प्रश्न- बिहार की जलवायु को प्रभावित करनेवाले कारकों की व्याख्या कीजिए। राज्य में कृषि जलवायु क्षेत्र को किस प्रकार से एवं कितने भागों में विभाजित किया गया है? यहां साल में कितने मौसम पाए जाते हैं ? इन मौसमों के कृषि पर प्रभाव की विवेचना कीजिए।
उत्तर- अक्षांशीय दृष्टिकोण से कर्क रेखा के उत्तर में स्थित संपूर्ण बिहार उपोष्ण कटिबंध में पड़ता है जहां मुख्य रूप से उष्ण मानसूनी जलवायु पायी जाती है । बिहार की जलवायु को प्रभावित करनेवाले प्रमुख कारकों निम्नानुसार है
हिमालय की अवस्थिति
- बिहार के उत्तर में स्थित हिमालय जहां मध्य एशिया की ठंडी हवाओं को रोक बिहार महाद्वीपीय जलवायु स्वरूप प्रदान करती है वहीं बंगाल की खाड़ी की मानसूनी हवाएँ हिमालय से टकराकर उत्तर बिहार में भारी वर्षा कराती है।
बंगाल की खाड़ी से निकटता
- बिहार बंगाल की खाड़ी के निकट स्थित है जो बंगाल की खाड़ी से आनेवाले मानसून तथा चक्रवातों से प्रभावित होती है।
अक्षांशीय स्थिति
- बिहार का अंक्षाशीय विस्तार 24°N से 27°N है जहां ग्रीष्म काल में अत्यधिक सूर्याताप प्राप्त होता है जो यहां के तापमान और वर्षा को प्रभावित करता है।
वायुमंडलीय दशाएं
- ग्रीष्मकाल में पश्चिम भारत में विकसित निम्न वायुदाब से आकर्षित होकर बंगाल की खाड़ी स्थित उच्चवायु दाब वाले हवाएं बिहार में पूर्व से पश्चिम प्रवाहित होते हुए वर्षा कराती है।
पश्चिमी विक्षोभ
- पश्चिमी विक्षोभ के सहारे ठंडी हवाओं का बिहार में प्रवेश होता है जिससे शीतकालीन वर्षा होती है।
बिहार में मृदा की विशेषता, वर्षा की मात्रा, तापमान और क्षेत्र के आधार पर बिहार को 3 मुख्य कृषि-जलवायु क्षेत्रों में विभाजित किया गया है जो निम्नलिखित है

कृषि जलवायु क्षेत्र-1
- यह उत्तरी जलोढ़ मैदान क्षेत्र है जो गंगा नदी के उत्तर में बिहार के उत्तर पश्चिमी भाग में स्थित मध्यम वर्षा वाला क्षेत्र है।
कृषि जलवायु क्षेत्र-2
- उत्तर पूर्व जलोढ़ मैदान जो गंगा के उत्तर पूर्वी भाग में स्थित है तथा कोसी के कारण आनेवाली बाढ़ से प्रभावित तथा अत्यंत वर्षा वाला क्षेत्र है।
कृषि जलवायु क्षेत्र-3
- इसे 2 उपभागों दक्षिण पूर्व जलोढ़ मैदान तथा दक्षिण पश्चिम जलोढ़ मैदान में बांटा गया है। दोनों गंगा नदी के दक्षिण में स्थिति कम वर्षा वाले क्षेत्र है जिनकी अपनी विशेषताएं हैं।
विशिष्ट भौगौलिक स्थिति तथा विभिन्न कारणों से बिहार में उष्ण मानसूनी जलवायु पायी जाती है जहां 3 प्रकार के मौसम दृष्टिगोचर होते है और इनका कृषि पर प्रभाव निम्न प्रकार से समझा जा सकता है
- ग्रीष्म ऋतु- मार्च से जून तक रहने वाले इस मौसम में उच्च तापमान रहता है तथा बौछार भी होती है जो आम, लीची के साथ साथ जूट की फसल हेतु लाभदायक होती है।
- वर्षा ऋतु- जूलाई से सितम्बर तक की अवधि वाला मौसम खरीफ फसलों के लिए अनुकूल है। उच्च वर्षा, आर्द्रता और उमस धान के लिए अनुकूल होती है ।
- शीत ऋतु -अक्टूबर से फरवरी तक रहनेवाले मौसम में बिहार का औसत तापमान 16 डिग्री सेल्सियस रहता है जो रबी फसलों, गेहॅूं, जौ, चना, सरसो आदि के लिए अनुकूल होता है। इस समय होनेवाली शीतकालीन वर्षा रबी फसल के लिए लाभदायक होती है।
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