बिहार में सिंचाई अवसंरचना

बिहार में सिंचाई अवसंरचना  

बिहार के कृषि क्षेत्र के विकास के लिए सिंचाई अवसंरचना को मजबूत करना जरूरी है क्योंकि बिहार की कृषि अर्थव्यवस्था मुख्यतः वर्षा पर निर्भर है इस कारण वर्षा पैटर्न में बदलाव फसल उत्‍पादन को प्रभावित कर सकता है । बिहार सरकार राज्य के सूखा ग्रस्त क्षेत्रों में जल की उपलब्धता बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रही है।

मॉनसून पर अत्यधिक निर्भर होने के कारण गुणवत्तापूर्ण बीज, उर्वरक जैसी लागत सामग्रियां और नवाचारी कृषि प्रौद्योगिकियां अपनाने के लिए वर्षा आश्रित खेती में सिंचाई अत्यंत जरूरी है। सिंचाई उपलब्ध होने पर किसानों के लिए सालो भर खेती करना आसान हो जाता है, फसलों की उपज बढ़ती है और फसल पैटर्न में विविधता आती है।

सिंचाई पर सार्वजनिक व्यय

बिहार सरकार जल संसाधन और लघु जल संसाधन विभागों के जरिए राज्य में सिंचाई प्रणालियों के निर्माण और रखरखाव के लिए वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराती है जिसका लक्ष्य फसलों की उपज बढ़ाना, किसानों की आजीविकाओं में सुधार लाना और सूखा तथा बाढ़ के मामले में अनुकूलता बढ़ाना है।

  • सिंचाई पर बिहार के सार्वजनिक व्यय में पिछले कुछ वर्षों में सुधार हुआ है। सिंचाई विकास पर समग्र व्यय 2022-23 में 1525.59 करोड़ रु. हो गया।
  • सिंचाई अवसंरचना में वृद्धि के लिए कमांड क्षेत्र विकास, बाढ़ नियंत्रण योजनाएं, नदी जोड़ो परियोजनाएं, और नहरों की मरम्मत जैसी परियोजनाएं चलाई जा रही हैं।
  • राज्य सरकार प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के तहत सिंचाई के पानी के कुशल उपयोग को बढ़ावा देने के लिए ड्रिपऔर स्प्रिंकलर प्रणाली लगाने पर 90% सब्सिडी दे रही है।

सिंचित क्षेत्र

  • बिहार में सकल सिंचित 2021-22 में 55.98 लाख हेक्‍टेयर रहा । इसी क्रम में सकल सिंचित क्षेत्र सबसे अधिक रोहतास में जबकि सबसे कम शिवहर में रहा।
  • सिंचाई के विभिन्न स्रोतों में नलकूप/कुंआ मुख्य स्रोत है जिसका कुल सिंचित क्षेत्र में 63.1 प्रतिशत हिस्सा है। इसके बाद नहरों से सिंचाई का 31.0 प्रतिशत और तालाब से सिंचाई का 2.2 प्रतिशत हिस्सा है।
  • नहरों से सिंचित सर्वाधिक क्षेत्र रोहतास का ओर उसके बाद पश्चिम चंपारण, औरंगाबाद का है। इसी क्रम में जहां नलकूपों से सर्वाधिक सिंचित जिला समस्तीपुर का था उसके बाद सीतामढ़ी और नालंदा वहीं तालाब से सर्वाधिक दरभंगा जिले में हुई।

सिंचाई क्षमता

बिहार में चरम सिंचाई क्षमता कुल मिलाकर 117.54 लाख हेक्‍टेयर है जिसका पूर्ण दोहन नहीं होने के कारण बिहार में सिंचाई क्षमता विकसित करने की बेहतर संभावनाएं हैं। बिहार में सृजित सिंचाई क्षमता के अनुपात में सिंचाई दक्षता 67प्रतिशत थी जिसे बढ़ाने के लिए टिकाऊ व्यवहार अपनाने और समुदायों का सशक्तीकरण करने की जरूरत है।

सिंचाई क्षेत्रों में पानी की कुशल उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कमांड क्षेत्र विकास और कृषि विकास कार्यों जैसी रणनीतियां बहुत महत्वपूर्ण हैं जो किसानों को पानी के सर्वोत्तम उपयोग के लिए सूक्ष्म सिंचाई विधियां अपनाने के लिए भी प्रोत्साहित करती हैं। सिंचाई क्षमता विकसित करने के लिए 2022-23 में चली विभिन्न परियोजनाओं में प्रमुख निम्‍नानुसार है

