प्रश्न- बिहार में गठबंधन की राजनीति के मूल सिद्धांतों को, विशेषत: राष्ट्रीय हितों की पूर्ति के दृष्टिकोण से, विवेचित एवं विश्लेषित कीजिए।
उत्तर- 1967 के बाद भारत के साथ-साथ बिहार में भी गठबंधन की राजनीति की शुरुआत होती है जब सिद्धांतवादी राजनीति में गिरावट के साथ अनैतिक और अवसरवादी गठबंधनों का दौर आरंभ होता है और 1990 तक अनेक सरकारें बनती और गिरती है।
बिहार में वर्ष 1990 में मंडल आयोग, राजनीति में पिछड़ों के उभार आदि के कारण गठबंधन का नया दौर आरंभ होता है जब गठबंधन की राजनीति के मूल सिद्धांतों द्वारा क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय हितों को साधते हुए सरकार का गठन किया जाता है जिसे निम्न प्रकार समझा जा सकता है।
राजनीतिक समायोजन
- बिहार जहां अनेक धर्म, जाति, समुदाय के लोग है जिनकी आकांक्षाएँ और आवश्यकताएँ अलग अलग है। गठबंधन के द्वारा इन जातियों एवं वर्गों का राजनीतिक में समायोजन कर सत्ता में भागीदारी सुनिश्चित की गयी जिससे कालांतर में राष्ट्रीय स्तर पर इनकी भागीदारी बढ़ी।
साझा कार्यक्रम
- गठबंधन सरकारों में विभिन्न वर्गों के प्रभाव से सभी के हितों एवं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम साक्षा कार्यक्रम बनाया जाता है । बिहार सरकार के सात निश्चय, सुशासन के कार्यक्रम, महिला सशक्तिकरण की योजनाएं आदि इसी का उदाहरण जिसने राष्ट्रीय स्तर पर सरकार को इस दिशा में कार्य हेतु प्रेरित किया जिससे समावेशी लोकतंत्र को मजबूती मिली।
समावेशी सरकार
- क्षेत्रीय दलों के बढ़ते प्रभाव से सामाजिक मुद्दे जैसे आरक्षण, घरेलू हिंसा, बाल अधिकार, शिक्षा अल्पसंख्यक संबंधी मामले इत्यादि को प्राथमिकता मिली तथा आयी और समावेशी सरकार को महत्व मिला।
स्थानीय मुद्दे
- पहले जहां राष्ट्रीय मुद्दे हावी होते थे वहीं गठबंधन सरकार में स्थानीय मुद्दों को भी महत्व दिया जाने लगा स्थानीय आकांक्षाओं एवं जरूरतों के अनुसार नीतियों को महत्व मिला।
संघीय स्वरूप को मजबूती
- बिहार तथा केन्द्र के मध्य विशेष राज्य का दर्जा, कर बंटावारा आदि प्रमुख मुद्दे है लेकिन गठबंधन सरकार द्वारा इन मुद्दों पर असहमति होते हुए भी केंद्र-राज्य के विवादों में सीमा में रहे और भारत के संघात्मक स्वरूप को मजबूती मिली।
इस प्रकार गठबंधन की राजनीतिक जो अस्थिरता का प्रतीक मानी जाती थी 1990 के बाद बिहार की राजनीति में गठबंधन सरकारों द्वारा कार्यकाल पूरा करते हुए विभिन्न हितों को साधा गया जिसमें गठबंधन टूटने का खतरा, राष्ट्रीय हितों पर क्षेत्रीय हितों को प्राथमिकता जैसी चुनौतियां भी जुड़ी हुई थी । फिर भी कहा जा सकता है कि वर्तमान में गठबंधन सरकार भारत की राजनीतिक का हिस्सा बन चुकी है और पिछले कुछ वर्षों में अनेक अवसरों पर सरकार को स्थिरता प्रदान कर राष्ट्रीय हित को साधने का कार्य किया है।
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