भारत-मालदीव संबंध
मालदीव हिंद महासागर में स्थित एक छोटा सा द्वीपीय देश है। जिसे 1965 में भारत द्वारा एक देश के रूप में मान्यता वर्ष दी गयी । भारत-मालदीव संबंध अच्छे रहे हैं लेकिन वर्ष 2013 में अब्दुल्ला यामीन के राष्ट्रपति बनने के बाद भारत-मालदीव संबंध में कुछ गिरावट आती है। अब्दुल्ला यामीन की सरकार तानाशाही लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को बढ़ावा देने वाली थी जिस पर भारत ने चिंता प्रकट की किंतु मालदीव ने ना केवल भारत की चिंताओं को नजरअंदाज किया बल्कि अनेक भारत विरोधी कार्य किए गए, जैसे हेलीकॉप्टर लीज की अवधि बढ़ाने, जॉइंट पेट्रोलिंग, भारतीयों को वीजा देने भारत के साथ कई अनुबंधों को निरस्त आदि करने के मामले में ।
यामीन के कार्यकाल में भारत-मालदीव संबंधों में गिरावट के साथ साथ मालदीव के संबंध पाकिस्तान, चीन, सऊदी अरब के साथ भी बढ़ने लगते हैं तथा चीन के महत्वकांक्षी परियोजना OBOR का भागीदार बनता है तथा चीन तथा मालदीव के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट भी होता है।
हालाँकि 2018 में मालदीव के नए राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह का कार्यकाल शुरू होने के बाद से ही दोनों देशों के संबंधों में सुधार आना आरंभ होता है लेकिन 2023 में मोहम्मद मुइज्जू की सरकार आने के बाद संबंधों में तीव्र गिरावट होती है और वर्तमान में दोनों देशों के संबंध अपने बुरे दौर से गुजर रहे हैं। मालदीव में राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के आने के बाद से द्विपक्षीय रिश्ते बुरे दौर से गुजर रहे हैं जिसे निम्न प्रकार समझ सकते हैं
हालिया घटनाक्रम
- मोहम्मद मुइज्जू का भारत विरोधी चुनाव प्रचार अभियान और ‘इंडिया आउट’ नारा दिया जाना
- भारत पर मालदीव की संप्रभुता का उल्लंघन का आरोप लगाना।
- मालदीव की सत्ता संभालने के साथ ही भारतीय सैनिकों मालदीव छोड़ने के लिए कहना।
- सरकार बनने के बाद परंपरा से इतर भारत के बजाए तुर्किये, चीन का विदेशी दौरा ।
- मालदीव सरकार द्वारा भारत के सहयोग से होनेवाले हाइड्रोग्राफिक सर्वे संबंधी समझौते का नवीनीकरण से इंकार।
- हाल ही में मालदीव सरकार के कुछ मंत्रियों द्वारा लक्षद्वीप मामले में अनावश्यक टिप्पणी जिसके बाद
- द्विपक्षीय संबंधों में तनाव चरम पर पहुंच गया है।
इस प्रकार उपरोक्त पिछले कुछ घटनाओं को देखा जाए तो यह स्पष्ट होता है कि भारत एवं मालदीव संबंधी में दूरी बढ़ रही है। जो दोनों देशों की सुरक्षा एवं राष्ट्रीय हितों के लिए अच्छा नहीं है। भारत के लिए मालदीव की स्थिति रणनीतिक एवं सामरिक रूप में महत्वपूर्ण है । यह भारत की पड़ोसी प्रथम, ब्लू इकोनोमी जैसी नीतियों तथा हिन्द महासागर में चीनी प्रभाव को संतुलित करने में महत्वपूर्ण है । भारत दक्षिण एशिया का महत्वपूर्ण देश होने के कारण विविध रूपों में मालदीव के विकास का भागीदार है तथा बिगड़ते संबंध मालदीव के लिए विपरित स्थिति पैदा कर सकता है
मालदीव के लिए भारत महत्वपूर्ण क्यों?
