भारत रोजगार रिपोर्ट 2024
हाल ही में भारत में युवा रोजगार, शिक्षा और कौशल पर ध्यान केंद्रित करते हुए मानव विकास संस्थान और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा संयुक्त रूप से भारत रोजगार रिपोर्ट 2024 प्रस्तुत की गयी जिसमें भारत में बेरोजगारी की स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा गया है कि युवाओं के बीच बेरोजगारी चिंताजनक स्तर पर पहुंच गयी है। रिपोर्ट में उल्लेखित मुख्य बिन्दुओं को निम्न प्रकार देखा जा सकता है।
विरोधाभासी सुधार
- पिछले कुछ दशकों में श्रम संकेतकों में सुधार देखा गया है लेकिन समग्र रोजगार की स्थिति चुनौतीपूर्ण है।
- 2018 से पहले गैर कृषि रोजगार बढ़ने के बावजूद कृषि क्षेत्र से गैर कृषि क्षेत्र में श्रमिकों का अवशोषण नहीं हुआ।
- लगभग 90 प्रतिशत श्रमिक अभी अनौपारिक क्षेत्र में है जबकि नियमित रोजगार जो वर्ष 2000 से लगातार बढ़ रहा था वह 2018 के बाद कम होने लगा।
- भारत की युवा कार्यबल यानी जलसांख्यिकीय लाभांश आवश्यक कौशल की कमी के कारण चुनौतियों का सामना कर रही है।
युवा बेरोजगारी
- रिपोर्ट के अनुसार भारत के बेरोजगार कार्यबल में लगभग 83% युवा है और कुल बेरोजगार युवाओं में माध्यमिक या उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं की भागीदारी 2000 के 35.2% से बढ़कर 2022 में 65.7% लगभग दुगनी हो गया है। रिपोर्ट के अनुसार, शिक्षित युवा, विशेषकर महिलाएं, बेरोजगारी से सर्वाधिक प्रभावित हैं।
- रिपोर्ट के अनुसार युवाओं का रोजगार वयस्कों के तुलना में काफी खराब गुणवत्ता वाला है।
बेरोजगारी चक्र
- अनौपचारिक एवं औपचारिक दोनों क्षेत्रों में कम उत्पादकता तथा कम आय वाली नौकरियों ने बेरोजगारी एवं अल्प बेराजगारी के चक्र को कायम रखा।
आय में गिरावट
- वास्तविक वेतन और आय में या तो कमी या फिर स्थिरता आयी है जिससे श्रम बल की कठिनाईयां बढ़ी है। 2019 के बाद स्व रोजगार की वास्तविक आय में कमी आयी है तथा कुल मिलाकर कम मजदूरी बनी हुई है।
लैंगिक असमानता
- पिछले कुछ वर्षों में मामूली सुधार आया है फिर भी श्रम बल सहभागिता में लैंगिक असमानता ज्यादा है।
- युवा पुरुषों की तुलना में युवा महिलाओं की श्रम बल सहभागिता दर लगभग 3 गुना कम है।
- भारत में महिला श्रम बल भागीदारी दर दुनिया में सबसे कम है ।
- महिलाओं की रोजगार भागदारी में गिरावट ने बेरोजगारी में वृद्धि में योगदान दिया है।
- महिलाओं की कृषि क्षेत्र में भागीदारी बढ़ी है जो अन्य क्षेत्रों में सीमित अवसरों का संकेत देती है। शिक्षित बेरोजगारों मेंमहिलाओं का प्रतिशत अधिक है।
जनसांख्यिकी लाभांश
- रिपोर्ट के अनुसार “रोजगार, शिक्षा या प्रशिक्षण से वंचित युवाओं की दर और बेरोजगारी दर ऊंची हैं और अर्थव्यवस्था ऊंची दर से बढ़ रही है। इस प्रकार व्यापक सामाजिक आर्थिक लाभ के लिए युवा आबादी का लाभ उठाने में भारत पिछड़ रहा है। वर्ष 2021 में आबादी में युवा हिस्सेदारी 27% थी जो 2036 तक 23% रह जाने का अनुमान है।
नीतिगत कमियां
- इस प्रकार श्रम बल भागीदारी दर में बड़ा लैंगिक असंतुलन तथा अधिकांश कामगारों का अब भी अनौपचारिक नौकरियों में होना एक समन्वित व्यापक नीतिगत दृष्टि के अभाव को उजागर करता है।
