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कैशलेश अथवा डिजीटल अर्थव्‍यवस्‍था

प्रश्‍न: महामारी के प्रसार, सरकार के प्रयासों  तथा अपनी विशेषताओं के कारण हाल के समय में कैशलैश अर्थव्‍यवस्‍था तेजी से बढ़ी है हांलाकि अभी भी कई चुनौतियां है जिनको हल या किया अति आवश्‍यक है।चर्चा करें  

ऐसी आर्थिक व्यवस्था या उसका कोई भाग जिसमें नकदी के बजाए डिजीटल रूप में जैसे इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, यूपीआई, क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड आदि के माध्‍यम से लेनदेन होता है, कैशलैस अर्थव्‍यवस्‍था कहलाती है । वैश्‍वीकृत विश्‍व में भारत में भी डिजीटलीकरण का विस्तार होने तथा सरकार के डिजीटल इंडिया कार्यक्रम के माध्‍यम से भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था भी कैशलैश होने की राह पर अग्रसर थी फिर भी हाल में वर्षों में इसमें तेजी देखी गयी ।

कैशलैश अर्थव्‍यवस्‍था में महामारी का योगदान

  • कोविड महामारी के बाद परिस्थितियां ऐसी बनी कि यह अनिवार्य आवश्‍यकता के रूप में इसे अपनाया गया और महामारी के प्रसार के बाद से कैशलैश लेनदेन को बढ़ावा मिला है।

सरकार के प्रयास

  • पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों को देखा जाए तो वित्तीय लेनदेन में उच्च वृद्धि के साथ साथ डिजिटल भुगतान करने के कई नए उपाए भी बढ़ते गए हैं। भारतीय रिजर्व बैंक के डिजिटल भुगतान सूचकांक के अनुसार डिजिटल भुगतान सूचकांक मार्च 2018 के आधार अवधि 100% से बढ़कर सितंबर 2021 में 304.06 हो गया ।
  • भारत सरकार के प्रयासों से ही वर्तमान में  यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस यानी UPI वर्तमान में लेनदेन की मात्रा के मामले में देश की सबसे बड़ी खुदरा भुगतान प्रणाली है जिसे व्‍यापक रूप से स्वीकृति मिली हुई है । यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस को अंतर्राष्‍टीय स्‍तर पर सिंगापुर, भूटान जैसे देशों में भी प्रचलित करने हेतु प्रयास किए गए हैं ।
  • इसके अलावा अनेक विशेषताओं से युक्‍त तत्काल डिजिटल भुगतान समाधान,  e-RUPI तथा रियल टाइम भुगतान सेवा IMPS जैसे उपायों को लाया गया ।

कैशलैश अर्थव्‍यवस्‍था के गुण

  • कैशलैश अर्थव्‍यवस्‍था में अनेक ऐसी विशेषताएं है जिसके कारण न केवल यह तेजी से बढ़ी बल्कि लोगों में इसके प्रति विश्‍वास एवं स्‍वीकार्यता भी बढ़ी है।
  • कैशलेश अर्थव्‍यवस्‍था जहां अवैधानिक लेन-देन, कर चोरी, भ्रष्टाचार, आर्थिक अपराध में कमी लाने में सहायक है वहीं दूसरी ओर वित्तीय समावेशन में मददगार होने के साथ साथ सरकार के कर राजस्व में वृद्धि कर सरकारी कल्याण एवं विकास कार्य को प्रोत्‍साहन देती है ।
  • यह त्वरित एवं पारदर्शी लेन-देन में सहायक है तथा किसी अर्थव्‍यवस्‍था में लेनदेन में जितनी ज्‍यादा पारदर्शिता होती है उसमें इज ऑफ डूइंग बिजनेस उतना हीं बढ़ने से व्यापार, निवेश को प्रोत्साहन मिलता है ।

हांलाकि पिछले कुछ वर्षों में देखा जाए तो कैशलेश अर्थव्‍यवस्‍था ने हालिया उत्‍पन्‍न परिस्थ्‍ितियां, सरकार के प्रयासों तथा इसकी विशेषताओं के कारण अत्‍यंत तेजी से प्रचलन में आया लेकिन इसके साथ कई ऐसी चुनौतियां है जिनको अभी हल किया जाना आवश्‍यक है।

कैशलैश भुगतान की चुनौतियां

  • लगभग 25% जनसंख्या तक अभी भी बैंकिंग सेवाओं की पहुंच ना होना।
  • आर्थिक निरक्षरता तथा जागरूकता में कमी।
  • राष्ट्रीय वित्तीय शिक्षा केन्द्र के अनुसार केवल 27% भारतीय ही आर्थिक रूप से साक्षर हैं।
  • भारत में इसके धारक की तुलना में उपयोग बहुत कम होना।
  • साइबर सुरक्षा एवं अन्य सुरक्षात्मक उपायों की कमी।
  • डिजीटल धोखाधड़ी तथा डिजीटल लेनदेन के प्रति अविश्वास।
  • संरचनात्मक ढांचा, ऑनलाइन बैंकिंग विस्तार, इंटरनेट स्पीड का कम होना।
  • प्राइवेसी का खतरा (व्यक्तिगत, आर्थिक, चिकित्सीय सूचना सार्वजनिक होने का खतरा)

इस प्रकार उपरोक्‍त कुछ चुनौतियां है जिनको हल किया जाना आवश्‍यक है तभी लोगों का विश्‍वास इसमें और बढ़ेगा और समावेशी रूप से डिजीटल अर्थव्‍यवस्‍था तक सभी की पहुंच बनेगी और डिजीटल इंडिया एवं अर्थव्‍यवस्‍था का लक्ष्‍य प्राप्‍त हो सकेगा ।

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