  • पश्चिमी कोसी नहर परियोजना
  • बघेलाघाट सिंचाई योजना, दरभंगा
  • पश्चिमी गंडक नहर प्रणाली
  • पूर्वी गंडक नहर प्रणाली
  • नौमा सिंचाई योजना, लखीसराय
  • मुहाने नदी बहुद्देश्‍यीय सिंचाई योजना
  • दरधा नदी बराज कार्य, मसौढ़ी
  • दुर्गावाती जलाशय योजना

वर्ष 2022-23 में राजकीय और निजी, दोनो तरह के नलकूपों का कुल सिंचित क्षेत्र में लगभग 71.3 प्रतिशत हिस्सा था जो सिंचाई के लिए भूजल पर निर्भरता को रेखांकित करता है। इसके बाद तालाबों का हिस्सा 26.9 प्रतिशत था जो पारंपरिक जल संचयन के स्थायी महत्व को दर्शाता है। अन्य स्रोतों में 1.8 प्रतिशत हिस्से वाली उद्वह सिंचाई और बेंगी सिंचाई हैं जो लघु सिंचाई स्रोत के दायरे में आते हैं।

बिहार सरकार की विभिन्‍न सिंचाई परियोजनाएं जल प्रबंधन में सुधार, सिंचाई आच्छादन का विस्तार और लक्षित सिंचाई अवसंरचना में निवेश को व्यक्त करती हैं। इस दिशा में यह सरकार का प्रयास है कि किसान सहभागी सिंचाई प्रबंधन प्रणाली अपनाए जिससे जल उपयोग दक्षता बढ़ेगी और पानी का अधिक उचित वितरण होगा।

जल संसाधन विभाग की पहल

बिहार सरकार सिंचाई अवसंरचना आधुनिकीकरण, पानी के किफायती उपयोग वाले व्यवहारों को प्राथमिकता देना, और भूजल के हास में कमी लाने जैसी गंभीर चुनौतियों से निपटने के लिए प्रयासरत है। कृषि की उन्‍नति में व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाने के लिए विभाग ने राज्य में जल स्रोतों के विकास और प्रबंधन के लिए अनेक उपाय किए हैं।

सिंचाई क्षमता

  • विभिन्‍न औपचारिकताओं और भूमि अधिग्रहण के कारण वृहत सिंचाई परियोजनाओं के जमीन पर उतरने में देर होती है। इसलिए विभाग ने मध्यम सिंचाई योजनाओं पर फोकस बढ़ाया है जिन्हें शुरू करके पूरा करना अपेक्षाकृत आसान है और उनसे किसानों को काफी लाभ होगा।

हर खेत तक सिंचाई का पानी

  • सात निश्चय-2 के तहत इस अग्रणी पहल का उद्देश्य सभी गांवों में असिंचित खेतों को पानी उपलब्ध कराना है। इस योजना के तहत सरकार पूरे राज्यों में नहर, तालाब और चेक डैम सहित सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण-पुनर्निर्माण कर रही है और किसानों को सिंचाई के लिए सब्सिडी पर उपकरण के साथ-साथ प्रशिक्षण भी उपलब्ध करा रही है।

पश्चिमी कोशी नहर योजना

  • नेपाल और भारत के बीच स्थित बहुद्देश्यीय परियोजना जिसके तहत सिंचाई प्रणाली का निर्माण और नहरों तथा ढांचों का पुनःस्थापन शामिल हैं। इस योजना से कुल 2,65,265 हेक्‍टेयर सिंचाई क्षमता सृजित होगी जिससे मधुबनी, दरभंगा जिले लाभान्वित होंगे। परियोजना के जून 2024 तक पूरी हो जाने की आशा है।

सूचना कोषांग

  • विभाग ने पटना स्थित सिंचाई भवन में लोगों के संपर्क-संवाद के लिए लिए टॉल-फ्री नंबर के साथ एक कोषांग गठित किया है जहां लोग तटबंधों के बारे में बाढ़ आपदा का कारण बन सकने वाले रिसाव, क्षरण, टूट, ऊपर से पानी छलकने और पाइपिंग जैसी किसी चिंता की जानकारी दे सकते हैं।

भौतिक मॉडलिंग केंद्र

  • 93 करोड़ रु. के व्यय से सुपौल जिले के उत्कृष्टता केंद्र में भौतिक मॉडलिंग केंद्र की स्थापना का काम प्रगति पर है। यह केंद्र जलविज्ञान के क्षेत्र में पुणे के केंद्रीय जल एवं विद्युत अनुसंधान केंद्र बाद देश का दूसरा सबसे उन्नत संस्थान होगा।

 

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