प्रश्न- भारत की मानसून प्रणाली, इसके स्वभाव, प्रकार, जलवायु परिवर्तन, वितरण, समनार्थी शब्द, पूर्वी एवं पश्चिमी जेट स्ट्रीम तथा व्यवहार्यता का वर्णन कीजिए।
भारतीय मानसून सामान्य रूप में मौसमी हवा का बदलाव है जो मुख्य रूप से भूमि और महासागर के मध्य तापीय अंतर से उत्पन्न होता है। प्राचीन काल में इन हवाओं से व्यापारियों को नौकायन में मदद मिलती थी जिसके कारण इन्हें व्यापारिक हवाएं भी कहा जाता है।
- गर्मियों में अधिक सूर्यातप के कारण भारत का स्थलीय भाग गर्म हो न्यून दाब का क्षेत्र बनाता है तो हिन्द महासागर क्षेत्र से स्थल की ओर नमी युक्त हवाएं चलने लगती है वही शीतकाल में इसके विपरित जब सागरीय भाग न्यून दाब के क्षेत्र बन जाते हैं तो स्थलीय भाग से सागर की ओर हवाएं चलने लगती है।
भारतीय मानसून का स्वभाव
- मानसून हवाएं शीतकाल में उत्तर-पूर्व दिशा से दक्षिण-पश्चिम की ओर तथा ग्रीष्मकाल में दक्षिण-पश्चिम दिशा से उत्तर-पूर्व दिशा की ओर बहती है। भारतीय मानसून प्रणाली अल-नीनो, ला-नीना, जेट स्ट्रीम, हिन्द महासागर द्विध्रुव आदि कारणों से प्रभावित होती है।
मानसून का प्रकार
हवाओं की दिशा में बदलाव भारतीय मानसून की प्रमुख विशेषता है। भारत में मुख्य रूप से दो प्रकार के मानसून पाए जाते हैं जो निम्नलिखित है
- दक्षिण-पश्चिम मानसून- इसकी अवधि जून से सितंबर है जो हिंद महासागर और अरब सागर से नमी लेकर भारत के दक्षिण-पश्चिम तट पर वर्षा कराती है। आगे बढ़ते हुए यह अरब सागर शाखा और बंगाल की खाड़ी शाखा में बंटकर भारत के अधिकांश हिस्सों में भारी वर्षा कराता है।
- उत्तर-पूर्व मानसून- अक्टूबर से दिसंबर की अवधि वाला यह मानसून बंगाल की खाड़ी और आस-पास से नमी लेकर दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में वर्षा कराता है।
जलवायु परिवर्तन
- अनुसंधान के अनुसार जलवायु परिवर्तन के कारण होनेवाली भूमंडलीय तापन मानसून में अस्थिरता बढ़ाती है जिससे मानसून में लंबी शुष्क अवधि और भारी बारिश कीअल्प अवधि दोनों होती है जो बाढ़ एवं सूखे जैसी घटनाओं की संभावना बढ़ाती है।
वितरण
- भारतीय मानसून के वितरण में संपूर्ण भारत में भिन्नता पायी जाती है। दक्षिण पश्चिमी मानूसन द्वारा भारत की 80 प्रतिशत से ज्यादा वर्षा होती है । यह पश्चिमी घाट में भारी वर्षा कराती है और भारत के आंतरिक भाग में आगे बढ़ते हुए इसकी तीव्रता कम होती जाती है।
- उत्तर पूर्वी मानसून द्वारा दक्षिण भारत के कुछ भाग विशेषकर तमिलनाडु में वर्षा होती है।
समनार्थी शब्द
- नारवेस्टर- पछुआ पवनों के प्रभाव से पूर्व की ओर चलते हुए असम, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल में वर्षा कराती है।
- चाय वर्षा- असम में मई-जून में होनेवाली वर्षा जो चाय, पटसन आदि के लिए महत्वपूर्ण है।
- आम्र वर्षा-दक्षिण भारत के आंतरिक भागों में होनेवाली वर्षा जो आम की फसल के लिए लाभदायक होती है। कर्नाटक में कहवा के लिए लाभकारी होने के कारण फुलों वाली बौछार भी कहा जाता है।
पूर्वी जेट स्ट्रीम
- ग्रीष्मकाल में तिब्बत के पठार के गर्म होने से पूर्वी जेट स्ट्रीम का विकास होता है जो 15 डिग्री उत्तरी अक्षांश के आसपास प्रायद्वीपीय भारत के ऊपर चलती है जो दक्षिण पश्चिम मानसून पवनों के आने में सहायक होती है।
पश्चिमी जेट स्ट्रीम
- शीतकाल पश्चिमी जेट स्ट्रीम का विकास शीतकाल में होता है जो हिमालय की श्रेणियों द्वारा उत्तरी एवं दक्षिणी भागों में विभाजित हो जाती है। दक्षिणी शाखा भारत में शीलकालीन मौसमी दशाओं को प्रभावित कर शीलकालीन वर्षा , ओलावृष्टि करती है।
मानसून की व्यवहार्यता
- भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए मानसून की विशेष व्यवहार्यता है क्योकि ग्रामीण विकास, कृषि, सिंचाई, तथा खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, व्यापार संतुलन जैसे महत्वपूर्ण कार्यों हेतु मानसून की मुख्य भूमिका है।