बिहार में बागवानी
बिहार की अनुकूल कृषि जलवायु स्थितियां और गंगा के मैदानी भाग की उर्वर मिट्टी बागवानी को समृद्ध बनाती है जहां विविध प्रकार के फल, सब्जियां, फूल, मसाले, बागानी फसलें तथा औषधीय पौधों को ऊपजाया जाता है। बिहार में बागवानी के महत्व को निम्न प्रकार समझा जा सकता है।
- फलों और सब्जियों द्वारा पोषण संबंधी लाभ।
- छोटे तथा सीमांत किसानों के रोजगार एवं आय में सहायक ।
- कृषि उत्पाद विविधकरण से खाद्य प्रसंस्करण को प्रोत्साहन।
- छोटे जोत की प्रमुखता वाले बिहार में ग्रामीण समृद्धि का आधार।
फल
- बिहार में 2022-23 में प्रचुर मात्रा में कुल 52.39 लाख टन फल का उत्पादन हुआ जिसमें उत्पादित मुख्य फल केला, आम, अमरुद और लीची थे।
- बिहार की शाही लीची और मालदह आम तथा बिहार का जीआइ टैग वाला जर्दालू आम अपने खास सुगंध और स्वाद के लिए मशहूर हैं। सरकार और हितधारकों के प्रयासों से बिहार के फल क्षेत्र में ग्रामीण अर्थव्यवस्था का वाहक बनने की क्षमता दिया गया है।
सब्जियां
- जलवायु संबंधी विविधतापूर्ण स्थितियों, जल संसाधन और ऊर्वर मिट्टी के कारण बिहार में सब्जियों का उत्पादन उत्साहवर्धक रहा और वर्ष 2022-23 में 163.49 लाख टन सब्जियों का उत्पादन हुआ। सब्जियों में प्रमुख रूप से आलू, प्याज, बैंगन, टमाटर और गोभी हैं।
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सब्जियां | शीर्ष उत्पाद जिले |
आलू | पटना, नालंदा और समस्तीपुर |
प्याज | नालंदा, वैशाली और पश्चिम चंपारण |
बैंगन | नालंदा, पटना और वैशाली |
फूलगोभी | वैशाली, कटिहार और नालंदा |
- चतुर्थ कृषि रोडमैप (2023-28) में उपज और मुनाफा बढ़ाने के लिए अकृष्य और परती जमीन पर बागानी फसलें विकसित करने, आधनिक प्रौद्योगिकी, गणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री तथा सक्ष्म सिंचाई की विधियों के उपयोग का सुझाव दिया गया है।
- इसके अलावा सब्जियों की जैविक खेती को बढ़ावा, उत्पादन लागत, कीड़ों के प्रकोप जैसी समस्याओं का समाधान किया जा रहा है।
फूल
- फूलों की खेती बिहार की ग्रामीण आय में विविधता लाकर छोटे तथा सीमांत किसानों का सशक्तीकरण कर रही है। बिहार में 2022-23 में 11.56 हजार टन फूलों का उत्पादन हुआ ।
- बिहार सरकार बीज, उर्वरक पर सब्सिडी और अवसंरचना विकास सहित विभिन्न योजनाओं के जरिए फूलों की खेती को बढ़ावा देने में मददगार रही है।
बागवानी विकास संबंधी पहल
किसानों की आय बढ़ाने और कृषि क्षेत्र की सुस्थिरता सुनिश्चित करने के लिए केंद्र और राज्य प्रायोजित योजनाओं के जरिए राज्य सरकार बागवानी क्षेत्र के विकास को बढ़ावा दे रही है जिसे निम्न प्रकार देखा जा सकता है
समेकित बागवानी विकास मिशन
- इस मिशन का क्रियान्वयन बिहार के 23 जिलों में किया जा रहा है और इसी तर्ज पर मुख्यमंत्री बागवानी विकास मिशन का क्रियान्वयन राज्य के शेष 15 जिलों में किया जा रहा है। इस मिशन को पान, मखाना, चाय और सब्जियों जैसी खास फसलों को ध्यान में रखकर संचालित किया जा रहा है।
चाय विकास योजना
