28वां संयुक्त राष्ट्र कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज

28वां संयुक्त राष्ट्र कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज

COP-28 शिखर सम्मेलन

 

संयुक्त अरब अमीरात में आयोजित हो रहे 28वें संयुक्त राष्ट्र कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज शिखर सम्मेलन पूर्व के सम्‍मेलनों से महत्‍वपूर्ण है क्योंकि इस सम्‍मेलन में यह जलवायु-स्वास्थ्य संबंध को प्राथमिकता दिया गया तथा स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन के गहरे प्रभाव पर जोर देते हुए एक समर्पित ‘स्वास्थ्य दिवस’ की शुरुआत की गयी।

उल्‍लेखनीय है कि कॉप शिखर बैठकों का मूल उद्देश्य ऐसे बाध्यकारी समझौतों को अंजाम देना था जो ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को सीमित करने में मदद करे।

जलवायु संकट एवं मानवाधिकार

जलवायु संकट प्रत्‍यक्ष एवं अप्रत्‍यक्ष रूप से जीवन का अधिकार, आवास, भोजन और पानी के अधिकार जैसे कई मानवाधिकारों को प्रभावित करता है। उल्‍लेखनीय है कि स्वस्थ वातावरण में रहने के मानवाधिकार को पूरी दुनिया में मान्यता प्राप्‍त है।

वैश्विक घटनाएं जैसे जलते जंगल, बढ़ता प्रदूषण, गर्म होते नगर, आपदाओं की बढ़ती तीव्रता, तटीय तूफान, जलवायु संकट आदि दुनिया भर में जीवन और आजीविका पर भारी असर डाल रहा है जो निकट भविष्य में और तीव्र गति से और अनियमित रूप से वृद्धि होगी।

 

COP-28 घोषणा के प्रमुख बिंदु

  • जलवायु और स्वास्थ्य पर COP-28 घोषणा विभिन्‍न मुद्दों जैसे चरम मौसमी घटनाओं, जल की कमी, वायु प्रदूषण, खाद्य असुरक्षा, वेक्टर-जनित बीमारियों को संबोधित करने हेतु समन्वित अंतरराष्ट्रीय प्रयास की आवश्यकता ।
  • COP-28 घोषणा में जलवायु परिवर्तन के स्वास्थ्य प्रभावों को कम करने के लिए उत्सर्जन में कटौती, जलवायु अनुकूलन और स्वास्थ्य प्रबंधन, जलवायु वित्तपोषण विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
  • घोषणा में जीवाश्म ईंधन का स्पष्ट रूप से उल्लेख न करते हुए जलवायु शमन के महत्व पर प्रकाश डालता है। हांलाकि जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने और नवीकरणीय ऊर्जा में परिवर्तन एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य परिणाम प्राप्‍त होगा।
  • यह घोषणा पर्यावरणीय कारकों, जलवायु स्थितियों और रोगाणुरोधी प्रतिरोध के बीच संबंधों पर उन्नत शोध की आवश्यकता के साथ साथ भविष्य की महामारियों को रोकने के लिए गहन प्रयासों की आवश्यकता पर बल देता है।
  • यह घोषणा जलवायु परिवर्तन के स्वास्थ्य प्रभावों से सर्वाधिक प्रभावित होने वाली कमजोर आबादी को विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्‍यकता को रेखांकित करता है।

 

