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वर्तमान विश्व राजनीति और भावी संभावनाएं

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वर्तमान विश्व राजनीति

शीतयुद्ध काल में जहां विश्व अमेरिका और रूस जैसे महाशक्तियों के बीच दो ध्रुवीय विश्व  के रूप में विभाजित था तो शीतकाल के बाद अमेरिका के नेतृत्व में यह एकध्रुवीय हो गया। वर्तमान में चीन के उदय तथा विश्व शक्ति बनने की चाह से पुनः विश्व दो ध्रुवों में विभाजित दिखायी दे रहा है जिसमें भारत, जापान, तुर्की, ईरान जैसे देशों की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। वर्तमान घटनाओं से संभावना हो रही है कि विश्व पुनः 2 भागों में विभाजित होगा अमेरिका और पश्चिमी देश एक तरफ तो दूसरी तरफ चीन, रूस आदि देश हो सकते हैं।

वर्तमान विश्व में स्थितियां

विश्व के समक्ष चीन की चुनौती

  • वर्तमान विश्‍व राजनीति में अमेरिका को कई क्षेत्रों में चीन चुनौती दे रहा है जिससे विश्व की शांति और सुरक्षा आनेवाले समय में खतरे में पड़ सकती है।
  • पिछले दिनों चीन ने हांगकांग में लोगों की स्वतंत्रता छीन ली गयी। ताइवान को भी चीन द्वारा बार बार धमकी दे रहा है।
  • चीन की महत्वकांक्षी परियोजना बॉर्डर एंड रोड इनीशिएटिव,  सीमा विवाद भारतीय सुरक्षा एवं संप्रभुता को खतरा है। आनेवाले वर्षों में सीमा विवाद सुलझने के संकेत नहीं मिल पा रहे हैं।
  • व्यापार युद्ध, संरक्षणवादी नीतियों तथा कई अन्य मामलों पर अमेरिका और चीन के मतभेद है तथा जिस प्रकार से आरोप प्रत्यारोप का दौर चलता रहता है उससे स्पष्ट होता है कि चीन और अमेरिका के रिश्ते सामान्य नहीं है।

अमेरिका तथा रूस के संबंध

  • रूस तथा अमेरिका के बीच वर्ष 2014 से संबंध खराब हैं जब रूस द्वारा क्रीमिया पर अधिकार किया गया। इसके अलावा 2016 में अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में भी रूस के दखल के आरोप लगे। अमेरिकी के नए राष्ट्रपति बाइडेन द्वारा रूस के राष्ट्रपति पुतिन को “हत्यारा” की संज्ञा दी गई।

रूस एवं यूक्रेन

  • रूस एवं यूक्रेन के बीच पिछले कई दिनों से युद्घ चल रहा है  जिससे प्रत्‍यक्ष-अप्रत्‍यक्ष रूप से संपूर्ण विश्‍व प्रभावित हो रहा है और विश्‍व के कई देशों के बीच अघोषित गठबंधन भी देखने को मिल रहा है।

चीन एवं रूस के बीच बढ़ती नजदीकी

  • रूस तथा चीन में नजदीकी बढ़ी है और अमेरिका के विरुद्ध ये दोनों खड़े हैं।
  • चीन ने अपना प्रभाव एवं विस्तार बढ़ाने हेतु बेल्ट एंड रोड परियोजना को आरंभ किया गया तो रूस द्वारा भी यूरेशियन इकोनोमिक यूनियन आरंभ किया गया जिसमें 5 देश शामिल है।
  • रूस तथा चीन दोनों ने क्वाड की आलोचना करते हुए कहा है कि यह एशिया में अशांति और अस्थिरता लाएगा।
  • इस प्रकार अमेरिका के चीन तथा रूस के साथ संबंध आनेवाले समय में अच्छे नहीं हो पाएगे ऐसी संभावना बन रही है।

वर्तमान विश्‍व राजनीति में वैश्विक नियमों, समझौतों का पालन नहीं होना

  • कहने को तो प्रत्येक क्षेत्र हेतु अंतर्राष्ट्रीय नियम, कानून, समझौते आदि है लेकिन कई बार शक्तिशाली देशों जैसे अमेरिका, चीन द्वारा इसका पालन नहीं किया जाता। अतः इसके कारण अंतर्राष्ट्रीय विवाद होते रहते हैं तथा  वैश्विक शांति पर प्रभाव पड़ता है।

तालिबान का उदय

  • तालिबान का उदय वैश्विक शांति के लिए खतरा बन सकता है। अफगानिस्तान में तालिबान राज स्थापित हो गया है। उल्लेखनीय है कि तालिबान का कई आतंकवादी संगठनों से संबंध हैं अतः आनेवाले दिनों में आतंकी हमलों में वृद्धि हो सकती है।

