भारत– कनाडा संबंध
अक्टूबर 2023 की जानकारी के अनुसार भारत में कनाडाई राजनयिकों की संख्या 62 से घटाकर 21 किए जाने के बाद दोनों देशों के संबंध फिलहाल निकट भविष्य में सुधरते नजर नही आ रहे हैं ।
- पिछले दिनों कनाडा सरकार ने कनाडाई नागरिक और खालिस्तानी एक्टिविस्ट हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की भूमिका होने का आरोप लगाते हुए एक वरिष्ठ भारतीय राजनयिक को कनाडा से निष्कासित कर दिया।
- भारत ने कनाडा सरकार के इस कदम के प्रतिक्रियास्वरूप जहां एक बयान जारी कर इस मामले मेंभारत की किसी भी भी प्रकार संलग्नता से इनकार किया वहीं एक कनाडा के एक वरिष्ठ राजनयिक को भी निष्कासित कर दिया।
इस प्रकार दोनों देशों के संबंध सबसे बुरे दौर में पहुँचते दिख रहे हैं। जहां दोनों देशों द्वारा एक दूसरे के शीर्ष राजनयिकों को निष्कासित किया गया वहीं दोनों के बीच आरोप-प्रत्यारोप भी जारी हैं।
भारत एवं कनाडा के बीच बढ़ते गतिरोध को सुलझाने के लिए दोनों देशों के सुरक्षा सलाहकारों, विदेश मंत्रियों के स्तर पर प्रयास हुए लेकिन अभी तक कोई परिणाम सामने नहीं आ पाया है। उल्लेखनीय है कि भारत और कनाडा के संबंध में दिन प्रति दिन गतिरोध बढ़ता जा रहा है जिसका खामियाजा दोनों देशों के छात्रों, पर्यटकों, व्यापारियों को भुगतना होगा। इसी क्रम में भारत ने कनाडा में रहने वाले नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह भी दी है जिससे चिंता और बढ़ाना स्वाभाविक है।
भारत-कनाडा संबंध
भारत-कनाडा संबंध के सहयोगात्मक संबंध की शुरुआत 1947 में दोनों देशों के मध्य राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद से आरंभ होता है जिसकी प्रगति को निम्न प्रकार देखा जा सकता है।
आर्थिक सहयोग
- वर्तमान में भारत और कनाडा के बीच द्विपक्षीय व्यापार प्रतिवर्ष6 बिलियन डॉलर प्रतिवर्ष का रहा है । जहां 1,000 से अधिक कनाडाई कंपनियाँ भारतीय बाज़ार में सक्रिय रूप से कारोबार कर रही हैं वहीं कनाडा में टीसीएस, इन्फ़ोसिस, विप्रो जैसी भारतीय कंपनियों ने अरबों डॉलर का निवेश किया हुआ है जिससे हज़ारों लोगों को रोजगार मिलता है।
प्रवासी संबंध
- कनाडा में अन्य देशों से बसने वालों लोगों की कुल संख्या में से 6 % भारतीय हैं। टाइम मैगजीन के अनुसार भारत के बाद सिखों की सबसे बड़ी आबादी कनाडा में बसती है जो कनाडा की कुल आबादी का 2.1% हिस्सा हैं।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी
- आर्कटिक अध्ययन एवं वैज्ञानिक अनुसंधान के लिये भारत के पृथ्वी विज्ञान विभाग और ‘पोलर कनाडा’ द्वारा संयुक्त कार्यक्रम की शुरुआत ।
- इसरो द्वारा जहां कनाडा केपहले लो अर्थ ऑर्बिट उपग्रह के अलावा कई नैनो उपग्रह लॉन्च किये गए वहीं बाह्य अंतरिक्ष अन्वेषण हेतु दोनों देशों की अंतरिक्ष एजेंसी के मध्य समझौता ज्ञापन भी हस्ताक्षरित हुआ।
अन्य संबंध
- वर्ष 2018 से कनाडा में सबसे ज़्यादा अंतरराष्ट्रीय छात्र भारत से ही पहुँच रहे हैंतथा 2022 में कनाडा में अध्ययनरत विदेशी छात्रों में लगभग 40% भारतीय हैं।
- भारत के बढ़ते आर्थिक एवं जनसांख्यिकीय महत्त्व को देखते हुए कनाडा की हिंद प्रशांत रणनीति में भारत एक महत्त्वपूर्ण भागीदार माना जाता है।
भारत-कनाडा की वर्तमान चुनौतियाँ
- कनाडा में कुछ सीमांत समूहों तथा स्वतंत्र सिख राज्यखालिस्तान के विचार के प्रति समर्थन रखने वालों की बढ़ती उपस्थिति भारत एवं कनाडा के द्विपक्षीय संबंधों को नकारात्मक रूप में प्रभावित कर रही है।
- इसी क्रम में भारतीय चिंताओं को दूर करने के प्रति कनाडा सरकार की उदासीनता, G-20 शिखर सम्मेलन के दौरान कनाडा और भारत के बीच कोई द्विपक्षीय वार्ता नहीं होना चिंताजनक है।
- हाल ही में कनाडा में भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके अंगरक्षकों द्वारा नृशंस हत्या को प्रदर्शित करने वाले परेड की अनुमति देना तथा सिख अलगाववादियों द्वारा इस हिंसा के महिमामंडन के रूप में देखे जाने के अलावा कनाडा के भीतर बढ़ती भारत विरोधी गतिविधियों से फिलहाल दोनों देशों के संबंधों में सुधार के आसार नजर नहीं आ रहे हैं।
भारत एवं कनाडा के बिगड़ते संबंधों का प्रभाव
- अमेरिका, चीन जैसे देशों का मध्यस्थता आदि के रूप में हस्तक्षेप बढ़ सकता है।
- भारतीय छात्रों को कनाडा के लिये वीजा प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
- कश्मीर के मुद्दों पर भिन्न दृष्टिकोण के कारण भी राजनयिक संबंधों में एक तनाव उत्पन्न होता है।
- दोनों देश आर्थिक- व्यापारिक प्रतिबंध को दबाव के साधन के रूप प्रयोग कर सकते हैं जो व्यापार, टेरिफ, व्यक्तियों और संस्थाओं पर लक्षित प्रतिबंधों के रूप में हो सकता है।
- भारत एवं कनाड में कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां कार्यरत है इससे दोनों देशों के निवेश एवं रोजगार प्रभावित हो सकते है।
आगे की राह
भारत तथा कनाडा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण देशों में शामिल हैं जो उभरती प्रौद्योगिकी, नवीकरणीय ऊर्जा, स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन एवं आतंकवाद जैसे वैश्विक मुद्दों पर व्यापक सहयोग कर सकते है।
अत: राजनीतिक अतिवादिता से बचते हुए संबंधों में आए गतिरोध को समाप्त करने हेतु भारत एवं कनाडा को चाहिए कि वह सिख समुदाय एवं अन्य सभी हितधारकों के साथ मिलकर संवाद के माध्यम से मुद्दे का समाधान करने का प्रयास कर भावी संभावनाओं का लाभ उठा सके।