बिहार सरकार का राजकोषीय प्रदर्शन (बिहार आर्थिक समीक्षा 2023-24 )
बिहार आर्थिक समीक्षा 2023-24 पर आधारित इस लेख में आप बिहार सरकार का राजकोषीय प्रदर्शन संबंधी महत्वपूर्ण तथ्यों को देख सकते हैं जो बिहार सरकार की वित्तीय व्यवस्था को समझने में सहायक है। बिहार की आर्थिक व्यवस्था संबंधी और ज्यादा जानकारी आप बिहार सरकार के अधिकारिक वेवसाइट पर जाकर पढ़ सकते हैें।
यहां पर बिहार सिविल सेवा को ध्यान में रखते हुए केवल महत्वपूर्ण तथ्यों को लाया गया है। बिहार आर्थिक समीक्षा 2023-24 से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों को वनलाइनर फारमेट में आप हमारे वेवसाइट www.gkbucket.com पर भी जाकर अध्ययन कर सकते हैं।
बिहार सरकार के राजकोषीय प्रदर्शन का मूल्यांकन सुस्थिरता (सस्टेनेबिलिटी), लचीलापन (फ्लेक्सिबिलिटी) और अरक्षितता (बल्नरेबिलिटी) से संबंधित कुछ सूचकों का उपयोग करके किया जा सकता है।
सुस्थिरता
अगर राज्य अपने ऋण भार में अचानक और काफी वृद्धि किए बिना अपनी व्यय संबंधी जरूरतों की पूर्ति करने की स्थिति में हो, तो राज्य सरकार की वित्तव्यवस्था को सुस्थिर कहा जा सकता है।
बिहार सरकार की राजकीय वित्तव्यवस्था की सुस्थिरता का मूल्यांकन गत पांच वर्षों (2018-19 से 2022-23 तक) के निम्न सूचकों के आधार पर किया जा सकता है।
वर्तमान राजस्व शेष
- किसी वर्ष में राज्य की वित्तव्यवस्था में वर्तमान राजस्व का धनात्मक शेष बताता है कि राज्य सरकार के पास अपने राजस्व से विकासमूलक व्यय करने के लिए सरप्लस धनराशि मौजूद है। विगत वर्षों के दौरान बिहार में वर्तमान राजस्व शेष लगातार धनात्मक बना रहा है।
- वर्ष 2021-22 में वर्तमान राजस्व शेष 39,520 करोड़ रु. और 2022-23 में 38,333 करोड़ रु. था। इससे पता चलता है कि राज्य की वित्तव्यवस्था अभी सुस्थिर है।
ब्याज अनुपात
- इस अनुपात की गणना ब्याज भुगतान के साथ ब्याज प्राप्ति घटाकर बचे कुल राजस्व के अनुपात के बतौर की जाती है । ब्याज अनुपात में अचानक और काफी उछाल आना राज्य सरकार द्वारा किसी नई ऋण सेवा की देयता सुनिश्चित करते हुए अपनी राजस्व प्राप्ति से अपने राजस्व व्यय को पूरा करने की घटी क्षमता को दर्शाता है।
- बिहार के लिए यह अनुपात वर्ष 2022-23 में 10.2 प्रतिशत और 2021-22 में 10.1 प्रतिशत था जो यह बताता है कि राज्य सरकार की वित्तव्यवस्था अभी सुस्थिर है।
बकाया ऋण में वृद्धि
- वर्ष के अंत में राज्य सरकार का ऋण भार उसकी देनदारी होता है। बकाया ऋण में तेज और अधिक उछाल से राज्य की वित्तव्यवस्था की सुस्थिरता के सामने चुनौती खड़ी हो जाती है।
- राज्य सरकार का बकाया ऋण गत दो वर्षों में लगभग बराबर ही रहा है। यह 2021-22 में 13.3 प्रतिशत और 2022-23 में 13.9 प्रतिशत था। यह सूचक भी बताता है कि राज्य सरकार की वित्तव्यवस्था अभी सुस्थिर है।
कुल राजस्व प्राप्ति में वृद्धि
- राजस्व प्राप्ति में लगातार वृद्धि होती रहे तो उससे राज्य सरकार को अपनी व्यय संबंधी जरूरतें पूरी करने के साथ-साथ बकाया ऋण की अदायगी बढ़ाकर बकाया ऋण घटाने में भी मदद मिलती है।
- राज्य सरकार के राजस्व लेखे में प्राप्ति में 2022-23 में 8.7 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर दर्ज हुई है जो दर्शाता है कि राज्य सरकार की वित्तव्यवस्था अभी सुस्थिर है।
