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69th BPSC Mains Model Answer History

69th BPSC Mains Model Answer History Short notes

 

आज हम 69th BPSC Mains में सामान्‍य अध्‍ययन-I के खंड-I में भारतीय इतिहास कला एवं संस्‍कृति के प्रश्‍न संख्‍या 1 के उत्‍तर को देखेंगे । यहां हम देखेंगे कि निर्धारित शब्‍द संख्‍या में हम किस प्रकार सभी तथ्‍यों को समाहित करते हुए एक बेहतर उत्‍तर लिख सकते हैं। यहां पर  Model Answer दिया जा रहा है जिसमें आप आवश्‍यकतानुसार संशोधन कर और बेहतर लिख सकते हैं।

 

मुख्‍य परीक्षा में बेहतर उत्‍तर कैसे लिखे, जानने के लिए इस लिंक के माध्‍यम से यूटयूब पर जाए

Civil Service Mains Answer writing 

 

निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए :

(a) Indian Councils Act, 1892 (8) भारतीय परिषद् अधिनियम, 1892

(b) Santhal Uprising (8) संथाल विद्रोह

(c) Champaran Satyagraha (8) चम्पारण सत्याग्रह

(d) Art and Architecture of Mauryan Period (7) मौर्य काल की कला और वास्तुकला

(e) Cave Paintings of Eastern India in Ancient Period (7) प्राचीन काल में पूर्वी भारत के गुफा चित्र

 

BPSC Mains special Notes Link  https://drive.google.com/file/d/1JJvkFdIpL81Dw-8IgYE-rotY7mQe6dqo/view?usp=drive_link

भारतीय परिषद् अधिनियम, 1892

उत्‍तर- अंग्रेज सरकार द्वारा भारत परिषद अधिनियम 1861 में व्‍याप्‍त कमियों तथा कांग्रेस की मांगों के संदर्भ में 1892 का भारत परिषद अधिनियम लाया गया जिसके प्रमुख प्रावधान निम्‍न है

  • केन्‍द्रीय विधान मंडल में अतिरिक्‍त सदस्‍यों की संख्‍या 10 से 16 तक की गयी तथा इसके कम से कम 40% सदस्‍यों का गैर-सरकारी होना निश्चित किया गया।
  • केन्‍द्र व प्रांतीय विधान मंडलों को बजट पर बहस और प्रश्‍न पूछने का अधिकार सीमित रूप में प्राप्‍त हुआ ।
  • गैर सरकारी सदस्‍यों की नियुक्ति में विशुद्ध नामांकन के बजाए सिफारिश के आधार पर नामांकन व्‍यवस्‍था की गयी।

इस प्रकार यह अधिनियम पूर्व कानूनों की तुलना में कुछ हद तक भारतीयों को प्रशासन में भागीदारी देने के उद्देश्‍य से सफल माना जा सकता है।

शब्‍द संख्‍या 123

इससे संबंधित वीडियो के लिए इस लिंक के माध्‍यम से जाए https://youtu.be/PT4WDaJKFBM

 

संथाल विद्रोह

बिहार के भागलपुर से राजमहल (दामन-ए-कोह) क्षेत्र में संथालों ने 1855-56 में औपनिवेशिक सरकार तथा उसके संरक्षण में पल रहे जमींदारों, महाजनों के शोषण के विरुद्ध एक सशक्त जनजातीय विद्रोह किया जिसका मुख्‍य उद्देश्‍य संथाल भूमि को दिकुओं (बाहरी लोगों) से मुक्‍त करवाते हुए अपने जल, जंगल, जमीन के प्राकृतिक अधिकार को प्राप्‍त करना था।

सिद्धु एवं कानू के नेतृत्‍व में 60 हजार संथालियों ने विद्रोह किया लेकिन आंदोलन के सीमित दायरे, स्थानीय सहयोग की कमी, परम्परागत हथियार के कारण कुशल ब्रिटिश सेना ने विद्रोह को दबा दिया । इस विद्रोह के निम्‍न परिणाम हुए-

  • संथाल परगना नामक नन-रेगूलेशर जिला तथा संथाल परगना टेनेन्सी एक्ट बनाया गया ।
  • ग्राम प्रधान को मान्यता दी गयी
  • ग्रामीण अधिकारियों को पुलिस अधिकार दिया गया ।
  • संथालों की सामाजिक व्यवस्था ’मांझी’ बहाल किया गया ।