लोकतांत्रिक मूल्यों में कमी

  • कई लोकतांत्रिक देशों में जैसे टर्की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं, लोकतांत्रिक मूल्य का पालन नहीं हो रहा है जिसके कारण वर्तमान समय में कई देशों में लोकतंत्र मूल्यों में कमी देखी जा रही है।

भारत एवं पड़ोसी देशों के साथ विवाद

  • भूटान को छोड़ भारत के सभी पड़ोसी देशों ने चीन की महत्वकांक्षी परियोजना बॉर्डर एंड रोड इनीशिएटिव को अपना  समर्थन दिया है । पाकिस्तान के साथ भारत के सीमा तथा अन्य विवाद है, इसी प्रकार बांग्लादेश, श्रीलंका नेपाल पर चीन का प्रभाव बढ़ता जा रहा है।

वैश्विक राजनीति में बहुध्रुवीय विश्व की संभावना

इस प्रकार वर्तमान विश्व 2 भागों अमेरिका तथा चीन+रूस में बंटा हुआ दिख रहा है। हांलांकि आनेवाले समय में अंतर्राष्ट्रीय वर्ल्ड आर्डर किस प्रकार का रहेगा इसे निर्धारित करने में भारत, जापान, तुर्की, ईरान जैसे देशों की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। ये चारों क्षेत्रीय शक्तियां है जो बड़ी शक्तियों को विभिन्न प्रकार से सहायता कर सकते हैं तथा बहुध्रुवीय विश्व को आकार दे सकते हैं ।

जापान और भारत वर्तमान में अमेरिका के साथ क्वाड में शामिल है जबकि ईरान और टर्की का झुकाव चीन की ओर ज्यादा है। उपरोक्त को देखते हुए यह प्रतीत होता है कि विश्व में अमेरिका तथा चीन के नेतृत्व में गठबंधन बन सकता है लेकिन विभिन्न देशों के संदर्भ में  निम्‍न स्थितियों को देखने पर इसकी संभावना फिलहाल कम दिखती है।

जापान

अपनी सुरक्षा हेतु जापान की निर्भरता अमेरिका पर  है लेकिन चीन के साथ उसके व्यापारिक संबंध बहुत प्रगाढ़ है । इसी क्रम में शिजो आबे अमेरिका पर अपनी सुरक्षा निर्भरता को समाप्त करने के पक्षधर थे। हांलाकि वर्तमान प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने इस पर अपनी राय व्‍यक्‍त नहीं की है फिर भी यह जरूरी नहीं कि यह अमेरिका की गुट में जाएगा।

भारत

भारत और अमेरिका के संबंध पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न क्षेत्रों जैसे रक्षा, व्यापार, निवेश आदि में प्रगाढ़ हुए हैं। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार गलवान घाटी की घटना भारत अमेरिका के बीच बढ़ते संबंधों को लेकर चीन की एक प्रतिक्रिया मानी जा सकती है।इसमें कोई संदेह नहीं कि चीन से युद्ध होने पर भारत को स्वयं ही अपनी लड़ाई लड़नी होगी, अमेरिका इसमें विशेष सहयोग नहीं देगा।  इसी क्रम में अमेरिका से ज्यादा नजदीकी भारत-रूस के संबंधों को भी प्रभावित कर सकता है।

ईरान

अमेरिका द्वारा ईरान पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से अमेरिका ईरान के मध्य संबंध खराब है तथा इस हालत में ईरान अब अमेरिका के बजाए चीन तथा रूस के गठबंधन के साथ जाना पसंद करेगा।

टर्की

टर्की के राष्ट्रपति अपने ओटोमन साम्राज्य की गौरव को पुनः प्राप्त करना चाहते हैं। अपने प्रभाव को बढ़ाने हेतु टर्की द्वारा “न्यू एशिया पहल” चलाया गया है। उल्लेखनीय है कि टर्की नाटों का सदस्य होते हुए भी चीन और रूस साथ व्यापारिक संबंधों को मजबूत कर रहा है। इस प्रकार यह स्पष्ट नहीं है कि टर्की किस समूह में जाएगा।

निष्‍कर्ष

इस प्रकार विश्व की स्थिति वर्तमान में स्पष्ट नहीं हो पा रही है फिर भी भविष्य में उपरोक्त चारों देशों की भूमिका तथा तत्कालीन परिस्थितियों पर यह निर्भर करेगा कि आनेवाले समय में किस प्रकार की विश्व व्यवस्था बनेगी ।

आनेवाले समय में वर्ल्ड आर्डर कैसा भी हो भारत ने अपनी विदेश नीति में सदा ही सहयोग, समन्वय और शांति की नीति पर बल देना होगा ताकि शांति स्थिरता व विकास के लक्ष्य को आगे बढ़ाने एवं अपने को महाशक्ति के रूप में स्थापित करने के क्रम में भारत आनेवाले सभी गतिरोधों एवं बाधाओं को दूर कर सके।

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