राज्य की अपनी राजस्व प्राप्ति में वृद्धि
- अपने स्रोतों से राजस्व बढ़ने से राज्य सरकार की राजकोषीय क्षमता बढ़ती है। साथ ही, अपनी व्यय संबंधी जरूरतें पूरी करने के लिए केंद्रीय अंतरणों और उधार लेने पर उसकी निर्भरता घटती है।
- राज्य सरकार का अपने स्रोतों से राजस्व में 2021-22 में 6.5 प्रतिशत की मध्यम वृद्धि हुई थी जो 2022-23 में उछलकर 24.4 प्रतिशत पहुंच गई। अपने स्रोतों से राजस्व प्राप्ति में सुधार राज्य सरकार की वित्तव्यवस्था की सुस्थिरता के संबंध में सकारात्मक संकेत देता है।
इस प्रकार सुस्थिरता के उपरोक्त सूचक संयुक्त रूप से यह बताते हैं कि बिहार में राज्य सरकार की वित्तव्यवस्था का समग्रता में प्रदर्शन 2022-23 में सुस्थिर बना हुआ है।
लचीलापन
राजकीय वित्तव्यवस्था लचीली या नम्य तब होती है जब विभिन्न स्रोतों से राजस्व बढ़ाकर या उधार बढ़ाकर, या दोनो के जरिए प्राप्ति बढ़ाने की गुंजाइश मौजूद हो।
बिहार की राजकीय वित्तव्यवस्था के लचीलापन के मूल्यांकन निम्न सूचकों के आधार गत पांच वर्षों 2018-19 से 2022-23 तक के आंकड़ों के साथ किया जा सकता है।
पूंजीगत अदायगी के साथ पूंजीगत ऋणग्रहण का अनुपात
- पूंजीगत ऋणग्रहण के प्रतिशत में पूंजीगत अदायगी किसी वर्ष में अदायगी के लिए प्रयुक्त पूंजीगत ऋणग्रहण के अनुपात को बतलाता है जिसके कारण उसका उपयोग परिसंपत्ति निर्माण के लिए नहीं किया जा सका।
- गत पांच वर्षों में यह अनुपात समग्रतः घटा है और 2018-19 के 46.6 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 34.0 प्रतिशत रह गया है। यह बताता है कि लिए गए उधारों का अधिक हिस्सा राज्य सरकार द्वारा पूंजीगत परिव्यय के बतौर प्रयुक्त हुआ है जो राज्य सरकार की लचीनी वित्तव्यवस्था को दर्शाता है।
पूंजीगत प्राप्ति के साथ पूंजीगत परिव्यय का अनुपात
- इस अनुपात में वृद्धि दर्शाती है कि पूंजीगत परिव्यय बढ़ाकर राज्य के दीर्घकालिक आर्थिक विकास के लिए पूंजीगत प्राप्तियों का उपयोग करना राज्य सरकार का फोकस बना हुआ है।
- हाल के वर्षों में बिहार के लिए यह अनुपात लगातार बढ़ा है और 2019-20 के 42.2 प्रतिशत से 2022-23 में 65.2 प्रतिशत हो गया है। हालिया पैटर्न बताता है कि राज्य सरकार की वित्तव्यवस्था हाल के वर्षों में लचीली बनी रही है।
राज्य की कर प्राप्ति का सकल राज्य घरेलू उत्पाद के साथ अनुपात
- यह अनुपात 2019-20 में 15.2 प्रतिशत था जो 2022-23 में 18.6 प्रतिशत हो गया। यह पैटर्न बताता है कि राज्य सरकार की वित्तव्यवस्था हाल के वर्षों में लचीली बनी रही है।
राज्य की अपनी कर प्राप्ति का सकल राज्य घरेलू उत्पाद के साथ अनुपात
- यह अनुपात बताता है कि किस हद तक राजस्व उसके अपने स्रोतों से प्राप्त हुआ है। इस अनुपात में वृद्धि से पता चलता है कि राज्य सरकार को अपना व्यय बढ़ाने के लिए अधिक लचीलापन उपलब्ध है।
- यह अनुपात 2019-20 के 4.9 प्रतिशत से 2022-23 में 5.9 प्रतिशत हो गया जो बताता है कि राज्य सरकार की वित्तव्यवस्था अभी लचीली है।
बकाया ऋण का सकल राज्य घरेलू उत्पाद के साथ अनुपात
- यह अनुपात राज्य सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था में मूल्यवर्धन के संबंध में संचित हुई देनदारियों को बताता है। इस अनुपात में अचानक और बड़ा उछाल आने से पता चलता है कि राज्य सरकार की वित्तव्यवस्था अपनी व्यय संबंधी जरूरतें पूरी करने के लिए दवाब में है।
