भारत की बढ़ती जनसंख्‍या के दीर्घकालिक समाधान हेतु महिलाओं का सशक्तिकरण

भारत की बढ़ती जनसंख्‍या के दीर्घकालिक समाधान हेतु महिलाओं का सशक्तिकरण

प्रश्‍न -क्‍या आप यह मानते हैं कि भारत की बढ़ती जनसंख्‍या के दीर्घकालिक समाधान हेतु महिलाओं का सशक्तिकरण एक प्रभावशाली उपाए है, तर्क दीजिए।

संयुक्‍त राष्‍ट्र के आंकड़ों के अनुसार जनसंख्‍या के मामले में भारत वर्ष 2023 में चीन को पीछे छोड़ते हुए प्रथम स्‍थान पर आ गया है। क्षेत्रफल की दृष्टि से सातवें स्‍थान वाले भारत के लिए यह स्थिति न केवल संसाधनों के प्रबंधन में गंभीर चुनौती उत्‍पन्‍न कर सकती है बल्कि जनसंख्‍या को गरीबी की ओर भी धकेलती है।

भारत में जनसंख्‍या वृद्धि के विभिन्‍न कारणों जैसे अशिक्षा, बाल विवाह, अंधविश्‍वास, गरीबी, पैतृक सामाजिक व्‍यवस्‍था आदि को देखा जाए तो स्‍पष्‍ट होता है कि कई ऐसे कारण है जिनका संबंध महिलाओं से जुड़ा हुआ है। अत: यह आवश्‍यक है कि बढ़ती जनसंख्‍या पर नियंत्रण हेतु दीर्घकालिक उपायों के तहत महिलाओं की भूमिका को महत्‍व दिया जाए। इस दिशा में महिलाओं का सशक्तिकरण एक प्रभावशाली उपाए है जिसे निम्‍न प्रकार से समझा जा सकता है।

शैक्षणिक सशक्तिकरण  

  • महिला के शिक्षित होने से छोटे और स्वस्थ परिवार को बढ़ावा ।
  • शिक्षा द्वारा सशक्त महिलाओं में विवाह की आयु में देरी होती है।
  • बाल विवाह की प्रवृत्ति पर रोक लगती है।
  • परिवार नियोजन एवं बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाओं का लाभ उठाती है।
  • शिक्षित महिला अपने परिवार और समाज के प्रति सार्थक भूमिका निभाने के क्रम में परिवार को उचित आकार तक सीमित रखने को महत्‍व देती है।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार बेहतर शिक्षा ग्रहण करनेवाली बालिकाओं में  देर से विवाह करने और रोज़गार पाने की संभावना अधिक होती है इस कारण इनमें कम बच्‍चों को जन्‍म देने की प्रवृत्ति देखी गयी है जो जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करती है।

आर्थिक सशक्तिकरण

  • आर्थिक रूप से सशक्‍त महिलाएं परिवार नियोजन, स्वास्थ्य सेवाओं और संसाधनों के उपयोग में स्‍वतंत्र निर्णय लेती है। महिलाओं द्वारा स्वतंत्र निर्णयन से बच्चों के बीच अधिक अंतर, गर्भ निरोधकों के बढ़ते उपयोग आदि जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने में महत्‍वपूर्ण है।
  • भारत के दक्षिणी राज्‍यों में मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में कमी के कारण प्रजनन दर में गिरावट देखी गयी। उल्‍लेखनीय है कि बच्चे के जीवित रहने की सम्भावना बढ़ने से प्रजनन दर कम हो जाती है।

सामाजिक सशक्तिकरण

  • समाज में महिलाओं की सशक्त स्थिति जहां उनकी पुत्र की इच्छा को कम करती है वहीं समाज में महिलाओं के रोल मॉडल के रूप में कार्य करती है । इससे समाज में लैंगिक भेदभाव में कमी आती है और परिवारिक सोच एक या दो बच्चों (लड़की या लड़का) की ओर सीमित हो जाती है।

राजनीतिक सशक्तिकरण

  • हाल के वर्षों में सरकार के प्रयासों से पंचायतों, स्‍थानीय प्रशासन, राजनीतिक संस्‍थानों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है और यह देखा गया कि जहाँ कहीं भी महिलाएं महत्‍वपूर्ण पदों, मुख्‍य भूमिका में रही वहां योजनाओं की सफलता दर बहुत अधिक रही।
  • इस प्रकार राजनीतिक रूप से सशक्‍त महिलाएं जनसंख्‍या नियंत्रण, परिवार नियोजन आदि योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू कर जनसंख्‍या नियंत्रण में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

उपरोक्‍त से स्‍पष्‍ट है कि बढ़ती जनसंख्‍या के दीर्घकालिक समाधान हेतु महिलाओं का सशक्तिकरण एक प्रभावशाली उपाए है । स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री द्वारा इस बात पर बल दिया कि गरीबी उन्मूलन और भारत में सतत् विकास प्राप्त करने के लिए जनसंख्या नियंत्रण महत्वपूर्ण है जो महिलाओ की सक्रिय मागीदारी से ही सम्भव है।

स्‍पष्‍टत: जनसंख्‍या नियंत्रण की दिशा में महिलाओं के सशक्तिकरण को मजबूती दिया जाना चाहिए। इस दिशा में केन्‍द्र सरकार की बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओं, महिला आरक्षण जैसी योजनाएं महत्‍वपूर्ण है वहीं बिहार सरकार द्वारा पंचायतों में महिला आरक्षण, बालिका शिक्षा योजनाएं, सरकारी सेवाओं में महिला आरक्षण जैसे कदम सराहनीय है जिसके सकारात्‍मक परिणाण हमें जनसंख्‍या नियंत्रण पर भी दिखेंगे ।

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