की शुरुआत जुलाई 2019 में हुई । विभिन्न स्वतंत्र प्रभाव मूल्यांकन अध्ययन किए गए, जिनसे यह निष्कर्ष निकला कि इस योजना का कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, शहरीकरण, रोजगार सृजन आदि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

बिजली

सौभाग्य – प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना

  • 2017 में आरंभ प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना-सौभाग्य का उद्देश्य मार्च 2019 तक देश के ग्रामीण क्षेत्रों में सभी इच्छुक गैर-विद्युतीकृत घरों और देश में शहरी क्षेत्रों में सभी इच्छुक गरीब परिवारों को बिजली कनेक्शन प्रदान करने के लिए सार्वभौमिक घरेलू विद्युतीकरण प्राप्त करना है।
  • आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को मुफ्त कनेक्शन देने के अलावा इस योजना में ऑनस्पॉट पंजीकरण, कनेक्शन जारी करने हेतु शिविरों का आयोजन जैसे पहल भी शामिल था। उल्‍लेखनीय है कि सौभाग्य योजना को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है और 31 मार्च 2022 को बंद कर दिया गया है।

दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना

  • ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति की गुणवत्ता और विश्वसनीयता में सुधार के उद्देश्य से नवंबर 2014 में इस योजना की शुरुआत की गयी। इस योजना में ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति में सुधार हेतु गांवों/बस्तियों में बिजली हेतु बुनियादी ढांचे के निर्माण, सुदृढ़ीकरण, विद्युत वितरण, उपभोक्ताओं की मीटरिंग आदि की परिकल्पना की गई थी।
  • राज्यों द्वारा पहचाने गए बीपीएल परिवारों को अंतिम मील कनेक्टिविटी और मुफ्त बिजली कनेक्शन भी प्रदान किए गए । अक्टूबर 2017 में सौभाग्य अवधि शुरू होने के बाद से विभिन्न योजनाओं (सौभाग्य, डीडीयूजीजेवाई, आदि) के तहत कुल 2.9 करोड़ घरों का विद्युतीकरण किया गया है।

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