- राज्य सरकार का बकाया ऋण 2022-23 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 39.0 प्रतिशत था जो 2021-22 में 38.1 प्रतिशत था।
इस प्रकार उपरोक्त से पता चलता है कि राज्य सरकार की वित्तव्यवस्था हाल के वर्षों में पर्याप्त लचीली बनी रही है।
सुभेद्यता
सुभेद्यता के सूचकों का उपयोग यह मूल्यांकन के लिए किया जाता है कि राजकीय वित्तव्यवस्था कहीं ऐसे जोखिमों के सामने सुभेद्य तो नहीं हो गई है जो राज्य सरकार द्वारा ऋण ग्रहण के विभिन्न स्रोतों से ऋण लेने को प्रभावित कर सकते हों।
बिहार सरकार के राजकीय वित्तव्यवस्था की सुभेद्यता का मूल्यांकन निम्न सूचकों के आधार पर किया जा सकता है
प्राथमिक घाटा
- प्राथमिक घाटा को राजकोषीय घाटा में से ब्याज भुगतानों को घटाकर निकाला जाता है। राज्य सरकार द्वारा ब्याज भुगतान पूर्व देनदारियों के लिए किए जाते हैं। इसलिए इस घाटा का उपयोग राज्य सरकार की वर्तमान नीतियों के प्रभाव के मूल्यांकन के लिए किया जाता है।
- राज्य सरकार का प्राथमिक घाटा 2022-23 में 29,640 करोड़ रु. था जो उस वर्ष के सकल राजकोषीय घाटा का 66.1 प्रतिशत था।
राजस्व घाटा
- राज्य सरकार के राजस्व लेखे में घाटा की गणना लेखे में प्राप्ति और व्यय के बीच अंतर से की जाती है। राजस्व लेखे में घाटा 2022-23 में 11,288 करोड़ रु. था जो 2020-21 के 11,325 करोड़ रु. से कुछ कम है।
- हाल के कुछ वर्षों में राजकीय वित्तव्यवस्था के राजस्व लेखे में अधिशेष भी दिखा था। समग्र पैटर्न से पता चलता है कि राज्य सरकार की वित्तव्यवस्था अभी किसी सुभेद्य स्थिति में नहीं है।
राजकोषीय घाटा
- राज्य सरकार का सकल राजकोषीय घाटा किसी वित्तवर्ष में हुई कुल राजस्व प्राप्ति और किए गए कुल व्यय के बीच के अंतर को दर्शाता है।
- वर्ष 2022-23 में सकल राजकोषीय घाटा 44,823 करोड़ रु. था। हांलाकि इसमें वृद्धि दिखी है लेकिन विगत वर्षों के दौरान यह घाटा काफी नीचे रहा है जो बताता है कि राज्य सरकार की वित्तव्यवस्था सुभेद्य नहीं है।
69BPSC Mains के Model Answer को देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक से जाए।
BPSC Mains Model Answer
Whatsapp/Call 74704-95829
Youtube Channel GK BUCKET STUDY TUBE
बिहार सिविल सेवा की संपूर्ण तैयारी हेतु हमारे टेलीग्राम ग्रुप से जुड़े और लाभ उठाए।
संसाधन प्रबंधन
कर से होने वाली प्राप्ति में राज्य सरकार द्वारा लगाए गए कर और शुल्क, तथा केंद्र सरकार के करों एवं शुल्कों के विभाज्य पूल से मिलने वाला राज्य का हिस्सा शामिल रहते हैं। इसी प्रकार, करेतर राजस्व में राज्य सरकार के अपने करेतर राजस्व और केंद्र सरकार के अनुदान शामिल रहते हैं। केंद्र सरकार से बिहार में राज्य सरकार को गत पांच वर्षों में हुए संसाधनों के सकल अंतरण में समग्रतः वृद्धि हुई है। हालांकि इन वर्षों के दौरान इन अंतरणों के विभिन्न घटकों के तहत प्राप्ति में परिवर्तन का मिला-जुला पैटर्न रहा।
- राज्य सरकार के राजस्व लेखे में हुई कुल प्राप्ति के प्रतिशत के बतौर केंद्रीय कर का हिस्सा 2021-22 के 57.5 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 55.2 प्रतिशत रह गया।
