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अंतर्राज्‍यीय सीमा विवाद

भारत संघीय व्‍यवस्‍था पर आधारित देश है जहां 28 राज्‍य तथा 8 केन्‍द्रशासित प्रदेश है । संविधान में अंतर्राज्‍यीय सौदार्ह एवं संबंधों को मधुर बनाने हेतु व्‍यापक प्रावधान किए गए है फिर भी हालिया अनेक ऐसे उदाहरण है जब अंतर्राज्‍यीय सीमा विवादों के कारण राज्‍यों के संबंध खराब हुए तथा हिंसा की घटनाएं घटी ।

  • नवम्‍बर 2022 में असम-मेघालय सीमा पर लकड़ी की तस्‍करी मामले में हिंसा भड़कने से 6 लोगों की मृत्‍यु हो गई।
  • जुलाई 2021 में असम और मिज़ोरम की सीमा पर हिंसक झड़प हुई थी जिसमें जवान मारे गए थे ।
  • मार्च 2018 में असम एवं मिजोरम के बीच विवाद में झड़प में 60 से अधिक लोग घायलहो गए ।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार भारत में कई राज्‍यों के बीच सीमांकन और भूमि संबंधी विवाद हैं जिनमें सबसे ज्‍यादा विवाद पूर्वोत्‍तर राज्‍यों के मध्‍य है । पूर्वोत्‍तर के राज्यों में सीमा विवाद को लेकर हिंसा कोई नयी बात नहीं है तथ पूर्वोत्‍तर में सीमा विवाद को लेकर मुख्यमंत्री स्‍तर की कई दौर की बैठकों के बावजूद कोई हल नहीं निकल पाया है।  प्रमुख राज्‍यों के सीमा विवाद निम्‍नानुसार है

अंतर्राज्‍यीय सीमा विवाद वाले राज्‍य

  • असम-अरुणाचल प्रदेश
  • असम-नगालैंड
  • असम-मेघालय
  • असम-मिज़ोरम
  • हरियाणा-हिमाचल प्रदेश
  • महाराष्ट्र-कर्नाटक
  • लद्दाख-हिमाचल प्रदेश
  • कर्नाटक-केरल

उपरोक्‍त के अनुसार सबसे ज्‍यादा सीमा विवाद पूर्वोत्‍तर के राज्‍यों के बीच है जिसका एक मुख्‍य कारण भारत पर औपनिवेशिक शासन के दौरान राज्‍यों के गठन तथा सीमांकन में लापरवाही तथा गड़बड़ी रहा जिसे अभी तक हम सुलझा नहीं पाए हैं। इसके अलावा पूर्वोत्‍तर में सरकार के कानून  तथा स्‍थानीय कानूनों में एकरूपता की कमी भी मानी जा सकती है।

पूर्वोत्‍तर के राज्यों के अलावा असम-मिजोरम, हरियाणा-हिमाचल प्रदेश, लद्दाख-हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र-कर्नाटक, असम-अरुणाचल प्रदेश और असम-नागालैंड के बीच सीमाओं के सीमांकन और क्षेत्रों के दावों के बीच विवाद है जिनमें अनेक विवाद प्रत्‍यक्ष अप्रत्‍यक्ष रूप से राजनीति प्रभावित है।

वर्तमान हालात में जब भारत अपनी सीमा पर चीन, पाकिस्तान, नेपाल जैसे देशों की चुनौतियों का सामाना कर रहा है तब राज्यों के बीच इस प्रकार की सीमा विवाद संबंधी हिंसक घटनाएं न केवल राष्‍ट्रीय एकता और अखंडता को लेकर समस्‍या उत्‍पन्‍न कर सकती है बल्कि अन्‍य देशों में भारत के प्रति गलत संदेश जा रहा है। उल्‍लेखनीय है कि  चीन पहले ही अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा जता कर विवाद खड़ा कर चुका है तथा लद्दाख तथा हालियां अरुणाचल प्रदेश में तवांग की घटना इसका एक उदाहरण है। अत: उपरोकत को ध्‍यान में रखते हुए राज्यों के मध्‍य विवादित क्षेत्र के निपटारे अत्‍यंत आवश्‍यक है जिसके लिए निम्‍न उपाए किए जा सकते हैं।

अंतर्राज्‍यीय सीमा विवाद सुलझाने हेतु उपाए

  • विवादों को सर्वमान्‍य कानूनी एवं लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के माध्‍यम से सुलझाया जाए । सीमा निर्धारण नक्शे की जगह आपसी बातचीत और विवादित इलाके के नागरिकों के साथ मिलकर सुलझाया जा सकता है। इस संबंध में पांच दशकों से लंबित असम-मेघालय सीमा समझौता एक अच्‍छा उदाहरण है जिसमें राज्‍यों की सहमति से सीमा समस्या के समाधान हेतु ऐतिहासिक समझौता हुआ ।
  • असम-मेघालय सीमा विवाद के फार्मूले पर असम-मिजोरम, असम-नगालैंड और असम-अरुणाचल प्रदेश विवाद को भी सुलझाने की ओर बढ़ा जा सकता है।
  • सीमा विवाद को सुलझाने में राजनीति करने एवं क्षेत्रवाद को बढ़ाने के बजाए राष्‍ट्रीय हित को ध्‍यान में रखते हुए कार्य करना होगा।
  • राज्‍यों के मध्‍य विवादों को सुलझाने में केन्‍द्र के साथ साथ सर्वोच्‍च न्‍यायालय को पहल करनी होगी जिसमें राज्‍यों को सकारात्‍मक सहयोग देना होगा ।
  • संसदीय कानून एवं प्रक्रियाओं, स्थानीय लोगों की उचित भागीदारी एवं वास्तविक सीमा स्थानों के उपग्रह मानचित्रण द्वारा राज्‍यों की सीमाओं को सुलझाया जाए ।
  • पूर्वोत्‍तर के राज्यों के विकास पर ध्‍यान दिया जाए ताकि जनसमुदाय रोजगार, उत्पादन एवं राज्‍य के विकास में अपना सक्रिय योगदान दे सके ।
  • सीमा विवादों को सुलझाने में अंतर-राज्यीय परिषद एक बेहतर विकल्प है अत: इस पर विचार किया जाना चाहिए ।
  • राज्‍यों के बीच विभिन्‍न मुद्दों के समाधान हेतु क्षेत्रीय परिषदों को पुनर्जीवित करने की आवश्‍यकता है ।

आगे की राह

राज्‍यों के बीच सीमा विवाद के कारण राज्यों में आपसी मनमुटाव और खटास पैदा होना स्वाभाविक है तथा  इससे होने वाली हिंसक घटनाओं से न केवल राष्‍ट्रीय एकता एवं अखंडता को खतरा है बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के सीमा विवाद भी प्रभावित होंगे। अत: राज्यों के बीच आपसी सौहार्द बनाने के लिए सीमा विवाद का प्रभावी समाधान करना जरूरी है।

 

 

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