विश्व रोजगार और सामाजिक आउटलुक: रुझान 2024
जनवरी 2024 में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा विश्व रोजगार और सामाजिक आउटलुक: रुझान 2024 रिपोर्ट जारी की गयी जिसमें बताया गया है कि वैश्विक बेरोजगारी दर 2024 में बढ़ने वाली है। रिपोर्ट में बढ़ती असमानताएं और स्थिर उत्पादकता को चिंता का विषय बताया गया है।
रिपोर्ट की मुख्य बातें
आर्थिक गिरावट
- बेरोजगारी और नौकरियों का अंतर दोनों ही महामारी से पहले के स्तर से नीचे आ गए हैं, लेकिन 2024 में वैश्विक बेरोजगारी बढ़ेगी।
- 2023 में व्यापक आर्थिक माहौल काफी खराब रहा और चल रहे भूराजनीतिक तनाव और मुद्रास्फीति के कारण केंद्रीय बैंकों द्वारा लगातार और आक्रामक कदम उठाए गए जिससे वैश्विक औद्योगिक गतिविधि, निवेश और व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।
श्रम बाजार का लचीलापन
- आर्थिक मंदी के बावजूद, 2023 में वैश्विक विकास अनुमान से थोड़ा अधिक रहा और श्रम बाजारों ने लचीलापन दिखाया।
- नौकरी में वृद्धि के कारण बेरोजगारी दर एवं नौकरियों के अंतर दोनों में 2023 में सुधार देखा गया।
वैश्विक बेरोजगारी रुझान
- वैश्विक बेरोजगारी में 2022 की तुलना में 2023 में मामूली सुधार हुआ और वैश्विक बेरोजगारी दर 1% रही लेकिन श्रम बाजार के बिगड़ते परिदृश्य के कारण 2024 में यह 5.2% तक बढ़ जाएगी।
सामाजिक न्याय
- महामारी से उबरना सबके लिए आसान नहीं रहा। गिरते जीवन स्तर और कमजोर उत्पादकता के साथ लगातार मुद्रास्फीति अधिक असमानता की स्थिति पैदा करती है जिसके कारण सामाजिक न्याय की संभावनाएं कम हो रही हैं।
मजदूरी में गिरावट एवं गरीबी में वृद्धि
- वेतन वृद्धि के साथ मुद्रास्फीति का तालमेल न होने के कारण अधिकांश जी20 देशों में वास्तविक मजदूरी में गिरावट आई है।
- 2020 के बाद तीव्र गिरावट के बावजूद अत्यधिक गरीबी तथा मध्यम गरीबी में रहने वाले श्रमिकों की संख्या 2023 में बढ़ गई है।
श्रम बाज़ार असंतुलन
- श्रम बाजार में वापसी की दर विभिन्न समूहों के बीच भिन्न-भिन्न रही है। महिलाओं की भागीदारीतेजी से वापस आई है लेकिन लैंगिक अंतराल विभिन्न देशों में बना हुआ है
संरचनात्मक श्रम बाजार की चिंताएँ
- श्रम बाजार का असंतुलन चक्रीय (महामारी उत्पन्न) के बजाए संरचनात्मक हो सकता है भले ही वर्ष 2023 में असंतुलन में कमी आयी हो।
उत्पादकता वृद्धि धीमी
- कौशल की कमी और बड़े डिजिटल एकाधिकार के प्रभुत्व सहित बाधाओंके साथ, तकनीकी प्रगति और बढ़े हुए निवेश के बावजूद उत्पादकता वृद्धि धीमी बनी हुई है।
इस प्रकार इस रिपोर्ट में गिरते जीवन स्तर, कमजोर उत्पादकता, लगातार मुद्रास्फीति और असमानता जैसी चिंताओं को रेखांकित किया गया है जो सामाजिक न्याय और स्थायी पुनर्प्राप्ति प्राप्त करने के प्रयासों को कमजोर करती है । अत: आवश्यकता इस बात की है कि रोजगार सृजन के साथ साथ सामाजिक असमानताओं को दूर करने के लिए सकारात्मक प्रयास किया जाए।