- राजस्व लेखे में हुई कुल प्राप्ति में केंद्रीय अनुदानों का हिस्सा भी हाल के वर्षों में घटा है और कोविड-19 महामारी से प्रभावित वर्ष 2020-21 के 24.8 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 16.8 प्रतिशत रह गया।
- केंद्र सरकार के करों के विभाज्य पूल से राज्य सरकार को प्राप्त हिस्से की रकम 2020-21 91,353 करोड़ रु. से बढ़कर 2022-23 में 95,510 करोड़ रु. प्राप्त हुए।
- केंद्र सरकार से सहायता अनुदान की प्राप्ति में समग्रतः वृद्धि हुई है। यह 2018-19 के 24,652 करोड़ रु. से बढ़कर 2022-23 में 29,026 करोड़ रु. पहुंच गया।
- अनुदान के बतौर अंतरण कोविड-19 से प्रभावित वर्ष 2020-21 सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया था। हालांकि अगले साल गिरावट आई थी।
राज्य में कर राजस्व का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत राज्य वस्तु एवं सेवा कर है जिसका गत पांच वर्षों में कर राजस्व में आधा से अधिक हिस्सा रहा है। अन्य महत्वपूर्ण स्रोत विक्री, व्यापार आदि पर कर, स्टांप एवं निबंधन शुल्क तथा वाहन कर हैं। अन्य दो छोटे घटक भूमि राजस्व और विद्युत शुल्क हैं। चार मुख्य शीर्षों के तहत, जिनका राज्य के कुल कर संग्रहण में लगभग 97 प्रतिशत हिस्सा है।
राज्य सरकार द्वारा 2022-23 में संग्रहित कुल कर राजस्व 44,018 करोड़ रु. था जिसमें से 23,243 करोड़ रु. राज्य वस्तु एवं सेवा कर के बतौर संग्रहित हुआ था जो कुल कर राजस्व का 52.8 प्रतिशत है।
व्यय प्रबंधन
राज्य सरकार की संचित निधि को राजस्व और पूंजीगत लेखों में वर्गीकृत किया जाता है और इन लेखों से होने वाले व्यय क्रमशः राजस्व व्यय और पूंजीगत व्यय होते हैं। इन व्ययों को कामकाजी श्रेणियों में विभाजित किया जाता है- सामान्य सेवाएं, सामाजिक सेवाएं और आर्थिक सेवाएं। वहीं, इन तीनो सेवाओं के अलावा पूंजीगत परिव्यय पर व्यय, ऋणों की अदायगी, स्थनीय निकायों को अनुदान और स्वायत्त संस्थानों को अनुदान अन्य व्यय शीर्ष होते हैं।
- राज्य सरकार के कुल व्यय में समग्रतः वृद्धि हुई है जो 2022-23 में 2,31,904 करोड़ रु. पहुंच गया।
- वर्ष 2022-23 में गत वर्ष की अपेक्षा व्यय में प्रतिशत वृद्धि सामाजिक सेवाओं पर 16.1 प्रतिशत, आर्थिक सेवाओं पर 15.9 प्रतिशत और सामान्य सेवाओं पर 14.5 प्रतिशत रही।
- पूंजीगत परिव्यय पर व्यय 2019-20 में 8.4 प्रतिशत था जो 2022-23 में 13.6 प्रतिशत पहुंच गया।
- राज्य सरकार द्वारा लोक ऋणों की अदायगी पर व्यय के हिस्से में काफी बदलाव आया जो 2018-19 के 4.7 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 6.2 प्रतिशत हो गया।
- वर्ष 2022-23 में राज्य सरकार का राजस्व व्यय सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 24.5 प्रतिशत था।
- राज्य सरकार के व्यय में अच्छा-खासा हिस्सा ब्याज और अपने कर्मचारियों के वेतन और सेवानिवृत्त कर्मचारियों के पेंशन का होता है जो हाल के वर्षों में ये व्यय लगातार बढ़े हैं। वर्ष 2022-23 में सकल ब्याज भुगतान 9.9 प्रतिशत बढ़ा जबकि वेतन और पेंशन पर कुल व्यय सकल राज्य घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के बतौर 2022-23 में 6.4 प्रतिशत था।
सामाजिक सेवाओं पर व्यय