- भारत पड़ोसियों के लिए सामान्य स्थितियों के अलावा आपदाओं में एक मूल्यवान सहयोगी पड़ोसी। ।
- चीन की विस्तारवादी नीतियों में संतुलन के लिए एक भरोसेमंद सहयोगी के रूप में । ।
- मालदीव की सामुद्रिक निगरानी और अपेक्षित क्षमताओं के लिए महत्वपूर्ण
- मालदीव का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार एवं वित्तीय अनुदान देनेवाला।
- पर्यटन आधारित मालदीव की अर्थव्यवस्था में सबसे ज्यादा पर्यटक भारतीय है।
इस प्रकार स्पष्ट है कि भारत एवं मालदीव के रिश्तों में बढ़ती दूरी भारत के लिए बेहतर नहीं है लेकिन मालदीव जहां पर्यटन ही अर्थव्यवस्था की रीढ़ है वहां भारत विरोध की नीति मालदीव की कठिनाइयां ही बढ़ायेगा ।मालदीव के लिए भारत हिंद महासागर में महत्वपूर्ण भौगोलिक स्थिति के कारण एक अहम साझेदार तथा आर्थिक एवं सामरिक कवच प्रदान करने वाला मूल्यवान पड़ोसी है ऐसे में यह आवश्यक है कि मालदीव द्वारा भारत विरोधी नीतियों के बजाए राष्ट्रीय हितों को पोषित करने पर ध्यान दिया जाए। वर्तमान स्थिति दोनों देशों की सुरक्षा एवं राष्ट्रीय हितों के लिए अच्छा नहीं है। अत: दोनों देशों के लिए मधुर द्विपक्षीय संबंध बनाए रखना समय और परिस्थिति दोनों दृष्टिकोणों से आवश्यक है।
भारत-मालदीव संबंध में भारत के लिए मालदीव का महत्व
- हिन्द महासागर में अपनी भौगौलिक अवस्थिति के कारण मालदीव सामरिक रूप से भारत के लिए महत्वपूर्ण है।
- भारत की पड़ोस प्रथम नीति तथा हिन्द महासागर में चीनी प्रभाव को संतुलित करने में महत्वपूर्ण ।
- यह पश्चिमी हिन्द महासागर तथा पूर्वी हिन्द महासागर के मध्य जंक्शन के रूप में स्थित है जहां से हिन्द महासागर की गतिविधियों पर नजर रखी जा सकती है।
- भारत से 400 किमी दूर स्थित मालदीव की भौगोलिक स्थिति रणनीतिक रूप से भारत के लिए अति महत्वपूर्ण है। यह भारत भूमि तथा यह अंडमान निकोबार द्वीपसमूह, लक्षद्वीप जैसे द्वीपों की सुरक्षा हेतु महत्वपूर्ण है। अत:भारत-मालदीव संबंध में मालदीव महत्वपूर्ण है।
- मालदीव भारत के लिए ब्लू इकोनॉमी या सागरीय अर्थव्यवस्था के विकास के लिए महत्वपूर्ण है जो आर्थिक तथा सामरिक रूप से महत्वपूर्ण समुद्री क्षेत्र में स्थित है। भारत का मात्रात्मक रूप से 97% तथा मूल्यानुसार 75% से ज्यादा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार इसी मार्ग से होता है।
- मालदीव सार्क, इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन, हिन्द महासागर नौसेना संगोष्ठी, ‘दक्षिण एशिया उप-क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग’ का सदस्य है। अतः इस क्षेत्र में सहयोग एवं समन्वय हेतु मालदीव के साथ अच्छे संबंध आवश्यक है।
भारत एवं मालदीव के बीच सहयोग के क्षेत्र क्या है?
