BPSC Mains question answer समान नागरिक संहिता मुख्‍य परीक्षा प्रश्‍न उत्‍तर

समान नागरिक संहिता Mains exam Question

प्रश्‍न – भारत की समृद्ध विविधता को ध्‍यान में रखते हुए भारत में एकसमान नागरिक संहिता को लागू करने के पूर्वानुमानिक सकारात्‍मक एवं नकारात्‍मक सामाजिक परिणाम क्‍या हो सकते है, व्‍याख्‍या कीजिए। (69th BPSC Mains exam)

 

उत्‍तर- समान नागरिक संहिता भारत के लिए एक कानून बनाने की मांग करता है, जो विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने जैसे मामलों में सभी धार्मिक समुदायों पर लागू होगा। उल्‍लेखनीय है कि वर्तमान भारत में विभिन्‍न धर्मों के व्यक्तिगत कानून अलग-अलग है और प्रत्येक धर्म अपने विशेष कानूनों का पालन करता है।

समान नागरिक संहिता संबंधी प्रावधान जहां भारतीय संविधान के अनुच्‍छेद 44 में दिया गया है वहीं समय समय पर न्‍यायालय द्वारा अपने निर्णयों में भी इसे लागू करने हेतु सरकारों को निर्देश दिया जाता रहा है। समान नागरिक संहिता भारत में कानून, धर्म और संस्कृति के बीच के जटिल एवं संवेदनशील संबंधों को व्‍यक्‍त करता है जिसका भारतीय समाज की विविधता पर अनेक सकारात्‍मक एवं नकारात्‍मक परिणाम हो सकते हैं जिसे निम्‍न प्रकार समझा जा सकता है।

 

सकारात्‍मक प्रभाव

सामाजिक एकरूपता

  • समाज में धार्मिक और सामुदायिक विभाजनों को समाप्त कर सामाजिक एकरूपता लाने में सहायक ।

महिला सशक्तीकरण

  • परंपरागत प्रथाओं के जहां पुरुषों को ज्यादा महत्त्व एवं लाभ प्राप्त होता वहीं इस कानून से महिलाओं की सामाजिक एवं पारिवारिक स्थिति में बदलाव आएगा।

लैंगिक समानता

  • लगभग सभी धर्मों के व्यक्तिगत कानून महिलाओं के प्रति भेदभावपूर्ण है तथा इनमें समानता होने से महिलाओं की सामाजिक स्थिति में सुधार आएगा।

संवेदनशील वर्ग को संरक्षण

  • पिछड़े एवं एकाकी जीवन जीनेवाले आदिवासी समुदाय समाज की मुख्‍य धारा से ज़डेगे जिससे उनके विकास का रास्ता प्रशस्त किया जा सकेगा।

 

नकारात्‍मक प्रभाव

सांस्कृतिक विविधता

  • भारत के सभी धर्मों, संप्रदायों, जातियों, राज्यों आदि में व्यापक सांस्कृतिक विविधता है तथा इस कानून से भारत की सांस्‍कृतिक विविधता प्रभावित होगी।

सामाजिक संरचना

  • भारत में अल्पसंख्यक समुदाय, आदिवासी समाज के अलग कानून है तथा इस कानून से उसकी सामाजिक संरचना बिगड़ सकती है। कुछ धार्मिक समुदायों में कुछ मामलों में तो कई आदिवासी समाज में पारम्‍परिक कानूनों में महिलाओं की विशेष स्थिति है जो इस कानून से प्रभावित हो सकती है।

उपरोक्‍त से स्‍पष्‍ट है कि समान नागरिक संहिता को भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में लागू करने हेतु सामाजिक प्रथाओं जैसे विवाह, तलाक, पुनर्विवाह आदि जैसे सभी पहलुओं पर विचार करना होगा ताकि किसी धर्म विशेष की भावनाओं को ठेस पहुँचाए बिना कानून बनाना जाए।

 

69BPSC Mains के अन्‍य Model Answer को देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक से जाए।

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