नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य संबद्ध चुनौतियाँ
वर्ष 2015 में पेरिस में की गयी घोषण के अनुसार भारत को वर्ष 2022 तक सौर, पवन तथा हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्लांट से 175 गीगावॉट बिजली पैदा करने का लक्ष्य था लेकिन सितंबर 2021 के अनुसार केवल 100 गीगावॉट बिजली पैदा की जा रही है।
- भारत अपनी एक-तिहाई ज़मीन जंगल के क्षेत्र के तहत लाने हेतु प्रयासरत है लेकिन इसके लिए कोई समय सीमा तय नहीं की और इस क्षेत्र में बहुत प्रगति नहीं हुई है और दक्षिण भारत में तथा पूर्वोत्तर राज्यों में भी कुछ ऐसे प्रयास हो रहे है। उल्लेखनीय है कि जंगल कार्बन सोखने का एक बड़ा माध्यम है।
- वैसे उद्योग, कंपनियां जो बड़े पैमाने पर कोयले से संचालित होते हैं उनके लिए निम्न कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य की ओर बढ़ना चुनौतीपूर्ण होगा।
- भारत के ऊर्जा परिदृश्य में कोयला अभी भी महत्वपूर्ण भूमिका में है जिसमें कमी करना एक बड़ी चुनौती है।
- नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बढ़ने में नवीन प्रौद्योगिकी एवं वित्त की आवश्यकता है अतः इस क्षेत्र में निवेश प्रवाह बढ़ाना होगा।
- नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता वाली भूमि की पहचान और भूमि मंज़ूरी की अधिक समय लेने वाली प्रक्रियाएँ ।
- ग्रिड के साथ नवीकरणीय ऊर्जा के एक बड़े हिस्सा को एकीकृत करना भी एक चुनौती है।
- आम इलेक्ट्रिक कार की कीमत पारंपरिक ईंधन से संचालित कार की औसत कीमत से बहुत ज्यादा होना।
- इलेक्ट्रीकल वाहन के बैटरी, सेमीकंडक्टर्स, कंट्रोलर जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स के उत्पादन में भारत का तकनीकी रूप से पिछड़ा होना।
- इलेक्ट्रिक वाहनों की सर्विसिंग लागत अधिक होना, उच्च स्तर के कौशल की आवश्यकता।
- भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के अवसंरचना, विनिर्माण, सर्विसिंग संबंधी कौशल प्रशिक्षण संस्थानों तथा पाठ्यक्रमों का अभाव।
नवीकरणीय ऊर्जा हेतु बिहार सरकार के प्रयास |
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