राजनीतिक सहयोग
- भारत-मालदीव संबंध में राजनीतिक सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है । उल्लेखनीय है कि भारतीय समुदाय मालदीव में निवास करने वाला दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है। भारत मालदीव को एक सम्प्रभु राष्ट्र के रूप में सबसे पहले मान्यता देने वाले देशों में से एक है।
- भारत द्वारा अपने पड़ोसी देशों को दी गई आर्थिक सहायता का सबसे बड़ा लाभार्थी मालदीव रहा है तथा अनेक अवसरों पर भारत द्वारा मालदीव की सहायता की गयी। जैसे 1988 में विद्रोही समूहों द्वारा मालदीव में तख्तापलट की कोशिश को ऑपरेशन कैक्टस द्वारा विफल किया गया।
- मालदीव और भारत, दोनों ही अनेक अंतर्राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय मंचों पर सदस्य है तथा कई अवसरों पर एक दूसरे को राजनीतिक सहयोग प्रदान करते हैं। हाल ही में मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद को यूएन महासभा के 76वें सत्र के लिये नए अध्यक्ष चुने पर भारत द्वारा इस निर्णय का स्वागत किया गया।
- भारत ने वर्ष 2022 में मालदीव के लिये अपने बजटीय अनुदान को बढ़ाकर 360 करोड़ रूपए कर दिया है जो वर्ष 2020 में मात्र 160 करोड़ रुपए था। भारत एवं मालदीव संबंधों को बढ़ाने के क्रम में वर्ष 2021 में भारत ने मालदीव के कई सामाजिक-आर्थिक विकास परियोजनाओं में निवेश किया।
- भारत ने मालदीव के चीनी के ऋण को चुकाने के लिये वित्तीय सहायता की भी पेशकश की है।
आर्थिक एवं अवसंरचनात्मक सहयोग
- अवसंरचना विकास के तहत भारत की तरफ से ‘लाइन्स ऑफ क्रेडिट’ के तहत मालदीव में आठ बड़ी बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं का कार्यान्वयन किए जाने की योजना है।
- नवम्बर 2020 में ग्रेटर माले की कनेक्टिविटी परियोजना के वित्तपोषण हेतु मालदीव को $100 मिलियन का अनुदान देने के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे जिसके बाद भारतीय कंपनी, Afcons द्वारा मालदीव में अब तक की सबसे बड़ी बुनियादी ढाँचा परियोजना ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट हेतु अनुबंध पर हस्ताक्षर किया गया हैं। यह मालदीव में भारत की सबसे बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजना है। इसके माध्यम से इससे मालदीव में नौकरियां तथा आर्थिक गतिविधियां बढ़ने से मालदीव की अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी।
- वर्तमान में मालदीव में भारतीय सहायता प्राप्त परियोजनाओं के तहत 34 द्वीपों पर पानी एवं सीवरेज परियोजनाएँ, अतिरिक्त द्वीप के लिए सुधार परियोजनाएँ, गुल्हीफाहू पर एक बंदरगाह, हनीमाधू में हवाई अड्डे का पुनर्विकास और हुलहुमले में एक अस्पताल तथा क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण शामिल है।
रक्षा सहयोग
- 2021 में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के मालदीव दौरे के अवसर पर भारत तथा मालदीव के मध्य अनेक समझौते सम्पन्न हुए जिसके तहत भारत ने मालदीव की समुद्री सुरक्षा क्षमता विस्तार हेतु 5 करोड़ डॉलर की रक्षा ऋण सुविधा पर हस्ताक्षर किए तथा मालदीव के उथुरु थिलाफालु नौसैनिक अड्डे पर कोस्टगार्ड बंदरगाह और डॉकयार्ड विकसित करने हेतु सहमति जतायी ।
- रक्षा सहयोग के तहत मालदीव के सैनिकों को प्रशिक्षण उपलब्ध कराता है। हाल ही में भारत द्वारा कामयाब गश्ती जलयान पोत मालदीव को उपहार में दिया गया।
