प्रश्न- स्थानीय शासन एवं उसकी कार्यपद्धति को पंचायती राज तथा शहरी संस्थाओं के सशक्तिकरण के दृष्टिकोण से, बिहार में धरातलीय स्तर से उदाहरणों के साथ स्पष्ट तथा मूल्यांकित कीजिए।
उत्तर- पंचायती राज तथा शहरी संस्थाओं को सशक्त बनाने के लिए भारतीय संविधान में 1993 में 73वें और 74वें संशोधन के माध्यम से अनेक प्रावधान किए गए हैं जिनमें प्रमुख निम्नानुसार है
- पंचायतों और नगरपालिकाओं को संवैधानिक दर्जा देना
- पंचायतों और नगरपालिकाओं के नियमित चुनाव करवाना
- पंचायतों और नगरपालिकाओं को वित्तीय स्वायत्तता और आयोगों के माध्यम से अनुदान प्रदान करना
- पंचायतों और नगरपालिकाओं को आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के लिए कुछ विषयों का अधिकार देना।
- अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिलाओं के लिए आरक्षण।
- पंचायतों और नगरपालिकाओं द्वारा तैयार योजनाओं का समेकन और विकास योजना का प्रारूप निर्मित करने हेतु एक जिला योजना समिति का गठन का प्रावधान।
इस प्रकार स्थानीय शासन एवं उसकी कार्यपद्धति को संवैधानिक मान्यता देकर पंचायती राज एवं शहरी संस्थाओं को सशक्त बनाया गया है ।
बिहार सरकार द्वारा पंचायती राज तथा शहरी संस्थाओं के सशक्तिकरण के दृष्टिकोण से स्थानीय शासन में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला आरक्षण, नियमित चुनाव, जिला योजना समिति, वित्तीय अनुदान जैसे प्रावधानों को शामिल किया गया है लेकिन इनके बेहतर क्रियान्वयन न होने से धरातल पर आज भी ये संस्थान उतने बेहतर और सशक्त तरीके से कार्य नहीं कर पा रहे है जिसको निम्न प्रकार समझा जा सकता है।
- नियमों के उल्लंघन की जांच हेतु सुव्यवस्थित निगरानी तंत्र का अभाव है।
- ग्राम पंचायतों के निर्वाचित प्रतिनिधियों में प्रशासनिक अनुभव की कमी से सरकारी कर्मचारियों पर अत्यधिक निर्भरता।
- महिलाओं की निरक्षरता और नेतृत्व कौशल की कमी से अधिकांश कार्य उनके पतियों द्वारा किया जाना।
- पंचायतों को पर्याप्त करारोपण की शक्ति प्रदान नहीं की गयी है।
- जिला योजना समिति द्वारा राज्य एवं केन्द्र योजनाओं के तहत लिए गए विकास कार्यों पर विचार नहीं किए जाने से इसके उद्देश्यों की प्राप्ति आंशिक रही।
- राज्य वित्त आयोग की अनुशंसाओं को अक्षरश: लागू नहीं किया गया।
- बिहार में पंचायती राज संस्थाओं का राजनीतिकरण तथा सरकारी एजेंसियों के रूप में कार्य विकेंद्रीकृत लोकतंत्र को कमजोर कर रही है।
- बिहार सरकार द्वारा स्थानीय संस्थाओं को कार्यों एवं प्राधिकारों का वास्तविक हस्तांतरण जहां बहुत कम किया गया है ।
इस प्रकार बिहार में पंचायती राज तथा शहरी संस्थाओं को सशक्त बनाने के लिए व्यापक प्रावधान किए गए है जो कई क्षेत्रों में बेहतर कार्य कर रही है लेकिन कार्यपद्धति तथा बेहतर क्रियान्वयन संबंधी कमियां इसकी सशक्तिकरण की राह में बाधा है जिसे दूर करने की आवश्यकता है।
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