राज्य सरकार द्वारा सामाजिक सेवाओं पर व्यय ऐसे क्षेत्रों पर व्यय है जो लोगों के समग्र कल्याण के लिए आवश्यक हैं। सामाजिक सेवाओं पर व्यय के तहत शामिल मुख्य क्षेत्र, शिक्षा, खेल, कला एवं संस्कृति, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, जलापूर्ति, स्वच्छता, तथा आवास एवं नगर विकास हैं।
- राज्य सरकार द्वारा सामाजिक सेवाओं पर व्यय 2022-23 में 94,316 करोड़ रु. था जिसे निम्न प्रकार देखा जा सकता है
- सामाजिक सेवाओं पर व्यय का 45.4 प्रतिशत ‘शिक्षा, खेल, कला एवं संस्कृति’ पर ।
- सामाजिक सेवाओं पर कुल व्यय का 23.1 प्रतिशत हिस्सा ‘जलापूर्ति, स्वच्छता, आवास एवं नगर विकास’ पर व्यय ।
- सामाजिक सेवाओं पर कुल व्यय का 12.5 प्रतिशत ‘स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण’ पर व्यय ।
आर्थिक सेवाओं पर व्यय
राज्य सरकार द्वारा आर्थिक सेवाओं पर व्यय में शामिल मुख्य क्षेत्र कृषि एवं सहयोगी गतिविधियां, सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण, ऊर्जा एवं विद्युत, उद्योग एवं खनिज तथा परिवहन हैं। आर्थिक सेवाओं पर कुल व्यय गत वर्ष से 25.8 प्रतिशत बढ़ा जिसे वर्ष 2022-23 के संदर्भ में निम्न प्रकार देखा जा सकता है
- आर्थिक सेवाओं पर कुल व्यय में 25.6 प्रतिशत हिस्सा ऊर्जा एवं विद्युत का था।
- आर्थिक सेवाओं पर कुल व्यय में 8.4 प्रतिशत हिस्सा कृषि एवं सहयोगी गतिविधियों का जबकि सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण पर 6.4 प्रतिशत हिस्सा।
- आर्थिक सेवाओं पर 4.9 प्रतिशत हिस्सा उद्योग एवं खनिज पर व्यय ।
इस प्रकार बिहार सरकार द्वारा सामाजिक, आर्थिक और सामान्य सेवाओं पर प्रति व्यक्ति व्यय में वर्षानुवर्ष वृद्धि देखी गयी। 2011 की जनगणना के अनुसार वर्ष 2022-23 में सामाजिक, आर्थिक और सामान्य सेवाओं पर प्रति व्यक्ति व्यय क्रमशः 7069 रु., 4639 रु. और 4443 रु. था।
व्यय की गुणवत्ता के मापदंड
बिहार सरकार द्वारा किए गए व्यय की गुणवत्ता को दर्शाने वाले कुछ मापदंड निम्न है सिके आधार पर सरकार द्वारा किए गए व्यय का आकलन कर सकते हैं
- कुल व्यय के साथ पूंजीगत परिव्यय का अनुपात
- सकल राज्य घरेलू उत्पाद के साथ पूंजीगत परिव्यय का अनुपात
- सकल राज्य घरेलू उत्पाद के साथ सामाजिक और आर्थिक सेवाओं पर राजस्व व्यय का अनुपात
- सामाजिक सेवाओं पर किए गए गैर-वेतन व्यय का अनुपात।
उपरोक्त मानकों के आधार पर देखा जाए तो बिहार के संदर्भ में अनेक सकारात्मक संकेत प्राप्त होते हैं जो निम्न है
- हाल के वर्षों में सरकार के व्यय में पूंजीगत परिव्यय का बढ़ा हिस्सा दर्शाता है कि दीर्घकालिक विकास के समर्थन में व्यय को प्राथमिकता दी गई है और यह 2019-20 के 8.4 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 13.6 प्रतिशत हो गया है।
- सकल राज्य घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के बतौर पूंजीगत परिव्यय 2019-20 के 2.0 प्रतिशत से बढ़कर 2022-23 में 4.0 प्रतिशत हो गया है।
- राज्य सरकार के सकल राज्य घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के बतौर सामाजिक और आर्थिक सेवाओं पर व्यय भी हाल के वर्षों में बढ़ा है जो 2019-20 के 13.7 प्रतिशत से 2022-23 में 23.3 प्रतिशत हो गया।
इस प्रकार समग्र पैटर्न हाल के वर्षों में राज्य सरकार द्वारा व्यय के गुणवत्ता णवत्ता संबंधी मापदंडों में सुधार का संकेत देता है।