- मालदीव ने भारत को एक प्रमुख सुरक्षा प्रदाता मानते हुए चीन द्वारा महासागर में वेधशाला स्थापित करने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। हाँलाकि, मालदीव सरकार ने कुछ विशिष्ट परियोजनों आदि के लिये चीन के साथ जुड़ाव जारी रखा है ।
सांस्कृतिक सहयोग
- मालदीव में प्रवासी भारतीय दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है तथा सांस्कृतिक आदान-प्रदान से दोनों के संबंधों में प्रगति आयी है। मालदीव की ‘फ्राइडे मस्जिद’ (हुकुरु मिस्की) के संरक्षण में भारत की ओर से सहयोग किया जा रहा है।
- भारत सार्क चेयर फेलोशिप तथा भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम के माध्यम से मालदीव के लोगों को प्रशिक्षण एवं छात्रवृत्ति उपलब्ध कराता है।
- बडी संख्या में भारतीय पर्यटक मालदीव जाते हैं जिसके माध्यम से सांस्कृतिक आदान प्रदान बढ़ता है। सांस्कृतिक आदान प्रदान को बढ़ावा देने हेतु 2011 में माले में भारत सांस्कृतिक केन्द्र की स्थापना की गयी।
- मालदीव द्वारा भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विदेशी लोगों को दिए जाने वाले सर्वोच्च सम्मान ‘रूल ऑफ़ निशान इज़्ज़ुद्दीन’ से सम्मानित किया गया।
आपदा, राहत एवं मानवीय सहयोग
- 2004 के सुनामी में सहायता तथा 2014 में पेयजल संकट पर हेलिकॉप्टर की मदद से मालदीव को सहायता दी गयी।
- COVID-19 महामारी के दौरान आपूर्ति श्रृंखला में बाधा आने से भारत ने मई 2020 में खाद्य पदार्थ, खाद्य और निर्माण सामग्री की आपूर्ति की इसके अलावा कोविड महामारी से निपटने हेतु मालदीव को 25 करोड़ डॉलर की बजटीय सहायता दी गयी।
- भारत सहायता अनुदान के तहत जनवरी 2021 में कोविड-19 टीके की पहली खेप मालदीव में पहुंचायी गयी। उल्लेखनीय है कि मालदीव भारत से कोविड 19 के टीके प्राप्त करनेवाला प्रथम देश है। मालदीव को कोरोना वैक्सीन के 1 लाख अतिरिक्त टीके सौंपे।
- कोविड महामारी के दौरान भारत एवं मालदीव संबंध को बढ़ाने की दिशा में भारत ने द्विपक्षीय एयर बबल व्यवस्था को शुरू किया। इस प्रकार मालदीव पहला दक्षिण एशियाई देश बना जिसके साथ भारत ने यह व्यवस्था आरंभ किया।
मालदीव रणनीतिक रूप से हिन्द महासागर में स्थित है और भारत के हिन्द महासागर क्षेत्र में प्रमुख शक्ति होने के कारण मालदीव की स्थिरता में भारत के हित निहित हैं। इस कारण से भारत-मालदीव संबंध में मालदीव के प्रति भारत की कुछ चुनौतियां एवं चिंताएं भी हैं।
भारत एवं मालदीव संबंध की चुनौती तथा चिंताएं
- मालदीव में चीन का बढ़ता प्रभुत्व, स्ट्रिंग्स ऑफ पल्स की नीति।
- मालदीव एवं चीन के मध्य होनेवाला मुक्त व्यापार समझौता ।
- हिन्द महासागर को संघर्षमुक्त क्षेत्र बनाना तथा समुद्री मार्गों को सुरक्षित रखना।
- हिंद महासागर में शांति बनाए रखना तथा समुद्री लुटेरों और समुद्री आंतकवाद का सामना करना।
- मालदीव में प्रवासी भारतीयों की सुरक्षा। उल्लेखनीय है कि 2018 में मालदीव में कार्यरत 2000 से ज्यादा भारतीयों को वर्क परमिट नहीं दिया गया तथा भारत विरोधी कदमों से दोनों देशों में तनाव बढा।
- ब्लू इकोनॉमी पर अनुसंधान और व्यापार में वृद्धि करने पर सहयोग को बढ़ाना ।
- 2015 के बाद से मालदीव में आए राजनीतिक संकट के कारण भारत मालदीव संबंधों पर पड़ा प्रभाव।