यह एक सशक्त क्रांति थी जो लक्ष्‍य को प्राप्‍त न कर सका लेकिन आनेवाले राष्ट्र प्रेमियों के लिए प्रेरणास्रोत रहा।

इससे संबंधित वीडियो के लिए इस लिंक के माध्‍यम से जाए https://youtu.be/TRTrY0KD04U

शब्‍द संख्‍या 151

 

 

चंपारण सत्‍याग्रह

1917 में गांधीजी द्वारा चंपारण में तिनकठिया प्रणाली की समाप्ति हेतु चलाया गया आंदोलन चंपारण सत्‍याग्रह कहलाता है। तीनकठिया प्रणाली एक शोषणकारी व्यवस्था थी जिसके तहत प्रति बीघा में 3 कट्ठे पर नील की खेती करना अनिवार्य था।

चंपारण के किसान राजकुमार शुक्ल के निमंत्रण पर गांधीजी ने आंदोलन का नेतृत्‍व किया और अन्यायपूर्ण व्यवस्था के प्रतिरोध का अकाट्य शस्त्र सत्याग्रह एवं अहिंसा का प्रयोग किया गया।

आंदोलन की लोकप्रियता तथा गंभीरता को देखते हुए अंग्रेज सरकार ने मामले की जांच हेतु “चंपारण एग्रेरियन कमेटी” गठित किया जिसमें गांधीजी को भी सदस्य बनाया गया और इसकी सिफारिश पर कृषकों के पक्ष में निम्न कदम उठाएं गए-

  • तिनकठिया प्रणाली समाप्‍त हुई।
  • किसानों को नील की खेती से मुक्त किया गया ।
  • किसानों से की गई अवैध वसूली का 25% हिस्सा लौटाया गया।

इस प्रकार इस आंदोलन में जहां पहली बार किसान समस्या को राष्ट्रीय स्तर पर उठाया गया वहीं कालांतर में इससे प्रेरित अनेक सफल किसान आंदोलन हुए ।

शब्‍द संख्‍या 159

 

मौर्य काल की कला एवं वास्‍तुकला

पाषाण के कलात्‍मक प्रयोग को आरंभ करनेवाले मौर्य कला को 2 भागों में बांटा जा सकता है। राजकीय संरक्षण में विकसित राजकीय कला में जहां राजप्रसाद, स्तंभ, स्तूप, गुहा बिहार आदि का निर्माण हुआ वहीं स्‍वतंत्र कलाकारों द्वारा विकसित लोक कला में यक्ष-यक्षिणी की प्रतिमाएं, मिट्टी की मूर्तियां आदि प्रमुख है।

 वास्‍तुकला

  • मौर्यकालीन वास्‍तुकला के तहत चन्‍द्रगुप्‍त मौर्य द्वारा निर्मित पाटलिपुत्र स्थित कुम्‍हरार का राजप्रासाद मौर्यकालीन भवनों में सर्वोत्‍कृष्‍ट है जो चमकदार पॉलिशयुक्‍त बलुआ पत्‍थर के 84 स्‍तंभों से बनाया गया था।
  • सम्राट अशोक के संरक्षण में अनेक स्‍तंभ, स्‍तूप, वेदिका, गुहा विहार का निर्माण कराया गया जिसमें सारनाथ का अशोक स्तंभ सवश्रेष्‍ठ है जिसके शीर्ष भाग को भारत का राज्यचिह्न के रूप में अपनाया गया। अशोक निर्मित स्तूपों में सांची, भरहुत, सारनाथ, धर्मराजिका स्तूप महत्‍वपूर्ण है।
  • बौद्ध आजीवकों के रहने हेतु बने गुहा-विहारों में सुदामा गुफा, लोमश गुफा आदि उल्‍लेखनीय है जिनका अनुकरण कर पश्चिमी भारत में अनेक चैत्‍य-गृहों का निर्माण हुआ ।

इस प्रकार मौर्य कला समकालीन कलाओं में सर्वश्रेष्‍ठ है जिसके प्रमाण आज भी भारत में मौजूद हैं।

शब्‍द संख्‍या 170

प्राचीन काल में पूर्वी भारत के गुफा चित्र

आनेवाले कुछ दिनों में अन्‍य प्रश्‍नों के उत्‍तर भी आ जाएंगें।

68th BPSC Mains Model answer को आप नीचे दिए गए वेवसाइट लिंक के माध्‍यम से देख सकते हैं।

http://www.gkbucket.com

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