COP-28 की घोषणा संबंधी चुनौतियाँ

  • ग्लोबल क्लाइमेट एंड हेल्थ अलायंस के 2023 के विश्लेषण से पता चलता है कि ऐतिहासिक रूप से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार अधिकांश जी-20 देशों ने अपनी जलवायु कार्य योजनाओं में स्वास्थ्य को पर्याप्त रूप से प्राथमिकता नहीं दी है।
  • बदलते मौसम पैटर्न का हाशिए के समूहों पर असमान प्रभाव, बढ़ते तापमान के साथ वेक्टर जनित बीमारियों के जीवन चक्र में बदलाव, जलवायु वार्ताओं में स्वास्थ्य विचारों को एकीकृत करने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
  • COP-28 शिखर सम्मेलन के अनुसार जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले स्वास्थ्य संकटों के निपटने हेतु 2030 तक $ 2-4 बिलियन की वार्षिक लागत का अनुमान है।
  • हांलाकि ग्रीन क्लाइमेट फंड, एशियन डेवलपमेंट बैंक, ग्लोबल फंड और रॉकफेलर फाउंडेशन ने जलवायु और स्वास्थ्य के लिए 1 बिलियन डॉलर के नए वित्त पैकेज का वादा किया लेकिन वित्त पोषण की प्रकृति आदि जैसे सवाल अभी यथावत हैं।
  • भारत सहित वैश्विक दक्षिण के देशों की जलवायु परिवर्तन में छोटी भूमिका है, लेकिन उन पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव बहुत अधिक है। उल्‍लेखनीय है कि संसाधनों की कमी के बावजूद ग्‍लोबल साउथ के देश जलवायु कार्रवाई के लिए प्रतिबद्ध हैं। अत: ग्लोबल साउथ की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए जलवायु वित्त और प्रौद्योगिकी को उपलब्‍ध कराना एक चुनौती है।
  • जलवायु परिवर्तन के कारण गरीबों की आय, उत्‍पादकता एवं स्‍वास्‍थ्‍य लागत प्रभावित होती है जिसके परिणामस्वरूप एक बहुत बड़ी आबादी के गहरे गरीबी संकट में फंसने की संभावना है।
  • जीवाश्म ईंधन वैश्विक जलवायु परिवर्तन में एक प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में माना जाता है लेकिन इसके स्‍थान पर पवन और सौर ऊर्जा में अंतराल की समस्या तो नाभिकीय ऊर्जा में सुरक्षा संबंधी चिंताएं शामिल है इस कारण जीवाश्‍म ईंधन का कोई स्थायी विकल्प होना चाहिए।
  • अंतरराष्ट्रीय नाभिकीय ऊर्जा एजेंसी ने कॉप 28 में कई देशों के साथ एक वक्तव्य तैयार किया जिसने स्पष्ट किया कि विशुद्ध शून्य उत्सर्जन के लिए नाभिकीय ऊर्जा की आवश्यकता है जबकि कई देश जैसे जर्मनी आदि इसे बुनियादी तौर पर असुरक्षित मानते हैं।

 

भारत के संदर्भ में चुनौतियाँ

  • भारत में कणीय वायु प्रदूषण “मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़े खतरे” के रूप में उभर रहा है तथा संभावना है कि 2090 तक वार्षिक रूप में 10 लाख अतिरिक्त मौतों गर्मी से संबंधित मुद्दों के कारण हो सकती है। अत: इस दिशा में प्रभावी कदम उठाने होंगे । उल्‍लेखनीय है कि 2023 के GCHA स्कोरकार्ड के अनुसार राष्ट्रीय जलवायु प्रतिबद्धताओं में स्वच्छ हवा को शामिल करने में भारत का प्रदर्शन सीमित रहा है।
  • हालांकि भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान उत्सर्जन तीव्रता को कम करने, गैर जीवाश्म ईंधन स्रोतों में परिवर्तन और अतिरिक्त कार्बन सिंक बनाने पर ध्यान केंद्रित करता है लेकिन इसके साथ साथ स्वच्छ जल एवं वायु,  टिकाऊ शहरों सहित विभिन्न क्षेत्रों में स्वास्थ्य विचारों को शामिल करने वाले समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता पर भी बल दिया जाना प्रभावी कदम होगा।

सम्‍मेलन की सफलता के लिए कारक

‘स्वास्थ्य सीओपी’ के रूप में COP-28 की सफलता कई प्रमुख कारकों पर निर्भर करती है जिसमें प्रमुख निम्‍न हैं।

  • जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना की दिशा में कार्य करना होगा।
  • अक्षय ऊर्जा को अपनाने की प्रतिबद्धता के साथ जलवायु परिवर्तन के मूल कारणों को रोकने की दिशा में कार्य करना होगा।
  • अक्षय ऊर्जा के माध्‍यम से उत्सर्जन को कम करने की प्रतिबद्धता और अनुदान आधारित जलवायु वित्त पोषण के प्रावधान को शामिल करते हुए अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर ठोस प्रयास करने होंगे।

 

उपरोक्‍त से स्‍पष्‍ट है कि COP-28 शिखर सम्मेलन जलवायु परिवर्तन और सार्वजनिक स्वास्थ्य की दिशा में कार्य करने के लिए अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर एक बेहतर मंच प्रदान करता है जो मजबूत वित्तीय प्रतिबद्धताओं की आवश्यकता और कमजोर आबादी पर असमान प्रभावों को संबोधित करने की आवश्‍यकता पर बल देता है।

अत: यह आवश्‍यक है कि शिखर सम्मेलन सभी हितधारकों जलवायु परिवर्तन और सार्वजनिक स्वास्थ्य की परस्पर चुनौतियों से निपटने के लिए सहयोगात्मक कदम उठाएं।

BPSC Civil Service Test Group 74704-95829

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