प्रश्न –मणिपुर संकट की संक्षिप्त जानकारी प्रदान कीजिए। आपकी दृष्टि में प्रजातीय धार्मिक संघर्ष का राष्ट्रीय राजनीति के परिदृश्य पर क्या संभावित प्रभाव हो सकता है? टिप्पणी कीजिए। (69 बीपीएससी मुख्य परीक्षा)
उत्तर- वर्ष 2023 में गैर-जनजातीय मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने अनुशंसा पर आगे की कार्रवाई हेतु जब मणिपुर उच्च न्यायालय द्वारा राज्य सरकार को निर्देश दिया गया उसके बाद मणिपुर में सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई जिसके बाद अनेक लोगों की जान गए और हजारों विस्थापित हुए।
इस हिंसा का कारण घाटी में बसने वाले मैतेई समुदाय जो मुख्य रूप से हिन्दू तथा मुस्लिम है उनको अनुसूचित जनजाति के दर्जा दिए जाने की मांग का पहाड़ी जिलों के आदिवासियों जैसे कुकी (मुख्यत: ईसाई) आदि द्वारा विरोध किया जाना है।
पहाड़ी आदिवासी समुदाय को लगता है कि यदि मैतेई को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिल जाता है तो मैतेई की आबादी एवं बौद्धिक समर्थन के कारण अनुसूचित जनजाति के रूप में उनको मिलने वाली सुविधाओं पर मैतेई का कब्जा हो जाएगा।
इस प्रकार इस संकट के मूल में प्रजातीय-धार्मिक संघर्ष है जो इनके बीच विभिन्न मुद्दों के लेकर वर्षों से चल रहा है लेकिन अभी तक कोई स्थायी समाधान नहीं हो पाया है। भाषा, धर्म, जाति, भौगौलिक विविधताओं से युक्त देश भारत में इस प्रकार के प्रजातीय-धार्मिक संघर्ष राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित करते हैं जिसके संभावित परिणामों को निम्न प्रकार समझा जा सकता है।
राजनीतिक अस्थिरता
- प्रजातीय-धार्मिक संघर्ष राजनीतिक अस्थिरता, सरकार में अविश्वास, अपराध, हिंसा एवं अवैध गतिविधियों के बढ़ने की संभावना है जिससे राष्ट्रीय विकास बाधित हो सकता है। उदाहरण के लिए असम में धार्मिक संघर्ष आतंकवादी संगठनों की सक्रियता से राष्ट्रीय सुरक्षा प्रभावित हुई।
वोट बैंक राजनीति
- प्रजातीय-धार्मिक संघर्ष अक्सर वोट बैंक की राजनीति का हिस्सा बन जाते हैं जहां राजनीतिक दल समुदाय विशेष का वोट प्राप्त करने हेतु धार्मिक या प्रजातीय अपील करते है जिससे आपसी तनाव और बढ़ जाता है।
संघर्ष विस्तार
- भारत एक बहु-सांस्कृतिक एवं बहु-धार्मिक देश होने के कारण ऐसे संघर्ष का विस्तार दूसरे क्षेत्रों में भी हो सकता है जो राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए खतरा उत्पन्न कर सकता है। उदाहरण के लिए कश्मीर का धार्मिक संघर्ष भारत-पाकिस्तान के बीच एक बड़ा मुद्दा रहा है।
न्याय एवं समानता
- इस प्रकार के संघर्ष सामाजिक न्याय एवं समानता के मुद्दों को उभारते हैं जो राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित करता है।
राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को बढ़ावा
- प्रजातीय-धार्मिक संघर्ष से गृहयुद्ध जैसे हालात, स्वायत्ता की मांग, अलगाववादी आंदोलन को बढ़ावा मिलने से राष्ट्र विरोधी ताकतें सक्रिय होने की संभावना एवं अन्य देशों का हस्तक्षेप बढ़ सकता है।
अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की भावना
- मणिपुर में मैतई समुदाय बहुसंख्यक आबादी है तथा इनको अनुसूचित जनजाति के दर्जा दिए जाने से राष्ट्रीय स्तर पर जहां अन्य समुदायों में ऐसी मांग की भावना बढ़ेगी वहीं अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की भावना भी बढ़ने की संभावना है जिससे राष्ट्रीय स्तर पर समुदायों में आपसी टकराव बढ़ सकता है।
इस प्रकार प्रजातीय धार्मिक संघर्ष का राष्ट्रीय राजनीति पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है । अत: इसे हल करने के लिए लोकतांत्रिक एवं समावेशी दृष्टिकोण की आवश्यकता है जो प्रजातीय धार्मिक समूहों की पहचान, आकांक्षा और समस्याओं की पहचान कर उसे सर्वसम्मति से हल करने का प्रयास करें।
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