भारत और श्रीलंका के द्विपक्षीय संबंध काफी प्राचीन है तथा दोनों देश बौद्धिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषाई विरासत को साझा करते हैं। हाल के वर्षों में भारत और श्रीलंका के बीच विभिन्न क्षेत्रों जैसे व्यापार, निवेश अवसंरचना विकास, शिक्षा, संस्कृति तथा रक्षा क्षेत्र सहयोग में महत्त्वपूर्ण प्रगति हुई है।
वर्ष 2019 में श्रीलंका के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद गोतबाया राजपक्षे अपनी पहली अंतर्राष्ट्रीय यात्रा पर भारत आए थे तथा 2020 में प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे का भी भारत आगमन हुआ। इस प्रकार श्रीलंका के शीर्ष नेतृत्व द्वारा भारत को दी जाने वाली प्राथमिकता श्रीलंका के लिये भारत के महत्त्व को प्रदर्शित करता है।
मार्च 2021 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में श्रीलंका के खिलाफ लाए गए प्रस्ताव पर चीन, पाकिस्तान और रूस ने इसके विरोध में मतदान किया वहीं भारत, जापान समेत 14 देश अनुपस्थित रहे। इस प्रकार भारत द्वारा तमिल समुदाय के हितों तथा श्रीलंका के साथ अपने दोस्ताना संबंधों को संभालने हेतु संतुलित कूटनीतिक मार्ग अपनाया गया है।
हाल ही में जब श्रीलंका के राष्ट्रपति द्वारा जब बढ़ती खाद्य कीमतों, मुद्रा मूल्यह्रास और घटते विदेशी मुद्रा भंडार को रोकने के लिये आर्थिक आपातकाल की घोषणा की गयी तब भारत ने जनवरी 2022 में 90 करोड डॉलर और उसके बाद 50 करोड़ डॉलर की सहायता दी ताकि श्रीलंका पेट्रोलियम उत्पाद खरीद सके। इसके पहले भारत और श्रीलंका ने आर्थिक संकट को कम करने में मदद हेतु चार सूत्री रणनीति की घोषणा की थी।
चार सूत्री रणनीति |
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1 |
लाइन ऑफ क्रेडिट |
भारत द्वारा खाद्य पदार्थ, दवा एवं ईंधन की खरीद हेतु लाइन ऑफ क्रेडिट’ सुविधा दी गयी। |
2 |
करेंसी स्वैप |
श्रीलंका के भुगतान संतुलन से निपटने हेतु एक ‘मुद्रा स्वैप समझौता’ किया गया। |
3 |
आधुनिकीकरण परियोजना |
त्रिंकोमाली में तेल के बुनियादी अवसंरचना को विकसित करने हेतु ट्रिंको तेल फार्म की आधुनिकीकरण परियोजना को गति दी गयी जो 2017 से लंबित थी। |
4 |
भारतीय निवेश |
विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय निवेश को सुगम बनाने हेतु श्रीलंका की प्रतिबद्धता |
भारत और श्रीलंका संबंध में सहयोगी पक्ष
आर्थिक सहयोग
- वर्ष 2000 में भारत-श्रीलंका मुक्त व्यापार समझौते के बाद दोनों देशों के बीच व्यापार में तेज़ी से बढ़ा है। वर्ष 2020 में दोनों देशों के मध्य लगभग 3.6 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय वस्तु व्यापार हुआ तथा सार्क देशों में श्रीलंका भारत के सबसे बड़े व्यापारिक भागीदार देश में शामिल है।
- भारत और श्रीलंका अनेक क्षेत्रीय और बहुपक्षीय संगठनों जैसे दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन, दक्षिण एशियाई आर्थिक संघ, बिम्सटेक इत्यादि के सदस्य हैं ।
- कोविड-19 महामारी से प्रभावित श्रीलंका में विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने और देश की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने हेतु भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 400 मिलियन डॉलर की मुद्रा विनिमय सुविधा प्रदान करने हेतु एक समझौते हुआ।
