प्रश्न–भारतीय शासन व्यवस्था में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की प्रासंगिकता का विवेचन कीजिए । (69th BPSC Mains)
उत्तर- तकनीकी प्रगति, अपराध के बदलते स्वरूप एवं तीव्रता, बढ़ती अपराधिक घटनाओं के संदर्भ में औपनिवेशिक काल की दंड प्रक्रिया संहिता 1973 अप्रासंगिक हो गयी थी जिसके संदर्भ में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 लाया गया । सरकार द्वारा इस संहिता के माध्यम से भारत की कानून व्यवस्था को और प्रभावी तथा न्यायसंगत बनाने का प्रयास किया गया है।
- गिरफतारी, अभियोजन एवं जमानत की प्रक्रिया ।
- विभिन्न प्रक्रियाओं हेतु समय सीमा निर्धारण।
- विशेष मामलों में फोरेंसिक जाँच की अनिवार्यता।
- बलात्कार आदि में चिकित्सीय परीक्षण।
- हस्ताक्षर, लिखावट, फिंगर प्रिंट, आवाज के नमूने लेने संबंधी प्रावधान।
इस संहिता में जहां समाज के सभी वर्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए संगठित अपराध, आतंकवाद आदि पर कड़े प्रावधानों को लाया गया वहीं विशेष मामलों में विचाराधीन, आजीवन कारवास वाले कैदियों को सुरक्षा देने का प्रयास किया गया है।
इसी क्रम में चिकित्सीय परीक्षण, फोरेंसिक जाँच विभिन्न प्रक्रियाओं हेतु समय सीमा निर्धारण, भागे हुए अपराधी की अनुपस्थिति में मुकदमे की सुनावई एवं निर्णय संबंधी प्रावधान से जहां शासन प्रक्रियाओं में तेजी आएगी, महिला, बाल अपराधों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी वहीं त्वरित एवं समय पर न्याय की अवधारणा को भी मजबूती मिलेगी।
इस प्रकार औपनिवेशिक युग के कानूनों को समाप्त करते हुए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 द्वारा कानूनी ढांचे को आधुनिक बनाते हुए नागरिकों को अधिक सुरक्षित और न्यायपूर्ण व्यवस्था प्रदान हेतु प्रासंगिक बनाया गया है जिसे बेहतर रूप में क्रियान्वित किए जाने पर ही शासन व्यवस्था में व्यापक सुधार आएगा ।
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