- चाय बिहार के किशनगंज जिले में उन्नतिशील फसल है जिसे अब बागवानी फसल के रूप में अधिसूचित किया गया है और इसके क्षेत्र विस्तार के लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है।
मखाना विकास योजना
- बिहार की महत्वपूर्ण फसल जिसका देश के कुल उत्पादन में 90 प्रतिशत हिस्सा है। इस कार्यक्रम के तहत उत्पादन बढ़ाने हेतु इस योजना को 11 जिलों में विस्तारित करने और नई प्रौद्योगिकियों के उपयोग को प्रोत्साहित की योजना है।
- कार्यक्रम के तहत उन्नत बीज उत्पादन, वितरण, क्षेत्र विस्तार, और भंडारण अवसंरचना के विकास पर 75 प्रतिशत सब्सिडी शामिल है। मिथिला मखाना बिहार के जीआइ टैग वाले छ: उत्पादों में से एक है।
फसल विविधीकरण योजना
- आंवला, बेल, कटहल और इमली जैसी विभिन्न बागवानी फसलों के लिए बिहार सरकार द्वारा किसानों को 50 प्रतिशत सब्सिडी और सूक्ष्म सिंचाई व्यवस्था उपलब्ध करा रही है।
- प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत ड्रिप और माइक्रो स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली लगाने पर 80 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है।
- दक्षिण बिहार में शुष्कभूमि बागवानी का क्रियान्वयन।
सब्जी उत्पादन
- आलू और प्याज जैसी सब्जियों के अधिक उपजाऊ और संकर प्रभेदों की खेती करने में सहायता और 75 प्रतिशत तक सब्सिडी ।
- भंडारण के अलावा संरक्षित खेती के तहत कीमती फसलों की खेती के लिए शेड नेट और पॉली हाउस जैसी अवसंरचना स्थापित करने के लिए सहयोग ।
शहद उत्पादन
- शहद उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए विभाग मधुमक्खियों के बक्सों पर 75 प्रतिशत (अजा/ अजजा को 90 प्रतिशत) सब्सिडी दे रहा है।
- जीविका के सहयोग से किसानों की आजीविका बढ़ाने के लिए यह कार्य किया जा रहा है । इसी क्रम में भंडारण, प्रसंस्करण, पैकेजिंग, और विपणन जैसे उत्पादनोत्तर कार्यों का क्रियान्वयन कॉम्फेड द्वारा कार्य किया जाएगा।
मशरूम की खेती को प्रोत्साहन
- बिहार मशरूम उत्पादन में देश का अग्रणी राज्य है जहां बिहार सरकार मशरूम किट पर और किसानों के क्षमता निर्माण के लिए 90 प्रतिशत सब्सिडी देती है।
- इसके अलावा राष्ट्रीय बागवानी मिशन और मुख्यमंत्री बागवानी मिशन के तहत 15-35 प्रतिशत अतिरिक्त सब्सिडी दी जा रही है।
गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री का प्रावधान
- चंडी और देसरी स्थित दो उत्कृष्टता केंद्रों के जरिए उत्पादन के लिए गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्रियों की आपूर्ति बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।
शीत-भंडारगृहों का सुदृढ़ीकरण
- बर्बादी और आपदाजनित बिक्री में कमी लाने के लिए शीत-भंडारगृहों का सुदृढ़ीकरण करके, बंद शीत-गृहों को चालू करके और सौर ऊर्जा पर चलने वाली प्रणाली के जरिए उनका आधुनिकीकरण कार्य किया जा रहा है।
एक महीना एक फसल
- बागवानी फसलों की खेती के लिए उत्पादन के पहले, उसके दौरान और बाद के काम के लिए सहयता दी जा रही है जिसका फोकस गुणवत्तापूर्ण उत्पादों को बढ़ावा देने और ‘एक माह एक फसल’ पहल के जरिए जागरूकता बढ़ाने पर है।