- भारत द्वारा कुछ दिनों पहले श्रीलंका में पूंजीगत वस्तुओं, उपभोक्ता वस्तुओं और खाद्य पदार्थों के लिए लाइन ऑफ़ क्रेडिट को बढ़ाया गया ।
विकासात्मक सहयोग
- श्रीलंका के क्षमता निर्माण तथा स्थानीय स्तर पर रोज़गार सृजन हेतु भारत द्वारा आपातकालीन चिकित्साकर्मियों हेतु प्रशिक्षण एवं पुनश्चर्या कार्यक्रमों की व्यवस्था की गई।
- हंबनटोटा, प्वाइंट पेड्रो और डिकोया अस्पताल अस्पतालों को चिकित्सा उपकरण की आपूर्ति के साथ श्रीलंका में 1500 लोगों के लिए मोतियाबिंद नेत्र शल्य चिकित्सा कार्यक्रम लागू किया गया। इसके अलावा भारत द्वारा कोलंबो में एक कैंसर अस्पताल स्थापित करने के लिए 7.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर का अनुदान भी दिया गया।
- पिछले दिनों भारत ने श्रीलंका के साथ एयर बबल समझौता किया जिसके माध्यम से भारतीय यात्री कोरोना के दौर में भी श्रीलंका में जा सकते हैं। यह द्विपक्षीय समझौता है जो नियमित उड़ानें बंद होने पर कमर्शियल पैसेंजर सर्विस को दोबारा दो देशों के बीच शुरू किया जाता है।
- भारत ने ‘पड़ोसी प्रथम नीति और सागर सिद्धांत के तहत श्रीलंका के साथ भारत के संबंधों को विशेष प्राथमिकता देने की बात कही।
अवसंरचना सहयोग
- भारत ने त्रिकोमाली बंदरगाह तथा कोलंबो के निकट LNG टर्मिनल विकसित करने हेतु एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
- वर्ष 2017 में भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा की गयी घोषणा के अनुसार भारत द्वारा श्रीलंका में उच्च-प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजना के तहत 10,000 घरों के निर्माण कार्य को पूरा किया जाएगा। इससे पहले भारत द्वारा श्रीलंका के जाफना में 50,000 घरों का निर्माण किया गया था।
ऊर्जा सहयोग
- भारत ने ऊर्जा सहयोग को बढ़ाते हुए 2015 में श्रीलंका के साथ परमाणु ऊर्जा समझौता किया।
- वर्ष 2020 में हुए समझौते के अनुसार भारत द्वारा श्रीलंका में 20,000 घरों और 1,000 सरकारी भवनों में सोलर पैनल लगाए जाएँगे।
- त्रिकोमाली तेल टैंक फार्म को संयुक्त रूप से विकसित करने हेतु भारत ने श्रीलंका के साथ समझौता किया।
रक्षा सहयोग
- हाल के वर्षों में श्रीलंका विशेष रूप से नौसेना समझौतों के मामले में चीन के करीब चला गया है फिर भी भारत एवं भारत एवं श्रीलंका की सेना के मध्य संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘मित्र शक्ति’ और नौसैनिक अभ्यास स्लीनेक्स का आयोजन किया जाता है।
- अगस्त 2021 में हुए उपराष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार-स्तरीय बैठक भारत, श्रीलंका और मालदीव सुरक्षा सहयोग के “चार स्तंभों” समुद्री सुरक्षा, मानव तस्करी, आतंकवाद और साइबर सुरक्षा शामिल पर काम करने के लिये सहमत हुए हैं।
सांस्कृतिक और शैक्षिक संबंध
- वैज्ञानिक, तकनीकी, शैक्षिक, सांस्कृतिक क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने हेतु 1998 में ‘भारत श्रीलंका फाउंडेशन’ की स्थापना।
- कोलंबो स्थित भारतीय सांस्कृतिक केंद्र भारतीय संगीत, नृत्य, हिंदी और योग की कक्षाओं के माध्यम से भारतीय संस्कृति के बारे में जागरूकता बढ़ाता है। इसके अलावा प्रतिवर्ष दोनों देशों के सांस्कृतिक समूहों द्वारा एक-दूसरे देश में यात्राएँ की जाती हैं।
