प्रश्न- जीवाश्म ईंधन के विकल्प के रूप में इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम कुछ चुनौतियों के बावजूद भावी पीढ़ी को स्वस्थ पर्यावरण उपलब्ध कराने की दिशा में एक सराहनीय कदम है। बिहार सरकार के इथेनॉल उतपादन संवर्धन नीति 2021 इस दिशा में बहुआयामी लक्ष्य के साथ लाया गया सराहनीय कदम है। चर्चा करें
इथेनॉल सम्मिश्रण क्या है ?
पेट्रोल एवं अन्य ईंधन के साथ इथेनॉल का मिश्रण इथेनॉल सम्मिश्रण कहलाता है। इथेनॉल एक कृषि उप उत्पाद है जो मुख्यत गन्ने, चीनी, रेपसीड, मक्का, चावल की भूसी, मक्का, लकड़ी बायोमास, फ्राइंग तेल आदि से प्राप्त किया जाता है जिसे पहली पीढ़ी एवं दूसरी पीढ़ी में वर्गीकृत किया गया है ।
उल्लेखनीय है कि जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति-2018 के तहत सितम्बर 2021 तक भारत 8.5% इथेनॉल सम्मिश्रण का लक्ष्य हासिल कर चुका है और 2025 तक 20% के लक्ष्य को हासिल करने की ओर अग्रसर है लेकिन इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम में कुछ चुनौतियां भी है ।
इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम की चुनौतियां
- यह नाइट्रस ऑक्साइड का उत्सर्जन कम नहीं करता जो एक अन्य प्रमुख प्रदूषक है।
- इथेनॉल उत्पादन में भूमि उपयोग अत्यधिक अक्षम है।
- गन्ना जल गहन फसल है जो जल की अत्यधिक खपत करता है।
- इथेनॉल का उत्पादन खाद्य सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है, जो गंभीर चिंता का विषय है।
- भारत भारत ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2022 में 121 देशों में से 107वें स्थान पर है वहीं बिहार अति जनधनत्व वाला राज्य है जो पोषण एवं खाद्य सुरक्षा जैसे मामलों में निम्न पायदान पर है।
वैश्विक स्तर पर इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम
उपरोक्त चुनौतियों के बावजूद आनेवाली पीढ़ी को स्वस्थ पर्यावरण उपलब्ध कराने की दिशा में ईंधन में इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम एक सराहनीय कदम है। वर्तमान में दुनिया के अधिकांश देश जीवाश्म ईधन के प्रयोग को कम करने तथा वैकल्पिक और पर्यावरण के अनुकूल ईधन के उपयोग को बढ़ावा के लिए इथेनॉल मिश्रण के अनुपात को बढ़ा रहे हैं। इस दिशा में अमेरिका, चीन, कनाडा और ब्राजील में इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम संचालित हैं ।
हांलाकि भारत में इथेनॉल मिश्रण का स्तर अन्य देशों की तुलना में कम है फिर भी ईंधन पर आयात निर्भरता में कमी, ऊर्जा सुरक्षा, ग्रीन हाऊस गैसों के उत्सर्जन, पर्यावरण प्रदूषण में कमी, कृषक आय में बढ़ोतरी, रोजगार तथा इसके लाभों को देखते हुए सरकार द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से इथेनॉल सम्मिश्रण को प्रोत्साहन दिया प्रोत्साहन दिया जा रहा है जिसमें E-1 00 परियोजना, प्रधानमंत्री जी-वन योजना, गोबर धन योजना तथा जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति-2018 प्रमुख है ।
इथेनॉल उत्पादन संवर्धन नीति, 2021 एवं बिहार
इसी परिप्रेक्ष्य में बहुआयामी लक्ष्य के साथ बिहार में भी इथेनॉल उत्पादन संवर्धन नीति, 2021 को लाया गया तथा इस प्रकार बिहार जैव ईंधन, 2018 की राष्ट्रीय नीति के तहत इथेनॉल संवर्धन नीति लागू करने वाला भारत का पहला राज्य है। उल्लेखनीय है कि बिहार लगभग 12 करोड़ लीटर इथेनॉल के साथ भारत में इथेनॉल उत्पादन में 5 वें स्थान पर है। तथा नीति के कार्यान्वयन के साथ बिहार सरकार के बहुआयामी लक्ष्यों को निम्न प्रकार समझा जा सकता है-
आर्थिक एवं सामाजिक शक्तिकरण
- इथेनॉल फीडस्टॉक या कच्चे माल उत्पादन किसानों की आय बढ़ाने में सहायक।
- नए ईथेनॉल उद्योगों को बढ़ावा देकर स्थानीय स्तर पर रोजगार को प्रोत्साहन ।
- अनुसूचित जाति एवं जनजाति, अत्यंत पिछड़ा वर्ग, महिलाओं, दिव्यांगजन, युद्ध विधवाओं, एसिड अटैक पीड़ितों और थर्ड जेंडर उद्यमियों जैसे विशेष वर्ग के निवेशकों के लिए अतिरिक्त सब्सिडी ।
बिहार के औद्योगीकरण को प्रोत्साहन
- संयंत्र और मशीनरी की लागत का15% पर अधिकतम ₹5 करोड़ तक की अतिरिक्त पूंजी सब्सिडी प्रदान करके नई स्टैंड अलोन इथेनॉल विनिर्माण इकाइयों को बढ़ावा ।
- इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम के तहत शामिल कंपनियों/विनिर्माण इकाइयों को वित्तीय सहायता।
- बिहार को इथेनॉल हब बनाने की दिशा में प्रयास करते हुए प्रतिवर्ष 50 करोड़ लीटर इथेनॉल उत्पादन का लक्ष्य ।
पर्यावरण संरक्षण
- पराली दहन, गन्ने की खोई प्रयोग, अपशिष्ट पदार्थ के प्रयोग से प्रदूषण कम करने में सहायक ।
- कृषि अपशिष्ट के प्रयोग से प्रदूषण में कमी एवं किसानों की आय अर्जन में सहायक ।
- इथेनॉल सम्मिश्रण युक्त ईंधन CO2 उत्सर्जन को कम करन में सहायक है
निष्कर्ष
स्पष्ट है कि भावी पीढ़ियों के स्वास्थ्य पर्यावरण हेतु जीवाश्म ईंधनों के विकल्प के रूप में इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम काफी सहयोग प्रदान कर सकता है। एक ओर जहां इथेनॉल सम्मिश्रण CO2 उत्सर्जन को कम कर सकता है वहीं अक्षम भूमि और पानी के उपयोग के साथ-साथ खाद्य सुरक्षा चिंताएं भी बनी हुई हैं। अतः यह आवश्यक है कि सरकार द्वारा इस दिशा में एक एकीकृत दृष्टिकोण और सुसंगत नीति बनाए।