प्रश्न- यह कैसे प्रतिबिम्बित होता है कि जी-20 में भारतीय नेतृत्व प्राचीन दर्शन ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ (विश्व एक परिवार के रूप में) का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है? भारत की जी-20 में वैश्विक सहयोग एवं विकास में योगदान में भूमिका इस दर्शन के साथ कैसे संरूपित होती है, इसका मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर- 2023 में भारतीय अध्यक्षता में जी-20 नेताओं का शिखर सम्मेलन सम्पन्न हुआ जिसमें भारत ने वसुधैव कुटुम्बकम (विश्व एक परिवार के रूप में) के प्राचीन दर्शन का पालन करते हुए अपनी प्रतिबद्धता जतायी जिसे निम्न प्रकार समझा जा सकता है।
वसुधैव कुटुम्बकम की प्रतिबद्धता
- जी-20 के दस्तावेज़ों और बयानों में वसुधैव कुटुम्बकम के अंग्रेज़ी अनुवाद ‘एक दुनिया, एक परिवार, एक भविष्य’ का प्रयोग।
- संपूर्ण विश्व में साझेदारी और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन, डिजिटल अर्थव्यवस्था हेतु वन फ्यूचर एलायंस, मल्टीलैटरल डेवलपमेंट बैंक जैसी पहल पर जोर ।
- कोविड महामारी को देखते हुए भविष्य में किए जानेवाले सामूहिक प्रयासों को अपनाने पर बल।
- उत्तर-दक्षिण विभाजन को पाटने और मजबूत पूर्व-पश्चिम ध्रुवीकरण पर नियंत्रण हेतु जोर ।
इस प्रकार भारत ने जी-20 की अध्यक्षता में ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के दर्शन को महत्व दिया और ऐसे समय में जब विश्व विभिन्न आधारों पर विभाजित है, भारत की भूमिका को वैश्विक रूप से स्वीकार्य किया गया । वैश्विक स्वीकार्यता के साथ भारत ने जी-20 की अध्यक्षता में ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के दर्शन को रखते हुए वैश्विक सहयोग एवं विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया जो भारत के निम्न प्रयासों में संरेखित होती है-
- भारत ने ग्लोबल साउथ की आवाज को जी-20 संवाद केंद्र के रूप में परिवर्तित किया तथा खाद्य, उर्वरक एवं ऊर्जा सुरक्षा, बहुपक्षीय सुधार एवं वैश्विक शासन संबंधी मुद्दों को इस मंच के सामने रखकर दक्षिणी दुनिया के देशों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया।
- भारत के प्रयासों से अफ्रीकी संघ को जी-20 के स्थायी सदस्य के रूप में स्वीकार किया जाना उत्तर-दक्षिण विभाजन को पाटने में महत्वपूर्ण है ।
- विकासशील देशों के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता हेतु मल्टीलैटरल डेवलपमेंट बैंक पर भारत का विशेष जोर उल्लेखनीय है।
- दुनिया भर में विशेषकर निर्धन लोगों, विकासशील देशों में गुणवत्तापूर्ण और किफायती स्वास्थ्य और नैदानिक सुविधाओं तक पहुंच की भारतीय परिकल्पना संपूर्ण विश्व को एक परिवार मानते हुए वैश्विक सहयोग की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
- इस दिशा में वैश्विक चिकित्सा प्रति-उपाय समन्वय मंच, विश्व भर में अनुसंधान एवं विकास और विनिर्माण नेटवर्क की स्थापना, डिजिटल स्वास्थ्य प्रयासों को एक छतरी के नीचे सुलभ बनाने का प्रयास महत्वपूर्ण है।
- वन फ्यूचर एलायंस गठबंधन पर जोर ताकि सभी देशों के शासन में सुधार और सामाजिक, आर्थिक, डिजिटल और सतत विकास के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा दिया जा सके।
- स्वच्छ ऊर्जा में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग प्राप्त करने हेतु भारत की पहल पर वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन।
- इस मंच पर भारत ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों एवं सिद्धांतों के अनुरूप ही आगे बढ़ने का समर्थन किया और अन्य देशों की अखंडता एवं संप्रभुता या राजनीतिक स्वतंत्रता के विपरीत अधिग्रहण की धमकी या शक्ति के प्रयोग से बचने का आग्रह किया।
इस प्रकार भारत ने जी-20 की अध्यक्षता में ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ दर्शन को ध्यान में रखते हुए वैश्विक स्वास्थ्य, ऊर्जा, वित्त, डिजिटल अवसंरचना आदि के क्षेत्रों में विशेष ध्यान केंद्रित किया तथा वैश्विक सहयोग एवं विकास में योगदान दिया।
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