- मालदीव में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की मजबूती बढ़ाना तथा भारत मालदीव संबंधों में आई दूरियों को पाटना।
- वर्ष 2018 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अस्थायी सीट के लिए मालदीव के विरोध में भारत द्वारा मतदान करना।
- चीनी प्रतिस्पर्द्धा – चीन जहां परियोजनाओं को समय पर पूर्ण करता है वहीं भारत की परियोजनाएं समय पर पूर्ण नहीं होती तथा अनावश्यक विलंब होता है।
- इस्लाम बहुल देश होने के कारण भारत विरोधी भ्रामक प्रचार तथा भारत विरोधी गतिविधियों को रोकना।
मालदीव में चीन का बढ़ता प्रभाव
- मालदीव हिंद महासागर में स्थित लगभग 1200 द्वीपों का समूह है जिनमें से 7 महत्वपूर्ण दीपों पर चीन अपना प्रभुत्व जमा चुका है।
- मालदीव पर चीन की उपस्थिति से युद्ध, विशेष परिस्थतियों में वह भारत के प्रमुख नगरों, प्रतिष्ठानों, समुद्री मार्गों को निशाना बनाकर व्यापक क्षति पहुंचा सकता है।
- चीन द्वारा माकुनूडू द्वीप में निगरानी केन्द्र की स्थापना की गयी जो भारत के लिए चिंता का विषय है।
- मालदीव चीन की मोतियों की माला (स्ट्रिंग्स ऑफ पर्ल्स) की महतवपूर्ण कड़ी है।
- मालदीव में चीन द्वारा अपनी शतों के अधीन भारी मात्रा में निवेश, कर्ज दिया गया है।
- मालदीव से भारतीय नौसैनिक गतिविधियों, आयुधों, महत्वपूर्ण स्थलों पर निगरानी की जा सकती है।
- मालदीव चीन से अपने कुल ऋण का 60% से अधिक ऋण लेता है जिसके कारण मालदीव को अपने बजट का लगभग 10 प्रतिशत के बराबर की धनराशि प्रति वर्ष चीन को भुगतान करना होता है जो मालदीव की संप्रभुता के लिए एक बड़ी चुनौती तथा भारत की सुरक्षा हेतु एक समस्या है।
- चीन के साथ मालदीव के मुक्त व्यापार समझौते से चीनी गतिविधिया तथा हस्तक्षेप बढ़ेने की संभावना।
भारत एवं मालदीव संबंध सुधार की दिशा में भविष्य में क्या किया जाना चाहिए?
- गुजरात डाक्ट्रिन तथा पड़ोसी प्रथम की नीति- पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में भारत की गुजरात डाक्ट्रिन तथा पड़ोसी प्रथम की नीति की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है और मालदीव इस नीति में अहम स्थान रखता है। अतः भारत को मालदीव में चीन के बढ़ते हस्तक्षेप को रोकने के साथ साथ मालदीव को यह विश्वास दिलाना होगा कि भारत हमेशा से उसका सहयोगी रहा है और आगे भी रहेगा।
- द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा- भारत और मालदीव के बीच संबंध मजबूत करने हेतु गुजरात सिद्धांत के साथ द्विपक्षीय व्यापार, सांस्कृतिक सहयोग, आतंकवाद विरोधी सहयोग को बढ़ाना होगा जिससे कि भावी संबंधों में और मधुरता आ सके।
- चीन के प्रति संतुलित नीति- भारत-मालदीव संबंध में भारत के साथ संबंधों में मालदीव को भी सीख लेते हुए यह समझना होगा कि चीन एक साम्राज्यवादी राष्ट्र है तथा दक्षिणी चीन सागर में जो हालात है उसके लिए चीन की नीतियां जिम्मेवार है और चीन का निवेश मालदीव के कल्याण हेतु नहीं बल्कि उसके स्वयं के लाभ तथा हितों की पूर्ति हेतु है।
BPSC Mains Special Notes by GK BUCKET STUDY TUEB
65वीं, 66वीं, 67वीं तथा 68वीं BPSC के कई लाभार्थी लाभान्वित हुए है । 70th BPSC हेतु आप भी लाभ उठाए।
गुणवत्तापूर्ण, न्यूनतम शुल्क के साथ अध्ययन सामग्री एवं अभ्यास संबंधी ज्यादा जानकारी के लिए वेवसाइट http://www.gkbucket.com पर विजिट करें ।