- बौद्ध धम्र दोनों देशों को जोड़ने की महत्वपूर्ण कड़ी है । भारतीय मूल के अनेक लोग श्रीलंका बसे हुए है और वहां विभिन्न व्यापारिक क्षेत्रों, संस्थानों में कार्यरत हैं।
- ड्रग तथा मानव तस्करी का मुकाबला करने हेतु वर्ष 2019 में भारत और श्रीलंका के मध्य समझौता।
भारत और श्रीलंका संबंध में विवाद के बिन्दु
चीन का बढ़ता प्रभाव
आर्थिक प्रभाव
- पिछले कुछ वर्षों में चीन ने श्रीलंका में भारी मात्रा में अवसंरचना परियोजनाओं में निवेश किया तथा आर्थिक और सामाजिक विकास हेतु श्रीलंका को भारी मात्रा में ऋण उपलब्ध कराया है।
- एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2008 से 2012 के बीच श्रीलंका द्वारा लिये गए कुल विदेशी ऋण में 60% चीन का भाग था। हंबनटोटा पोर्ट, मट्टाला पोर्ट, कोलंबो पोर्ट सिटी प्रोजेक्ट में चीन की भागीदारी है ।
- उल्लेखनीय है कि चीन ने श्रीलंका के रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण हंबनटोटा बंदरगाह को 99 वर्ष की लीज़ पर श्रीलंका से प्राप्त किया है जिसको चीन अपने BRI परियोजना के तहत विकसित कर रहा है।
- उपरोक्त स्थितियों में श्रीलंका चीन ऋण जाल में फंस सकता है जो श्रीलंका के साथ भारतीय सुरक्षा के लिए चिंता का विषय है।
सैन्य उपस्थिति एवं सहयोग
- श्रीलंका एवं चीन के मध्य सिविल परमाणु सहयोग समझौते पर भी हस्ताक्षर किये गए है । चीन द्वारा श्रीलंका को भारी मात्रा में हथियार निर्यात किया जाता है । इसी क्रम में अनुसंधान पोतों, श्रीलंका में बंदरगाहों तथा महत्वपूर्ण स्थानों पर चीनी सैनिकों की उपस्थिति सामरिक एवं भौगौलिक रूप से भारत के लिए चिंता का विषय है।
तकनीकी एवं स्वास्थ्य सहायता
- चीन द्वारा स्वास्थ्य, आवास, तकनीकी क्षेत्र में श्रीलंका के साथ साझेदारी बढ़ाते हुए वित्तीय सहायता दी जा गयी है जो श्रीलंका को चीन के ऋण जाल में फंसाने में सहायक साबित हो सकता है।
श्रीलंका का 13 वाँ संविधान संशोधन
- 2020 में हुई बैठक के बाद जारी साझा वक्तव्य में श्रीलंका द्वारा 13वें संशोधन को लागू करने के संदर्भ में भारत के मत का समर्थन किया गया । उल्लेखनीय है कि श्रीलंका के संविधान में 13वें संशोधन के जरिये तमिल समुदाय को शक्तियों का अंतरण करने का प्रावधान है।
- तमिलों के बेहतर प्रतिनिधित्व के लिए 1987 में श्रीलंका के साथ हुए समझौते के बाद लाए गए 13वें संशोधन को लागू करने पर भारत जोर देता रहा है। इसका उद्देश्य देश में नस्लवाद के मुद्दे को हल करना और देश की एकता, संप्रभुता बढ़ावा देना और अधिक स्थायित्व लाना था। हालांकि, सिंहली राष्ट्रवादी पार्टियों के साथ-साथ लिट्टे भी इसका विरोध करता रहा है।
मछुआरों का मुद्दा
- भारत और श्रीलंका के मध्य सागरीय क्षेत्र दोनों देशों के मछुआरों के बीच प्रमुख विवाद का क्षेत्र है। समुद्री सीमा क्षेत्र में प्रायः दोनों पक्षों के मछुआरे मत्स्यन के दौरान भटक एक दूसरे की सीमा में प्रवेश कर जाते हैं जिससे गिरफ्तरियां तथा विवाद होता है और कई बार तो गोलीबारी की घटनाएं भी हुई हैं जो दोनों देशों के बीच विवाद का कारण बनती है।
- हाल ही में श्रीलंका के नौसेना द्वारा तमिलनाडु के 43 मछुआरों को गिरफ्तार कर उनकी नौकाओं को जब्त कर लिया गया। इसके पूर्व वर्ष 2020 में 74 मछुआरों सहित कुल 284 भारतीय नागरिकों को गिरफ्तार किया गया था।
