ईंट, मनके तथा अस्थियां
- प्राचीन भारत का इतिहास में हड़प्पा सभ्यता की सबसे विशिष्ट पुरावस्तु क्या है -सेलखड़ी नामक पत्थर से बनायी गयी मुहर, उल्लेखनीय है कि सेलखड़ी पर जानवरों के चित्र अंकित है तथा ऐसी लिपि के चिह्न उत्कीर्णित है जिसे पढ़ा नही जा सका है
- हड़प्पा सभ्यता का काल कब से कब तक माना जाता है- 2600 से 1900 ईसा पूर्व
- हड़प्पा सभ्यता से पहले तथा हड़प्पा सभ्यता के बाद के विद्यमान संस्कृतियों को क्या कहा जाता है – क्रमश: आरंभिक अथवा परवर्ती हड़प्पा
- नोट- आरंभिक अथवा परवर्ती हड़प्पा संस्कृतियों से सिन्धु घाटी सभ्यता अथवा हड़प्पा सभ्यता को अलग करने हेतु सामान्यत: हड़प्पा संस्कृति को विकसित हड़प्पा संस्कृति भी कहा जाता है ।
- थार रेगिस्तान से लगे हुए पाकिस्तान का रेगिस्तान क्षेत्र किस अन्य नाम से जाना जाता था- चोलिस्तान
- हड़प्पा सभ्यता से मिले अनाज के दानों में मुख्य रूप से क्या शामिल थे – गेहॅूं, जौ, दाल, सफेद चना तथा तिल
- अधिकांश हड़प्पा स्थल किस प्रकार के क्षेत्र में पाए गए- अर्धशुष्क क्षेत्र
- अफगानिस्तान में किस स्थल से नहर के अवशेष मिले है – शोर्तुघई
- मोहनजोदड़ो में प्रयुक्त ईंटों का एक निश्चित अनुपात होता था- लंबाई और चौड़ाई क्रमशं ऊंचाई की चार गुनी और दोगुनी
- हड़प्पा शहरों की सबसे अनूठी विशिष्टिता क्या थी- जल निकास प्रणाली
- हड़प्पा में सड़कों तथा नालियों को किस पद्धति में बनाया गया था- एक दूसरे को समकोण पर काटते हुए ग्रिड पद्धति में
- हड़प्पा के स्थलों में कहां पर बस्ती की पूर्ण किलेबंदी पायी गयी – धौलावीरा तथा लोथल
- मोहनजोदड़ो का निचला शहर किस प्रकार के भवनों का उदाहरण प्रस्तुत करता है- आवासीय भवन
- विद्वानों के अनुसार मोहनजोदड़ों में कुंओं की संख्या लगभग कितनी थी – 700
- प्रसिद्ध विद्ववान मैके द्वारा हड़प्पा सभ्यता की किस संरचना के बारे में कहा गया कि निश्चित रूप से यह अब तक खोजी गयी सर्वथा संपूर्ण प्राचीन प्रणाली है- जल निकास की नालियां संबंधी संरचना
- हड़प्पा के किस एक स्थल में आवास निर्माण हेतु कच्ची ईट जबकि नालियों के लिए पकी र्इंटों का प्रयोग किया गया- लोथल
- हड़प्पा सभ्यता के शवाधान में हमें क्या पता चलता है- यहां के शवाधान में मृतकों के साथ सामान्य आभूषण तथा वस्तुएं मिलती है लेकिन मिस्र की तरह शवाधान में बहुमूल्य वस्तुएं दफनाने में लोगों का विश्वास नहीं था ।
- हड़प्पा काल में घिसी हुई रेत, रंग तथा चिपचिपे पदार्थ के मिश्रण को पका कर बनाए गए दुलर्भ पदार्थ जिसका प्रयोग छोटे पात्र बनाने में होता था क्या कहलाता है- फयॉन्स
- हड़प्पा सभ्यता की एक छोटी लेकिन महत्वपूर्ण बस्ती जो पूर्ण रूप से शिल्प उत्पादन जैसे मनके, शंख कटाई, धातुकर्म, मुहर निर्माण आदि में संलग्न थी क्या नाम था- चन्हूदड़ो
- हड़प्पा सभ्यता में कार्नीलियन क्या था – सुंदर लाल रंग का मनके पत्थर