रोजगार स्थिति सूचकांक
- 2004-05 और 2021-22 के बीच कुछ राज्यों में “रोजगार स्थिति सूचकांक” में सुधार हुआ है लेकिन बिहार, ओडिशा, मध्य प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश जैसे कुछ राज्यखराब रोजगार परिणामों का सामना कर रहे हैं।
भावी प्रवासन की संभावना
- भविष्य में भारत में शहरीकरण और प्रवासन की दरों में काफी वृद्धि होने की उम्मीद है जो वर्ष 2030 में लगभग 40% होने की उम्मीद है। शहरी विकास में इस वृद्धि का बड़ा हिस्सा प्रवासन से आने पर शहरी अवसंरचना पर भारी दबाव आएगा।
रोजगार की निम्न स्थिति के कारण
- रोजगार के अवसरों में कमी आना।
- संविदा नियुक्तियोंऔर कंसल्टेंसी पर बढ़ती निर्भरता।
- गुणवत्तायुक्त तथा रोजगारपरक शिक्षा की कमी
- तकनीकी रूप से विकसित हो रही अर्थव्यवस्था के अनुसार शिक्षण एवं प्रशिक्षण का अभाव।
रोजगार हेतु सरकार के प्रयास |
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स्व रोजगार हेतु ग्रामीण युवाओं का प्रशिक्षण | अनुसूचित जाति एवं जनताति, युवाओं, महिलाओं को प्राथमिकता देते हुए ग्रामीण युवाओं को स्व रोजगार के कौशल प्रदान करने हेतु। |
एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम | ग्रामीण क्षेत्रों में पूर्ण रोजगार के अवसर प्रदान करने हेतु। |
जवाहर रोजगार योजना | केन्द्र एवं राज्यों के सहयोग से संचालित |
मनरेगा | अकुशल श्रम आधारित कार्य करनेवाले परिवारों को प्रति वर्ष 100 दिनों के रोजगार की गारंटी। |
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना | बेहतर आजीविका अवसरों हेतु युवाओं को उद्योग आधारित कौशल एवं प्रशिक्षण सुविधा |
र्स्टाट अप इंडिया | संपूर्ण भारत में उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए आरंभ |
स्टैंड अप इंडिया | अनुसूचित जाति एवं जनजाति तथा महिला उद्यमियों को बैंकों के माध्यम से वित्तीय सुविधा हेतु आरंभ योजना । |
सुझाव
- औपचारिक शिक्षा को कौशल विकास से अलग किया जाए।
- अर्थव्यवस्था में विविधता एवं रोजगार गहन विकास को बढ़ावा देना होगा।
- श्रम बाजार में व्याप्त विसंगतियों तथा असमानताओं को दूर करना होगा।
- श्रम बल सहभागिता में लैंगिक असमानता दूर करने के लिए महिलाओं को शिक्षा, प्रशिक्षण एवं रोजगार अवसरों में समान पहुंच देकर समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया जाना होगा।
- गैर कृषि रोजागार, सूक्ष्म एवं लघु, मध्यम उद्योग एवं उद्यमशीलता को बढ़ावा देना होगा।
निष्कर्ष
भारत रोजगार रिपोर्ट 2024 एक संकेत है कि बढ़ती युवा बेरोजगारी और श्रम बाजार की असमानताओं को निपटने हेतु ठोस कार्रवाई की जाए तभी हम युवा जनसंख्या की क्षमता का उपयोग कर जनसांख्यिकीय लाभांश को प्राप्त कर सकते हैं। वर्तमान में अधिकांश नौकरियां अनौपचारिक क्षेत्र में केन्द्रित है अत: इस संकट से निपटने के लिए बेहतर नीति-निर्माण के साथ नौकरियां सुनिश्चित करनी होंगी और तकनीकी रूप से विकसित हो रही अर्थव्यवस्था के लिए शिक्षा, कौशल एवं महिला साक्षरता में सुधार को प्राथमिकता देना सुनिश्चित करना होगा।
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