तमिल समस्या
- तमिलों के प्रति उदासीनता- कई बार भारत सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर यह आलोचना की जाती है कि भारत अपने संबंध श्रीलंका के साथ अच्छे बनाए रखने हेतु श्रीलंकाई तमिलों की दुर्दशा को नज़रअंदाज करती है ।
- शरणार्थियों का पुनर्वास-श्रीलंकाई गृहयुद्ध से बचकर भारत आए श्रीलंकाई तमिलों की एक बड़ी संख्या तमिलनाडु में शरण की मांग कर रही है और वे वापस श्रीलंका जाना नहीं चाहते । अत: इस स्थिति में भारत में उनका पुनर्वास एक बड़ी चुनौती है।
- भारत के सामरिक हित- कई बार भारत को अपने आर्थिक एवं सामरिक हितों की रक्षा करने हेतु अल्पसंख्यक तमिलों के अधिकारों के मुद्दों को लेकर समझौता करना पड़ता है।
अन्य विवाद
- भारत एवं श्रीलंका के मध्य कच्चातिवु द्वीप भी विवाद का एक कारण है। कच्चातीवु द्वीप का उपयोग मछुआरों द्वारा पकड़ी गई मछलियों को छाँटने, जाल सुखाने आदि के लिये किया जाता है।
- 2021 में श्रीलंका ने मुख्य पोर्ट टर्मिनल बनाने के एक समझौते को रद्द कर दिया है। श्रीलंका ने 2019 में भारत और जापान के साथ यह समझौता किया था। हिन्द महासागर में चीन के मुकाबले भारत की बढ़त बनाने में इस योजना की प्रमुख भूमिका थी लेकिन श्रीलंका द्वारा इस समझौते को रद्द करना भारत के लिए यह एक रणनीतिक झटका है।
भारत एवं श्रीलंका संबंध में सुधार हेतु सुझाव
- नए क्षेत्रों की तलाश-भारत एवं श्रीलंका को स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यटन में आपसी सहयोग को बढ़ाया जाना चाहिए क्योंकि इन क्षेत्रों में दोनों एक दूसरे के मजबूत भागीदार बन सकते हैं।
- समुद्री सुरक्षा एवं सैन्य सहयोग-हिन्द महासागर के महत्वपूर्ण देश होने के नाते दोनों देश समुद्री सुरक्षा और सैन्य सहयोग की दिशा में अपने हितों का संवर्द्धन कर सकते हैं ।
- विकास एवं अवसंरचना सहयोग-भारत श्रीलंका में निवेश एवं तकनीकी सहयोग के माध्यम से अपने कंपनियों की उपस्थिति बढ़ाकर रोजगार, विकास के अवसर बढ़ा सकता है जिससे श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा ।
- संविधान निर्माण में सहयोग-श्रीलंका के संविधान निर्माण में भारत अपने 70 वर्ष के लोकतांत्रिक अनुभवों को साझा कर सकता है जिससे वहां लोकतांत्रिक सरकार एवं अल्पसंख्यकों के अधिकारों और बहुसंख्यक आबादी के हितों की सुरक्षा की जा सके।
- सांस्कृतिक सहयोग-दोनों देश बौद्ध धर्म से जुड़े हुए है जिससे पर्यटन एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में व्यापक सहयोग कर सकते हैं ।
निष्कर्ष
श्रीलंका हिन्द महासागर में भारत का प्रमुख पड़ोसी देश है तथा वर्तमान में चीन का प्रभाव वहां बढ़ रहा है। अतः भारत को श्रीलंका को चीन के पाले में जाने से रोकने हेतु पड़ोसी प्रथम तथा सहयोग की नीतियों में तेजी लानी होगी।
श्रीलंका द्वारा हाल ही में भारत से संबंध को सुधारने की दिशा में रोडमैप तैयार किया गया जिसमें व्यापार, संचार, मछुआरों संबंधी मुद्दे, सांस्कृतिक सहयोग जैसे विषयों को शमिल किया गया है। अत: यह एक अवसर है जब आपसी विवाद को सुलझाने की दिशा में कार्य किया जाए ताकि भारत अपनी घरेलू तथा विदेशी नीतियों के बीच संतुलन स्थापित किया जा सके।