- हड़प्पा काल में अफगानिस्तान में कौन सा शहर अत्यंत कीमती माने जाने वाले नीले रंग के पत्थर लाजवर्द मणि के नजदीक स्थित था – शोर्तुघई
हड़प्पा में कच्चे माल के स्रोत |
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लाजवर्द मणि | शोर्तघई , अफगानिस्तान |
कोर्नीलियन | भड़ौच, गुजरात |
सेलखड़ी | दक्षिण राजस्थान एवं उत्तरी गुजरात |
सोना | दक्षिण भारत |
तांबा | खेतड़ी, राजस्थान |
- कच्चे माल प्राप्त करने हेतु विभिन्न क्षेत्रों में अभियान भेजने संबंधी मिले साक्ष्यों के आधार पर खेतड़ी क्षेत्र में मिले साक्ष्यों को पुरातत्वविदों ने किस संस्कृति का नाम दिया – गणेश्वर जोधपुरा संस्कृति
- हालिया पुरातात्विक साक्ष्यों के अनुसार हड़प्पावासी खेतड़ी के अलावा किस देश से तांबे का आयात करते थे- ओमान
- मेसोपोटामिया के लेखों में मगान नाम संभवत: किस देश के लिए प्रयुक्त हुआ है- ओमान
- मेसोपोटामिया के लेखों में दिलमुन नाम संभवत: किसके लिए प्रयुक्त हुआ है- बहरीन द्वीप
- मेसोपोटामिया के लेख में किसे मेलुहा को किस नाम से सम्बोधित किया गया है- नाविकों का देश
हड़प्पाई लिपि महत्वपूर्ण तथ्य –
- यह लिपि आज तक पढ़ी नहीं जा सकी
- यह लिपि वर्णमाला पर आधारित नहीं है।
- इसमें चिह्नों की संख्या लगभग 375 से 400 के बीच है
- यह लिपि दाई से बाई ओर लिखी जाती थी ।
- हड़प्पा काल में तौलनेवाले बाट किसके बनाए जाते थे- चर्ट नामक पत्थर से
- हड़प्पा काल के बाट किस प्रणाली का अनुसरण करते थे- निचले मानदंड वाले बाट द्विआधारी जबकि ऊपरी मानदंड दशमलव प्रणाली
- हड़प्पा सभ्यता के अनुसार वे महिलाएं और पुरुष जो जादुई तथा ईलाज करने की शक्ति के साथ साथ दूसरी दुनिया से संपर्क साधने के सामर्थ्य का दावा करते हैं क्या कहलाते थे – शमन
आरंभिक भारतीय पुरातत्व के कालखंड (अनुमानित तिथियां ) |
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20 लाख वर्ष (वर्तमान से पूर्व ) | निम्न पुरापाषाण काल |
80, 000 वर्ष (वर्तमान से पूर्व ) | मध्य पुरापाषाण काल |
35,000 वर्ष (वर्तमान से पूर्व ) | उच्च पुरापाषाण काल |
12,000 वर्ष (वर्तमान से पूर्व ) | मध् पाषाण काल |
10,000 वर्ष (वर्तमान से पूर्व ) | नवपाषाण काल ( आरंभिक कृषक तथा पशुपालक ) |
6,000 वर्ष (वर्तमान से पूर्व ) | ताम्रपाषाण काल ( तांबे का पहली बार प्रयोग ) |
26,00 ईसा पूर्व | हड़प्पा सभ्यता |
1000 ईसा पूर्व | आरंभिक लौहकाल, महापाषाण शवाधान |
600 से 400 ई पूर्व | आरंभिक ऐतिहासिक काल |
राजा, किसान और नगर
- अभिलेखों का अध्ययन क्या कहलाता है- अभिलेखशास्त्र
- अधिकांश महाजनपदों जहां पर राजा का शासन होता था उसके विपरित गण और संघ नाम से प्रसिद्ध राज्यों में किसका शासन होता था – कई लोगों के समूह का शासन होता था तथा इस समूह के प्रत्येक व्यक्ति को राजा कहा जाता था ।
- ओलीगार्की या समूहशासन किसे कहा जाता है- शासन की वह व्यवस्था जहां सत्ता पुरुषों के एक समूह के हाथ में होती है।
- प्राचीनतम अभिलेख किस भाषा में लिखे जाते थे- प्राकृत भाषा
- प्राकृत भाषा उन भाषाओं को कहा जाता था जो जनसामान्य की भाषाएं होती थी तथा प्राकृत भाषा के अधिकांश अभिलेख ब्राह्मी लिपि में लिखे गए हैं हांलाकि पश्चिमोत्तर भाग के कुछ अभिलेख खरोष्ठी लिपि में लिखे गए हैं।
- भारत के पश्चिमोत्तर भाग में मिले अभिलेख किस भाषा में है – अरामेइक एवं यूनानी
- अरामेइक और यूनानी लिपियों का प्रयोग कहां मिले अभिलेखों में किया गया है- अफगानिस्तान
- अशोक के अधिकांश अभिलेख किस भाषा में है- प्राकृत
- भारत का प्रथम शासक कौन था जिसने अपने अधिकारियों एवं प्रजा हेतु संदेश प्राकृतिक पत्थरों एवं पॉलिश किए हुए स्तंभों पर लिखवाएं – अशोक
- इलाहाबाद स्तंभ अभिलेख यानी प्रयाग प्रशस्ति की रचना हरिषेण द्वारा किस भाषा में की गयी- संस्कृत
- आरंभिक भारत का सबसे प्रसिद्ध विधि ग्रंथ किसे माना जाता है- मनुस्मृति
- प्राचीन काल में राज्य द्वारा संपत्ति जुटाने के वैध उपायों में क्या शामिल था- जनता से कर तथा भेंट की वसूली एवं पड़ोसी राज्यों पर आक्रमण कर धन जमा करना ।
- छठी शताब्दी ईसा पूर्व में मगध के उत्थान के क्या कारण थे –
- कृषि की बेहतर उपज
- लोहे की आसान उपलब्धता से हथियार एवं हल का निर्माण
- जंगली क्षेत्रों में हाथी की उपलब्धता ।
- गंगा एवं सहायक नदियों से आवागमन सरलतापूर्वक होना
- मगध के विभिन्न शासकों की नीतियां
- वर्तमान बिहार के राजगीर को प्राकृत भाषा में क्या नाम था- राजगाह जिसका शाब्दिक अर्थ होता है राजाओं का घर
- प्राचीन काल में पश्चिमोत्तर भाग में शासन करनेवाले किस भारतीय शासक ने उच्च स्थिति प्राप्त करने के एक साधन के रूप में देवी देवताओं के साथ अपने नाम को जोड़ा- कुषाण
- इसके तहत कई क्षेत्रों में देवस्थानों पर कुषाण शासकों ने अपनी मूर्ति लगवायी और अपने नाम के आगे देवपुत्र की उपाधि भी लगायी तथा सिक्कों में एक तरफ अपनी तो दूसरी तरफ देवताओं के चित्र अंकित करवाएं।
- गिरिनार स्थिति कृत्रिम जलाशय यानी सुदर्शन झील का निर्माण किसके द्वारा कराया गया था- मौर्य काल में एक स्थानीय राज्यपाल द्वारा कराया गया । यह झील एक तूफान में क्षतिग्रस्त हो गया था जिसके बाद तत्कालीन शासक रुद्रदामन द्वारा इसकी मरम्मत करायी गयी ।
- प्राचीन काल में ब्राह्मणों को दान में दी जाने वाली भूमि क्या कहलाती थी- अग्रहार
- उल्लेखनीय है कि ब्राह्मणों से भूमिकर या अन्य कर नहीं वसूला जाता था जबकि ब्राह्मणों को स्वयं कर वसूलने का अधिकार था ।
- प्राचीन भारत के किस उत्पाद की रोमन साम्राज्य में भारी मांग थी- मसाले जैसे काली मिर्च, कपड़े एवं जड़ी बूटियां
- आधुनिक भारतीय भाषाओं में प्रयुक्त लगभग सभी लिपियों का मूल किस लिपि को माना जाता है- ब्राह्मी लिपि